![स्कॉट म्युलर का जन्मदिन: जब मैच में कैमरामैन की कही बात से बवाल खड़ा हुआ लेकिन आरोपी बन गए शेन वॉर्न](https://akm-img-a-in.tosshub.com/aajtak/images/story/202207/collage-maker-11-jul-2022-01.17-pm-sixteen_nine.jpg)
स्कॉट म्युलर का जन्मदिन: जब मैच में कैमरामैन की कही बात से बवाल खड़ा हुआ लेकिन आरोपी बन गए शेन वॉर्न
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पाकिस्तान से सीरीज़ ख़त्म होने के बाद इंडिया को ऑस्ट्रेलिया में आना था. पहला मैच दिसंबर के दूसरे हफ़्ते से शुरू होना था. इसके ठीक पहले, अचानक नाइन नेटवर्क के शो 'अ करेंट अफ़ेयर' में चैनल नाइन का एक कैमरामैन सामने आया - जो प्रेविटेरा. जो ने बताया कि असल में वो आवाज़ उनकी थी और उन्होंने वो बातें अपने साथी कैमरामैन से कही थीं लेकिन उनके माइक से वो उस फ़ीड में चली गयीं जो कि टीवी पर जा रही थी.
अपनी किताब में शेन वॉर्न ने लिखा है कि क्रिकेट के मामले में उनके सबसे बेहतरीन साल 1993 से 1998 के बीच रहे हैं. ये कहानी 1999 की है. पाकिस्तान वर्सेज़ ऑस्ट्रेलिया, होबार्ट टेस्ट. 22 नवम्बर को दूसरा टेस्ट मैच ख़तम हुआ, ऑस्ट्रेलिया 4 विकेट से ये मैच जीती और शाम को चैनल टेन पर पूरे ऑस्ट्रेलिया ने इसी टेस्ट मैच का एक छोटा सा वीडियो देखा. वीडियो से ज़्यादा ऑडियो इम्पोर्टेंट था. पाकिस्तान 212 रन बना चुकी थी. इंज़माम और इजाज़ अहमद क्रीज़ पर थे और शेन वॉर्न बॉलिंग कर रहे थे. वॉर्न की एक बॉल को इंज़ी ने लेग साइड में धकेल दिया और दो रन के लिए दौड़े. डीप में गेंद के पास दौड़ कर आये करियर और सीरीज़ का दूसरा टेस्ट मैच खेल रहे स्कॉट म्युलर. उन्होंने पूरी ताक़त से गेंद गिलक्रिस्ट के पास फेंकी.
गिलक्रिस्ट टीम में नए-नए आये थे. असल में ये उनका भी दूसरा ही टेस्ट मैच था. 35 साल के हो चुके इयान हीली अपना आख़िरी मैच खेल चुके थे और इस घटना के वक़्त कमेंट्री बॉक्स में अपनी सेकंड इनिंग्स की शुरुआत कर रहे थे. गिलक्रिस्ट की दिशा में फेंकी गयी गेंद पर ज़ोर कुछ ज़्यादा ही लगा दिया गया था लिहाज़ा वो उनके सर के ऊपर उड़ती हुई निकल गयी. चैनल टेन ने दिखाया (सुनाया) कि इसके अगले ही सेकंड शेन वॉर्न ने कहा, "न बॉलिंग कर पाता है, न थ्रो कर पाता है." ("He can't bowl and he can't throw.").
