क्या होगा अमेरिका में खुद को थर्ड जेंडर मानने वाली आबादी के साथ, पलायन या बगावत- क्या-क्या रास्ते?
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डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिका की सत्ता संभालते ही कई बड़े एलान किए. इन्हीं में से एक बेहद विवादित आदेश थर्ड जेंडर की मान्यता रद्द करना है. बकौल ट्रंप, अब से यूएस में सिर्फ दो जेंडर होंगे- मेल और फीमेल. ट्रंप ने तो एग्जीक्यूटिव ऑर्डर दे दिया, लेकिन इसके बाद खुद को ट्रांसजेंडर कहने वाली आबादी का क्या होगा?
20 जनवरी को पूरी दुनिया की नजरें वॉशिंगटन पर लगी हुई थीं. राष्ट्रपति बनते ही डोनाल्ड ट्रंप ने वादे पूरे करने की शुरुआत कर दी. उन्होंने कई अहम कार्यकारी आदेश दिए, जिनमें से एक है, देश में केवल दो जेंडरों को मान्यता देना. सालों से यूएस में थर्ड जेंडर भी हुआ करता था, जो अब से आधिकारिक तौर पर मान्य नहीं रहेगा. क्या इसका मतलब ये है कि खुद को ट्रांसजेंडर मानने वालों के पास आम अमेरिकी जैसे हक नहीं होंगे?
अमेरिका में ट्रांसजेंडरों की आबादी कितनी यूएस में तीस साल के भीतर के लोगों में पांच फीसदी से कुछ ज्यादा लोग खुद को ट्रांसजेंडर या फिर नॉन-बायनरी मानते हैं, यानी जो खुद को किसी जेंडर में नहीं पाते. ये डेटा प्यू रिसर्च सेंटर का है और दो साल पुराना है. इस बीच संख्या काफी बढ़ी, लेकिन इसपर किसी का कोई निश्चित डेटा नहीं है.
यूसीएलए लॉ स्कूल में विलियम्स इंस्टीट्यूट ने भी इसपर एक रिसर्च की, जिसमें पाया गया कि अमेरिका में 13 साल की उम्र के ज्यादा के 16 लाख से ज्यादा लोग खुद को ट्रांसजेंडर मानते हैं. इसके अलावा वे लोग भी हैं, जो जन्म के समय खुद को मिले जेंडर से खुश नहीं, लेकिन खुलकर जता नहीं पाते. लगभग इतनी ही संख्या नॉन-बायनरी लोगों की है, जो अपने को किसी भी जेंडर में नहीं रखते.
क्या मतलब है ट्रांसजेंडर होने से सेंटर्स फॉर डिसीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (CDC) के अनुसार, ट्रांसजेंडर शब्द उन लोगों के लिए इस्तेमाल होता है, जो जन्म के समय डॉक्टरों द्वारा दिए गए जेंडर से खुद को अलग मानते हैं, या अलग चाहते हैं.
साल 2015 में मिली जगह
ट्रंप की नई पारी को लेकर भारत समेत दुनिया भर में उत्सुकता है. ट्रंप अपनी नीतियां 'अमेरिका फर्स्ट'की पॉलिसी से प्रेरित बताते हैं. सवाल है कि 'अमेरिका फर्स्ट' की पॉलिसी में ट्रंप दूसरे देशों के हितों को कितना समावेश कर पाएंगे. भारत की भी चिंता यही है. ट्रंप अपने प्रचार के दौरान भारत पर टैरिफ बढ़ाने का संकेत दे चुके हैं. इस लिहाज से ट्रंप प्रशासन से सामंजस्य बनाना भारत नीति-निर्धारकों के लिए चुनौतीपूर्ण होने जा रहा है.
डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिका की सत्ता संभालते ही कई बड़े एलान किए. इन्हीं में से एक बेहद विवादित आदेश थर्ड जेंडर की मान्यता रद्द करना है. बकौल ट्रंप, अब से यूएस में सिर्फ दो जेंडर होंगे- मेल और फीमेल. ट्रंप ने तो एग्जीक्यूटिव ऑर्डर दे दिया, लेकिन इसके बाद खुद को ट्रांसजेंडर कहने वाली आबादी का क्या होगा?
डोनाल्ड ट्रंप ने पिछले महीने दिसंबर में ब्रिक्स देशों को धमकी देते हुए कहा था कि अगर ब्रिक्स देशों ने अमेरिकी डॉलर को कमजोर करने का प्रयास किया तो वे उन पर 100 फीसदी टैरिफ लगा देंगे. उनकी यह धमकी ब्रिक्स गंठबंधन में शामिल देशों के लिए हैं, जिसमें ब्राजील, रूस, भारत, चीन, दक्षिण अफ्रीका, मिस्र, इथियोपिया, ईरान और संयुक्त अरब अमीरात शामिल हैं.
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ट्रंप के हमशक्ल ने राष्ट्रपति की शपथ ग्रहण को लेकर कहा, 'आज जो हुआ उसके बाद मैं अमेरिका के साथ-साथ भारत और पूरी दुनिया के भविष्य को लेकर बेहद आशावादी हूं.' उनसे पूछा गया कि क्या वह भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रशंसक हैं? जवाब में उन्होंने कहा, 'बिल्कुल, भारत हमारा बहुत अच्छा तकनीकी सहयोगी है.'
अमेरिका के नए राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के शपथ ग्रहण के लिए अमेरिका में गर्मजोशी देखी जा रही है. सड़कों पर ट्रंप समर्थकों की भारी भीड़ नजर आ रही है. ट्रंप के इस शपथ ग्रहण की पूरी कवरेज के लिए आजतक की टीम भी ग्राउंड पर है. अंजना ओम कश्यप, गौरव सांवत और रोहित शर्मा अमेरिका से शपथ ग्रहण की हर पल की अपडेट दे रहे हैं.
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अब से कुछ घंटे बाद डोनाल्ड ट्रंप अमेरिका के राष्ट्रपति पद की शपथ लेंगे. डोनाल्ड ट्रंप ने अपने शपथ ग्रहण से पहले साफ कर दिया है वह राष्ट्रपति के रूप में शपथ ग्रहण करते ही 100 महत्वपूर्ण फाइलों पर साइन करेंगे. हालांकि, उन्होंने पहले ही साफ कर दिया है कि वह बॉर्डर को मजबूत करेंगे. जैसा की उन्होंने अपने पहले कार्यकाल में किया था.