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Sourav Ganguly: सात सीरीज में 7 कप्तान! बीसीसीआई प्रेसिडेंट सौरव गांगुली बोले- ये अच्छा नहीं लेकिन...
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बीसीसीआई प्रेसिडेंट सौरव गांगुली का मानना है कि सात महीनों के अंदर सात कप्तान होना अच्छी बात नहीं है. लेकिन कुछ अपरिहार्य कारणों के चलते ऐसा करना पड़ा.
सौरव गांगुली की गिनती भारत के सफलतम कप्तानों में होती है. 'दादा' के नाम से मशहूर इस खिलाड़ी ने टीम को ऐसे लेवल तक पहुंचाया जो देश के बाहर भी जीतने में माहिर थी. गांगुली की कप्तानी में ही टीम इंडिया 2003 में वर्ल्ड कप के फाइनल तक पहुंची. 50 साल के गांगुली फिलहाल भारतीय क्रिकेट नियंत्रण बोर्ड (BCCI) में अध्यक्ष के पद पर आसीन हैं.
गांगुली ने शुक्रवार को लंदन में अपने दोस्तों और परिवार के साथ बर्थडे मनाया. गांगुली ने इस दौरान क्रिकेट से जुड़े तमाम मुद्दों को लेकर समाचार एजेंसी पीटीआई को खास इंटरव्यू भी दिया. गांगुली ने इंटरव्यू में स्वीकार किया कि सात महीनों के अंदर भारतीय टीम में सात कप्तान होना अच्छी बात नहीं है लेकिन कुछ अपरिहार्य कारणों से चीजें इस तरह से हुई कि ऐसा करना पड़ा.
सात कप्तान होना आदर्श नहीं: गांगुली
गांगुली ने कहा, 'मैं पूरी तरह से सहमत हूं कि इतने कम समय में सात अलग कप्तान रखना आदर्श नहीं है लेकिन ऐसा इसलिए हुआ क्याोंकि कुछ अपरिहार्य परिस्थितियां पैदा हुई. जैसे रोहित सफेद गेंद क्रिकेट में साउथ अफ्रीका में अगुवाई करने वाले थे लेकिन दौरे से पहले वह चोटिल हो गए. इसलिए राहुल ने वनडे में कप्तानी की और फिर हाल में साउथ अफ्रीका के खिलाफ घरेलू श्रृंखला शुरू होने से एक दिन पहले में राहुल चोटिल हो गए.'
उन्होंने आगे कहा, 'इंग्लैंड में रोहित अभ्यास मैच खेल रहा था जब उसे कोविड-19 संक्रमण का पता चला. इन हालात के लिए कोई जिम्मेदार नहीं है. कैलेंडर इस तरह का है कि हमें खिलाड़ियों को ब्रेक देना होता है और फिर किसी को चोट भी लग जाती है तो हमें वर्कलोड मैनेजमेंट को भी देखना होता है. आपको मुख्य कोच राहुल द्रविड़ की परिस्थिति को भी समझना होगा कि प्रत्येक श्रृंखला में अपरिहार्य परिस्थितियों के कारण हमें नया कप्तान रखना पड़ा.'
खेलने से फिटनेस रहता है बरकरार: गांगुली
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भारतीय टीम ने इंग्लैंड के खिलाफ 3 मैचों की वनडे सीरीज में 2-0 से अजेय बढ़त बना ली है. सीरीज का पहला मैच नागपुर और दूसरा मुकाबला कटक में हुआ. दोनों ही मैच भारतीय टीम ने 4 विकेट से जीते. मगर इन दोनों ही मैचों में कप्तान रोहित को मजबूरी में 2 बड़े फैसले लेने पड़े थे. हालांकि आखिर में यह दोनों ही फैसले उनके लिए वरदान साबित हुए.