ये मैदान पर कहा गया एक बेहद नॉर्मल सा वाक्य भी हो सकता था जो कि असल में टीवी पर किसी ने भी सुना ही नहीं था. न जाने कैसे चैनल टेन ने उसके ऑडियो को एनहेंस करके वो आवाज़ उसमें 'निकाल' दी. सारा दोष शेन वॉर्न के सर पर डाला गया क्यूंकि वो बॉलर थे और स्टम्प माइक के पास और कोई था ही नहीं. वॉर्न ने ऐसा कुछ भी कहने से साफ़ इनकार कर दिया. जो उस वक़्त उन्होंने कहा था, अपनी किताब नो स्पिन में भी उन्होंने ठीक वही लिखा. उन्होंने बताया कि थ्रो के वक़्त वो हाथ बांधे बीच पिच में खड़े थे और कुछ बोल नहीं रहे थे. और इस बात की तस्दीक मैच की फ़ुटेज से की जा सकती है. लेकिन शेन वॉर्न की बात सुनता हुआ कोई दिख नहीं रहा था.
चैनल टेन के इस ख़ुलासे के बाद स्कॉट म्युलर खासे नाराज़ दिखे. ऑस्ट्रेलिया की मीडिया ने कई दिनों तक वॉर्न को ही निशाना बनाते हुए ख़बरें दिखाईं. चैनल्स पर लोगों के फ़ोन कॉल लिए जा रहे थे. ऑस्ट्रेलिया की जनता शेन वॉर्न को ज़िम्मेदार ठहराती जा रही थी. और वॉर्न लगातार ख़ुद को निर्दोष बता रहे थे. मामला इतना तक बढ़ गया कि मैच की फ्रंट-ऑन फ़ुटेज देखी गयी. मालूम पड़ा कि गेंद जब गिलक्रिस्ट के ऊपर से निकल गयी और उनके पीछे दूसरे फ़ील्डर ने उसे रोक लिया, उसके कुछ देर बाद तक वॉर्न अपनी जगह खड़े रहे और उनके होठ तक नहीं हिले थे. सिर्फ़ इतना ही नहीं, एक वॉइस एनलिस्ट बुलाया गया. उसने फ़ुटेज में सुनाई दे रही आवाज़ और वॉर्न की आवाज़ का मिलान किया. उसने भी कहा कि ये आवाज़ वॉर्न की नहीं थी. लेकिन शक़ अब भी बरक़रार था.
पाकिस्तान से सीरीज़ ख़त्म होने के बाद इंडिया को ऑस्ट्रेलिया में आना था. पहला मैच दिसंबर के दूसरे हफ़्ते से शुरू होना था. इसके ठीक पहले, अचानक नाइन नेटवर्क के शो 'अ करेंट अफ़ेयर' में चैनल नाइन का एक कैमरामैन सामने आया - जो प्रेविटेरा. जो ने बताया कि असल में वो आवाज़ उनकी थी और उन्होंने वो बातें अपने साथी कैमरामैन से कही थीं लेकिन उनके माइक से वो उस फ़ीड में चली गयीं जो कि टीवी पर जा रही थी. शेन वॉर्न को लगा कि अब, जबकि वो आदमी भी सामने आ गया है जिसने ये वाक्य कहा था, सब कुछ शांत हो जायेगा लेकिन ऐसा हुआ नहीं. ऑस्ट्रेलिया के लेबर पार्टी के एमपी मार्क लेथम ने चैनल नाइन पर आरोप लगाते हुए कहा कि नेटवर्क वॉर्न को बचाने की कोशिश कर रहा था क्यूंकि वॉर्न उनके लिए काम करते हैं. (ऑस्ट्रेलिया में होने वाले क्रिकेट मैचों के टेलीकास्ट राइट्स चैनल नाइन के ही पास थे.)
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भारतीय टीम ने इंग्लैंड के खिलाफ 3 मैचों की वनडे सीरीज में 2-0 से अजेय बढ़त बना ली है. सीरीज का पहला मैच नागपुर और दूसरा मुकाबला कटक में हुआ. दोनों ही मैच भारतीय टीम ने 4 विकेट से जीते. मगर इन दोनों ही मैचों में कप्तान रोहित को मजबूरी में 2 बड़े फैसले लेने पड़े थे. हालांकि आखिर में यह दोनों ही फैसले उनके लिए वरदान साबित हुए.