क्राइम सीरीज के आने पर बढ़ता है जुर्म, डायरेक्टर बोले- गांधी पर भी बनी फिल्में लोग उनके जैसे तो नहीं बने
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सुपर्ण वर्मा को द फैमिली मैन और द ट्रायल जैसी बेहतरीन सीरीज के लिए जाना जाता है. उनसे पूछा गया क्या क्राइम सीरीज का सोसायटी पर फर्क पड़ता है. इसका जवाब देते हुए उन्होंने कहा- मेरा मानना है कि हम जो बनाते हैं कि वो सोसायटी को देखते हुए बनाते हैं
साहित्य आजतक के दूसरे दिन बॉलीवुड के कई बड़े कलाकार एक्टर्स, डायरेक्टर्स और सिंगर इवेंट में अपने दिल की बात कहते दिखे. साहित्य आजतक के मंच पर क्रिएटिव डायरेक्टर सुपर्ण वर्मा, मिहिर देसाई और एक्ट्रेस कृतिका कामरा ने नए युग के OTT प्लेटफॉर्म पर ढेर सारी बातें शेयर कीं.
क्या फिल्मों-सीरीज का सोसायटी पर होता है असर? सुपर्ण वर्मा को द फैमिली मैन और द ट्रायल जैसी बेहतरीन सीरीज के लिए जाना जाता है. उनसे पूछा गया क्या क्राइम सीरीज का सोसायटी पर फर्क पड़ता है. इसका जवाब देते हुए उन्होंने कहा- मेरा मानना है कि हम जो बनाते हैं कि वो सोसायटी को देखते हुए बनाते हैं. जब आप किसी फिल्म को देखते हैं तो पता चलता है कि आस-पास क्या हो रहा है. डायरेक्टर से पहले मैं एक पत्रकार था. मैंने पत्रकारिता में जितनी स्टोरीज की थी. उन सभी को आज सीरीज में इस्तेमाल करता हूं.
सुपर्ण से पूछा गया कि क्या क्राइम सीरीज देखकर आज के लोग क्राइम की तरफ बढ़ रहे हैं. इस पर उन्होंने कहा- एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री में गांधी के नाम पर भी फिल्में बनी हैं. पर क्या लोगों ने उससे सीख कर गांधी के रास्ते पर चलने की कोशिश की. सीधे लफ्जों में कहें, तो क्या फिल्म का असर सोसायटी पर हुआ.
'हम एंटरटेमेंट के लिए फिल्म बनाते हैं. कोई इंसान कहानी को कैसे देखता है ये उस पर निर्भर करता है. अगर कोई किसी को मारना चाहता है, तो वो क्राइम करने का रास्ता ढूंढ लेगा. पर जिसको नहीं करना होगा, तो वो नहीं करेगा. एक स्टोरी टेलर हमारा काम है कि हम लोगों को ये कहानी दिखाएं. ओटीटी पर क्राइम सीरीज इसलिए ज्यादा बन रही हैं, क्योंकि लोग वही देखना चाह रहे हैं.'
ओटीटी या बॉक्स ऑफिस कौन है बेहतर? सुपर्ण का कहना है कि ओटीटी के आने से मेकर्स को स्टोरी कहने की आजादी मिली है. थिएटर्स की तरह यहां हर फ्राइडे को फिल्म या सीरीज करने का प्रेशर नहीं है. आगे उन्होंने ओटीटी पर बोल्ड सीन दिखाए जाने पर बात करते हुए कहा कि 'हम शो शुरू होने से पहले डिस्केलमर दे देते हैं कि आपको क्या दिखाया जा रहा है. अगर आपको लगता है कि सीरीज में गाली या बोल्डनेस है, तो फैमिली के साथ बैठ कर मत देखिए. यहां अचानक कुछ नहीं होता है, आपको जो दिखाया जाएगा वो पहले ही बता दिया जाएगा.'
बॉलीवुड और साउथ सिनेमा में क्या फर्क है? सुपर्ण कहते हैं कि 'मैंने साउथ सिनेमा में काफी काम किया है. आज के वक्त में फर्क ये है कि ऑडियंस समझदार हो चुकी है. वो हर भाषा में सारी फिल्में देखना चाहती है. इसका नतीजा ये है कि आज अल्लू अर्जुन भी उतने ही बड़े स्टार हैं, जितने कि शाहरुख खान. साउथ के लोगों से बहुत कुछ सीखने को मिला. वहां गॉसिप नहीं है. वहां की एक्ट्रेसेस ने बड़े खानदान में शादी की है. साउथ में नेपोटिज्म पर बात नहीं होती है. आज की तारीख में हिंदी किताबें कम छपती हैं. पर साउथ के लोग अपनी जमीन से जुड़े हुए हैं और वहां की भाषा में किताबें छपती रहती हैं. जबकि हम इंग्लिश नॉवेल पढ़ने में बिजी हैं.'
अल्लू अर्जुन की फिल्म पुष्पा 2 ने रविवार को वर्ल्डवाइड मार्केट में 800 करोड़ कमा लिए हैं. सबसे मजेदार बात ये है कि अल्लू की फिल्म का हिंदी कलेक्शन तेलुगू वर्जन से बढ़िया है. रविवार को जहां पुष्पा ने हिंदी में 85 करोड़ कमाए, वहीं तेलुगू भाषा में 44 करोड़ की कमाई की. इससे साफ जाहिर है अल्लू का क्रेज हिंदी ऑडियंस के बीच जबरदस्त है.