
आपात स्थिति में Mammals की तरह इंसानों के लिए भी ऐसे सांस लेना संभव, जानवरों पर सफल है प्रयोग
Zee News
शोध के मुख्य लेखक रोयो ओकाबे (Ryo Okabe) ने बताया कि ऐनस में लाइनिंग सतह के नीचे खून की नसें होती हैं, इसका अर्थ है कि ऐनस के जरिए दवा देने पर यह सीधे रक्त प्रवाह तक पहुंच जाती है. यह देखकर हमारी टीम को उत्सुकता हुई कि क्या ऑक्सीजन को भी इसी तरह खून तक पहुंचाया जा सकता है.
टोक्यो: जापान (Japan) के वैज्ञानिकों ने एक ऐसा दावा किया है, जो सुनने में थोड़ा अजीब है लेकिन कारगर हो सकता है. वैज्ञानिकों की रिसर्च टीम का कहना है कि स्तनधारियों के लिए गुदा (Anus) से भी ऑक्सीजन (Oxygen) लेना संभव है और आपात स्थिति में मनुष्य पर भी यह लागू हो सकता है. रिसर्च रिपोर्ट में बताया गया है कि आपात स्थिति में कुछ समुद्री जीव अपनी आंतों से सांस लेते हैं. टोक्यो मेडिकल एंड डेंटल यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने चूहों और सूअरों पर भी जब यह प्रयोग किया, तो उसके नतीजे भी सकारात्मक मिले. यह शोध मेड जर्नल (Med Journal) में शुक्रवार को प्रकाशित हुआ है. इसमें कहा गया है कि स्तनधारियों (Mammals) की तरह उन मनुष्यों पर भी यह लागू हो सकता है, जिनके श्वसन तंत्र में दिक्कत हो और वेंटिलेटर्स कम हों या अपर्याप्त हों. अधिकांश जानवर और मनुष्य फेफड़ों के इस्तेमाल से ऑक्सीजन लेते हैं और कार्बन डाई ऑक्साइड छोड़ते हैं, लेकिन कुछ प्रजातियों में वैकल्पिक वेंटिलेटर जैसा तंत्र होता है.