
Stock Market Correction: 'और भी दर्दनाक हो सकती है गिरावट' एक्सपर्ट ने कहा- 2016 जैसी मंदी! ये वजहें
AajTak
भारत में हमारे तीन साल बहुत अच्छे रहे. कोविड के बाद, FY22, FY23 और FY24 शानदार साल रहे और अगर आप भारत के इतिहास को देखें, तो बाजार का लगातार चार साल तक चलना बहुत दुर्लभ है. आमतौर पर चौथे साल तक हम मंदी देखते हैं.
शेयर बाजार में गिरावट थमने का नाम नहीं ले रही है. आज यानी सोमवार को Sensex 217 अंक टूटकर 74115 पर क्लोज हुआ. जबकि निफ्टी 92 अंक गिरकर 22,460 पर बंद हुआ. इस बीच मार्सेलस इन्वेस्टमेंट मैनेजर्स के फाउंडर्स सौरभ मुखर्जी ने निवेशकों को वार्न किया है. उनका कहना है कि भारत का शेयर बाजार मंदी से गुजर रहा है और ग्लोबल पॉलिसीज, खासकर ट्रंप की इकोनॉमी पॉलिसी बाजार को और दर्दनाक हो सकती हैं.
भारत में हमारे तीन साल बहुत अच्छे रहे. कोविड के बाद, FY22, FY23 और FY24 शानदार साल रहे और अगर आप भारत के इतिहास को देखें, तो बाजार का लगातार चार साल तक चलना बहुत दुर्लभ है. आमतौर पर चौथे साल तक हम मंदी देखते हैं, क्योंकि हमारे श्रम बाजार, पूंजी बाजार और भूमि बाजार लगातार चार साल तक तेज विकास को बनाए रखने की क्षमता नहीं रखते हैं. मुखर्जी ने राज शमनी के साथ पॉडकास्ट में ये सभी बातें कहीं.
उन्होंने बताया कि बैंकों को कैश की समस्या का सामना करना पड़ रहा है, जिसका असर लोन ग्रोथ पर पड़ रहा है. बैंकों में डिपॉजिट ग्रोथ कम है और लोन ग्रोथ में भी गिरावट आ रही है. यह आपूर्ति कमजोरी का एक संकेत है. लोगों ने अपने सेविंग अकाउंट्स से पैसे निकालकर शेयर बाजार में डाल दिया है, जिससे शेयरों में उछाल आया है, लेकिन बैंकिंग सिस्टम में कैश कम हो गई है.
मुखर्जी ने बताया कि भारत ने ऐतिहासिक रूप से दो तरह की मंदी का अनुभव किया है. सौम्य (कम दर्दनाक) मंदी - 2016 के समान, जब बाजार दो-तीन साल तक बढ़ा, फिर एक साल के भीतर फिर से वृद्धि शुरू हुई. दर्दनाक मंदी - जैसा कि 2012-13 में हुआ था.
मुखर्जी ने कहा कि जब डॉलर मजबूत होता है, तो RBI को सिस्टम से रुपये निकालकर तरलता को कड़ा करना पड़ता है. लेकिन जब अर्थव्यवस्था कमजोर होती है, तो RBI को ब्याज दरों में कटौती करनी चाहिए, लेकिन रुपये की रक्षा के लिए उसे ब्याज दरें बढ़ानी पड़ती हैं. इससे एक दर्दनाक स्थिति पैदा होती है जैसा कि 2012-13 में देखा गया था.
ट्रंप की नीतियां दे सकती हैं और दर्द मुखर्जी ने चेतावनी दी कि डोनाल्ड ट्रंप की आर्थिक नीतियों से डॉलर और मजबूत हो सकता है, जिससे भारत का शेयर बाजार और भी दर्दनाक मंदी की ओर बढ़ सकता है. उन्होंने कहा कि मुझे डर है कि ट्रंप के एक्शन से डॉलर और भी मजबूत हो सकता है. अगर वह दूसरे देशों पर टैरिफ लगाकर डॉलर को मजबूत करते रहेंगे, तो यह और भी दर्दनाक मंदी बन जाएगी.

मोरबी वैश्विक सिरेमिक हब के रूप में डेवलप हुआ है, जो भारत के सिरेमिक प्रोडक्शन का 90% हिस्सा है. करीब 1000 परिवारिक मालिकाना वाली फैक्ट्रियों के साथ, मोरबी का सिरेमिक इंडस्ट्रीज 1930 के दशक से ही फल-फूल रहा है, जो चीन को टक्कर देने के साथ ही इटली की प्रीमियम गुणवत्ता से भी बेहतर क्वालिटी पेश कर रहा है.

इंडिया टुडे कॉन्क्लेव में एम्क्योर फॉर्मा की एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर नमिता थापर ने बोलते हुए कहा कि बिजनेस का वैल्यूवेशन जेंडर के आधार पर नहीं, बल्कि प्रदर्शन के आधार पर किया जाना चाहिए. थापर ने 'बैरियर ब्रेकिंग एंड बिल्डिंग लिगेसी' पर कहा कि वित्तीय परिणाम बिजनेस की सफलता में खास रोल निभाते हैं.