
भारत का ये छोटा शहर बिजनेस का 'बाहुबली', बोले आनंद महिंद्रा... चीन को दे सकता है टक्कर
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मोरबी वैश्विक सिरेमिक हब के रूप में डेवलप हुआ है, जो भारत के सिरेमिक प्रोडक्शन का 90% हिस्सा है. करीब 1000 परिवारिक मालिकाना वाली फैक्ट्रियों के साथ, मोरबी का सिरेमिक इंडस्ट्रीज 1930 के दशक से ही फल-फूल रहा है, जो चीन को टक्कर देने के साथ ही इटली की प्रीमियम गुणवत्ता से भी बेहतर क्वालिटी पेश कर रहा है.
उद्योगपति आनंद महिंद्रा (Anand Mahindra) अक्सर सोशल मीडिया पर मजेदार पोस्ट शेयर करते रहते हैं. उन्होंने इस बार एक भारतीय सक्सेस की स्टोरी शेयर किया है. हाल ही में एक ट्वीट में, महिंद्रा एंड महिंद्रा के चेयरमैन ने गुजरात के मोरबी और सिरेमिक इंडस्ट्रीज में इस शहर 'दबदबे' को बताते हुए वीडियो शेयर किया है. मोरबी पर यह वीडियो देखकर आनंद महिंद्रा ने अपनी खुशी जाहिर की.
वीडियो में बताया गया है कि कैसे एक छोटा शहर सिरेमिक इंडस्ट्रीज में विश्व स्तर पर बड़ा रोल निभा रहा है. मोरबी ग्लोबल सिरेमिक हब के रूप में डेवलप हुआ है, जो भारत के सिरेमिक प्रोडक्शन का 90% हिस्सा है. करीब 1000 परिवारिक मालिकाना वाली फैक्ट्रियों के साथ, मोरबी का सिरेमिक इंडस्ट्रीज 1930 के दशक से ही फल-फूल रहा है, जो चीन को टक्कर दे रहा है. साथ ही इटली की प्रीमियम गुणवत्ता से भी सही क्वालिटी पेश कर रहा है.
मोरबी भारत का बिजनेस 'बाहुबली' ये व्यवसाय विश्व के सिरेमिक प्रोडक्शन के 13% पर कंट्रोल रखते हैं और हजारों करोड़ रुपये के इंडस्ट्रीज में योगदान करते हैं. लगभग चार लाख लोगों को रोजगार दे रहे हैं. मोरबी के कारोबारियों की सराहना करते हुए महिंद्रा ने कहा कि क्या भारतीय बिजनेस चीन के साथ कम्पीट कर सकते हैं? शायद हम सफलता की कहानियों के लिए सही जगहों की तलाश नहीं कर रहे हैं. 'मोरबी' प्रभाव पर यह वीडियो देखकर मुझे बहुत खुशी हुई. उन्होंने आगे लिखा कि छोटे शहर के उद्यमी भारत के 'बाहुबली'.
मोरबी के सिरेमिक इंडस्ट्रीज के सामने ये चुनौतियां अपनी वैश्विक सफलता के बावजूद, मोरबी का सिरेमिक उद्योग घरेलू और अंतरराष्ट्रीय मांग में गिरावट से जूझ रहा है. टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, कंपनियां सरकार से गैस की खपत पर टैक्सेस को कम करने की रिक्वेस्ट कर रहे हैं. वैट से जीएसटी में बदलाव और इनपुट टैक्स क्रेडिट लाभ की मांग कर रहे हैं. उद्योग हर दिन लगभग 3 मिलियन क्यूबिक मीटर गैस की खपत करता है, जिससे ऊर्जा लागत एक बड़ी चिंता बनी है.
सऊदी अरब, कतर और ताइवान जैसे देशों द्वारा 50% से 106% तक की सीमा में लगाए गए एंटी-डंपिंग टैरिफ के कारण एक्सपोर्ट पर भी असर पड़ा है. इसके अलावा ईरान पर कारोबार बैन ने कजाकिस्तान, उज्बेकिस्तान और अजरबैजान के एक्सपोर्ट रूट को रोक दिया है, जिससे कंपनियों को महंगे वैकल्पिक शिपिंग रूट का उपयोग करने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है.
इन चुनौतियों के बावजूद, मोरबी का लचीला व्यापारिक समुदाय वैश्विक सिरेमिक क्षेत्र में भारत को आगे बढ़ा रहा है. जिससे यह साबित होता है कि विश्व स्तर की सफलता छोटे शहरों से भी आ सकती है.

मोरबी वैश्विक सिरेमिक हब के रूप में डेवलप हुआ है, जो भारत के सिरेमिक प्रोडक्शन का 90% हिस्सा है. करीब 1000 परिवारिक मालिकाना वाली फैक्ट्रियों के साथ, मोरबी का सिरेमिक इंडस्ट्रीज 1930 के दशक से ही फल-फूल रहा है, जो चीन को टक्कर देने के साथ ही इटली की प्रीमियम गुणवत्ता से भी बेहतर क्वालिटी पेश कर रहा है.

इंडिया टुडे कॉन्क्लेव में एम्क्योर फॉर्मा की एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर नमिता थापर ने बोलते हुए कहा कि बिजनेस का वैल्यूवेशन जेंडर के आधार पर नहीं, बल्कि प्रदर्शन के आधार पर किया जाना चाहिए. थापर ने 'बैरियर ब्रेकिंग एंड बिल्डिंग लिगेसी' पर कहा कि वित्तीय परिणाम बिजनेस की सफलता में खास रोल निभाते हैं.