राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का दूसरा कार्यकाल भारत के लिए Bad taste तो नहीं साबित होगा? 5 Points में समझिए
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ट्रंप की नई पारी को लेकर भारत समेत दुनिया भर में उत्सुकता है. ट्रंप अपनी नीतियां 'अमेरिका फर्स्ट'की पॉलिसी से प्रेरित बताते हैं. सवाल है कि 'अमेरिका फर्स्ट' की पॉलिसी में ट्रंप दूसरे देशों के हितों को कितना समावेश कर पाएंगे. भारत की भी चिंता यही है. ट्रंप अपने प्रचार के दौरान भारत पर टैरिफ बढ़ाने का संकेत दे चुके हैं. इस लिहाज से ट्रंप प्रशासन से सामंजस्य बनाना भारत नीति-निर्धारकों के लिए चुनौतीपूर्ण होने जा रहा है.
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का भारत को लेकर क्या रवैया रहने वाला है. भारत समेत दुनिया भर के थिंक टैंक अब इस सवाल पर माथापच्ची कर रहे हैं. ट्रंप के शुरुआती फैसलों में न तो भारत का जिक्र है न ही भारत पर इसका असर है. लेकिन BRICS देशों को ट्रंप की धमकी, नागरिकता के कानूनों में बदलाव, सख्त इमिग्रेशन पॉलिसी, अमेरिका फर्स्ट की नीतियां कुछ ऐसे मुद्दे हैं जिनसे ट्रंप का दूसरा कार्यकाल भारत के लिए बेस्वाद (Bad taste) या फिर तनावपूर्ण साबित हो सकता है.
अमेरिका फर्स्ट पॉलिसी
अमेरिका फर्स्ट राष्ट्रपति ट्रंप की घोषित नीति है. वे चुनाव प्रचार के दौरान भी इसका जिक्र करते थे और कहते थे कि उनके फोकस में अमेरिका होगा. अपने भाषणों में ट्रंप बार-बार मेक अमेरिका ग्रेट अगेन (MAGA) का जिक्र करते रहे हैं. सोमवार को अपने संबोधन में भी ट्रंप ने इसका जिक्र किया. ट्रंप के अनुसार मेक अमेरिका ग्रेट अगेन का अर्थ है सारी आर्थिक गतिविधियों को अमेरिका में ही केंद्रित करना.
गौरतलब है कि भारत अमेरिका दुनिया के दो बड़े ट्रेडिंग पार्टनर हैं. अमेरिकी सरकार के अनुसार वर्ष 2022 में अमेरिका भारत के बीच व्यापार का आंकड़ा 191.8 अरब डॉलर था. अमेरिका ने इस वर्ष भारत को 73 अरब डॉलर का निर्यात किया और 118.8 अरब डॉलर का आयात किया. इसका अर्थ है व्यापार संतुलन भारत के पक्ष में है.
अगर ट्रंप इसे मुद्दा बनाते हैं तो अमेरिका के साथ भारत का विदेशी व्यापार प्रभावित हो सकता है.
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ट्रंप की नई पारी को लेकर भारत समेत दुनिया भर में उत्सुकता है. ट्रंप अपनी नीतियां 'अमेरिका फर्स्ट'की पॉलिसी से प्रेरित बताते हैं. सवाल है कि 'अमेरिका फर्स्ट' की पॉलिसी में ट्रंप दूसरे देशों के हितों को कितना समावेश कर पाएंगे. भारत की भी चिंता यही है. ट्रंप अपने प्रचार के दौरान भारत पर टैरिफ बढ़ाने का संकेत दे चुके हैं. इस लिहाज से ट्रंप प्रशासन से सामंजस्य बनाना भारत नीति-निर्धारकों के लिए चुनौतीपूर्ण होने जा रहा है.
डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिका की सत्ता संभालते ही कई बड़े एलान किए. इन्हीं में से एक बेहद विवादित आदेश थर्ड जेंडर की मान्यता रद्द करना है. बकौल ट्रंप, अब से यूएस में सिर्फ दो जेंडर होंगे- मेल और फीमेल. ट्रंप ने तो एग्जीक्यूटिव ऑर्डर दे दिया, लेकिन इसके बाद खुद को ट्रांसजेंडर कहने वाली आबादी का क्या होगा?
डोनाल्ड ट्रंप ने पिछले महीने दिसंबर में ब्रिक्स देशों को धमकी देते हुए कहा था कि अगर ब्रिक्स देशों ने अमेरिकी डॉलर को कमजोर करने का प्रयास किया तो वे उन पर 100 फीसदी टैरिफ लगा देंगे. उनकी यह धमकी ब्रिक्स गंठबंधन में शामिल देशों के लिए हैं, जिसमें ब्राजील, रूस, भारत, चीन, दक्षिण अफ्रीका, मिस्र, इथियोपिया, ईरान और संयुक्त अरब अमीरात शामिल हैं.
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ट्रंप के हमशक्ल ने राष्ट्रपति की शपथ ग्रहण को लेकर कहा, 'आज जो हुआ उसके बाद मैं अमेरिका के साथ-साथ भारत और पूरी दुनिया के भविष्य को लेकर बेहद आशावादी हूं.' उनसे पूछा गया कि क्या वह भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रशंसक हैं? जवाब में उन्होंने कहा, 'बिल्कुल, भारत हमारा बहुत अच्छा तकनीकी सहयोगी है.'
अमेरिका के नए राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के शपथ ग्रहण के लिए अमेरिका में गर्मजोशी देखी जा रही है. सड़कों पर ट्रंप समर्थकों की भारी भीड़ नजर आ रही है. ट्रंप के इस शपथ ग्रहण की पूरी कवरेज के लिए आजतक की टीम भी ग्राउंड पर है. अंजना ओम कश्यप, गौरव सांवत और रोहित शर्मा अमेरिका से शपथ ग्रहण की हर पल की अपडेट दे रहे हैं.
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अमेरिका के नए राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के सामने चीन के विस्तारवाद को रोकने की बड़ी चुनौती है. ट्रंप की टीम का मानना है कि चीन को काबू करने के लिए भारत को साथ लेना होगा. ट्रंप ने अप्रैल में भारत और चीन की यात्रा की इच्छा जताई है. उनकी टीम में कई भारतवंशी और हिंदू शामिल हैं, जो भारत के पक्ष में नीतियां बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं. VIDEO
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