इस सेक्टर में चीन का दबदबा खत्म करने साथ आए 11 देश, क्या भारत को भी मिलेगी जगह?
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कोरोना महामारी ने ग्लोबल सप्लाई चेन को काफी प्रभावित किया. इसके बाद चीन के प्रभुत्व को चुनौती देने और इंडस्ट्रियल सप्लाई को लेकर ड्रैगन पर निर्भरता कम करने के लिए पश्चिमी देशों ने पार्टनरशिप की है. अमेरिका के नेतृत्व में 11 देशों के समूह का उद्देश्य मिनरल सप्लाई चेन को मजबूत करना है. इस साझेदारी को मिनरल सिक्यॉरिटी पार्टनरशिप (MSP) कहा जा रहा है.
नई दिल्लीः कोरोना महामारी ने ग्लोबल सप्लाई चेन को काफी प्रभावित किया. इसके बाद चीन के प्रभुत्व को चुनौती देने और इंडस्ट्रियल सप्लाई को लेकर ड्रैगन पर निर्भरता कम करने के लिए पश्चिमी देशों ने पार्टनरशिप की है. अमेरिका के नेतृत्व में 11 देशों के समूह का उद्देश्य मिनरल सप्लाई चेन को मजबूत करना है. इस साझेदारी को मिनरल सिक्यॉरिटी पार्टनरशिप (MSP) कहा जा रहा है. हालांकि, भारत इस साझेदारी का हिस्सा नहीं है, लेकिन मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, नई दिल्ली कूटनीतिक दरवाजों से इसमें प्रवेश पाने की कोशिश कर रहा है.
क्रिटिकल मिनरल्स की मांग में बढ़ोतरी का अनुमान कुल 11 देशों के बीच हुई इस मिनरल्स सिक्यॉरिटी पार्टनरशिप में अमेरिका के अलावा ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, फिनलैंड, फ्रांस, जर्मनी, जापान, दक्षिण कोरिया, स्वीडन, यूनाइटेड किंगडम और यूरोपियन कमीशन शामिल हैं. यूएस स्टेट डिपार्टमेंट की तरफ से 14 जून को जारी बयान में कहा गया कि आने वाले दशकों में क्रिटिकल मिनरल्स की मांग में बढ़ोतरी का अनुमान है. क्रिटिकल मिनरल्स क्लीन एनर्जी और अन्य टेक्नोलॉजीज के लिए काफी महत्वपूर्ण हैं. मिनरल्स सिक्यॉरिटी पार्टनरशिप सरकारों और प्राइवेट सेक्टर के निवेश को भी तेज करेगी.