James Anderson Farewell Test: यादगार विदाई के बावजूद खुश नहीं हैं जेम्स एंडरसन... छलका दर्द
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वेस्टइंडीज के खिलाफ धमाकेदार जीत के साथ इंग्लिश तेज गेंदबाज जेम्स एंडरसन ने विदाई ली. हालांकि शानदार विदाई के बावजूद 41 वर्षीय एंडरसन निराश हैं. एंडरसन ने गुडाकेश मोती का कैच नहीं छोड़़ा होता तो वह 705 विकेट्स के साथ अपने टेस्ट करियर का अंत करते.
इंग्लैंड के महानतम तेज गेंदबाज जेम्स एंडरसन ने इंटरनेशनल क्रिकेट को अलविदा कह दिया. एंडरसन ने अपना आखिरी टेस्ट मैच वेस्टइंडीज के खिलाफ क्रिकेट के मक्का लॉर्ड्स में खेला, जिसमें इंग्लैंड ने पारी और 114 रनों से जीत हासिल की. इस जीत ने एंडरसन की विदाई को और यादगार बना दिया. हालांकि शानदार विदाई के बावजूद 41 वर्षीय एंडरसन निराश हैं.
आखिर क्यों निराश हैं जेम्स एंडरसन?
जेम्स एंडरसन ने कहा कि अगर उन्होंने गुडाकेश मोती को जीवनदान न दिया होता तो वो 705 विकेट्स के साथ अपने टेस्ट करियर का अंत कर सकते थे. एंडरसन अब भी उस मौके को गंवाने से उदास हैं. एंडरसन ने कहा, 'सच कहूं तो मैं अभी भी उस कैच को छोड़ने के चलते दुखी हूं. लेकिन हां, यह एक शानदार सप्ताह रहा है. मैं दर्शकों और खिलाड़ियों की प्रतिक्रिया से काफी अभिभूत हूं. मुझे अपनी उपलब्धियों पर गर्व है.'
THE FINAL WALK OF JIMMY ANDERSON IN INTERNATIONAL CRICKET. 🥹pic.twitter.com/N2GFFDgYYT
एंडरसन वेस्टइंडीज की दूसरी पारी के दौरान 44वें ओवर में अपनी ही गेंद पर गुडाकेश मोती का कैच नहीं लपक सके थे. एंडरसन ने बताया, 'जाहिर है कि दोनों टीमों के बीच मुकाबला काफी भावनात्मक था और दर्शकों की प्रतिक्रिया भी काफी खास थी. मैं अभी भी अपने आंसू रोकने की कोशिश कर रहा हूं. 20 सालों तक खेलने पर गर्व है. यह एक अविश्वसनीय प्रयास है, खासकर एक तेज गेंदबाज के लिए. मैं बस खुश हूं कि यहां तक पहुंच पाया.'
एंडरसन ने कहा, 'सीरीज जीतना और टेस्ट मैच जीतना उनके करियर की सबसे खास यादें हैं. इंग्लैंड की टीम में आने के बाद से यही एकमात्र चीज रही है जिसमें मेरी दिलचस्पी रही है. ऑस्ट्रेलिया में जीत, भारत में जीत, दुनिया की नंबर एक टीम बनना और उन सीरीज में योगदान देना. खेल के कुछ महान खिलाड़ियों के साथ खेलना भी. यह वाकई बहुत खास रहा है. मुझे लगता है कि टेस्ट मैच जीतने से बेहतर कोई अहसास नहीं है. इस सप्ताह सभी ने कड़ी मेहनत की है. ऐसा लग रहा है कि हमने दबदबा बना लिया है, लेकिन हमें इस जीत के लिए बहुत मेहनत करनी पड़ी है. साथ ही दूसरों की सफलता को भी साझा करना पड़ा है.'
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