दिवाली के दिन दिल्ली में खूब फोड़े गए पटाखे, फिर भी हवा में क्यों नहीं दिख रहा ज्यादा असर? जानें
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दिवाली की रात दिल्ली के कई इलाकों में पटाखे जलाए गए. दिल्ली में पटाखों पर प्रतिबंध के बावजूद पूरे शहर में बड़े पैमाने पर उल्लंघन का मामला सामने आया है. हालांकि, इसके बाद भी एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) रीडिंग में हवा की गुणवत्ता 'गंभीर' के बजाय केवल 'बहुत खराब' स्तर का दिखाई दिया.
दिवाली की रात दिल्ली के कई इलाकों में पटाखे जलाए गए. दिल्ली में पटाखों पर प्रतिबंध के बावजूद पूरे शहर में बड़े पैमाने पर उल्लंघन का मामला सामने आया है. हालांकि, इसके बाद भी एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) रीडिंग में हवा की गुणवत्ता 'गंभीर' के बजाय केवल 'बहुत खराब' स्तर का दिखाई दिया. दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (DPCC), केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) और भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) जैसे पलूशन मॉनिटरिंग बॉडी के मुताबिक ये औसत तौर पर 24 घंटे का डेटा है. मतलब पिछले 24 घंटे में भी AQI के जितने खराब रहने की आशंका जाहिर की गई थी, वो अब भी बहुत गंभीर के बजाय बहुत खराब स्तर का बना हुआ है.
मॉनिटरिंग बॉडी द्वारा किए गए विश्लेषण से पता चलता है कि दिवाली के दिन रात के समय प्रदूषण का स्तर चिंताजनक रूप से अधिक था, जिसमें PM2.5 और PM10 कण मानक सीमा से 30 गुना तक बढ़ गए थे, यह स्वास्थ्य के लिए बेहद खतरनाक हैं.
रियल टाइम और 24 घंटे के औसत AQI के बारे में बताते हुए, DPCC के पूर्व अतिरिक्त निदेशक, मोहन पी जॉर्ज ने कहा AQI आम आदमी के लिए है, इसलिए हम 24 घंटे का औसत डेटा बताते हैं ताकि आम लोगों को समझने में आसानी हो. उन्होंने कहा, भारत में हम AQI डेटा जारी करते हैं, लेकिन पश्चिमी देशों में AQI सिर्फ एक कलर कोड है जैसे कि हरा, पीला और लाल. इसलिए, उन देशों में, 215 और 225 के AQI के बीच कोई अंतर नहीं है, क्योंकि 200-300 रेंज के बीच किसी भी डेटा के लिए रंग कोडिंग समान होती है.
कैसा है दिल्ली का हाल हर साल दिवाली के दौरान प्रदूषण का स्तर बढ़ना चिंता का कारण है. अक्सर डेटा रियल टाइम की बिगड़ती स्थिति को ठीक ढंग से नहीं बता पाते हैं. जिस साल कम तापमान और हवा की स्पीड कम होती है उस साल पटाखे जलाने से निकलने वाले प्रदूषण वातावरण में लंबे समय तक रह सकते हैं, जिससे कम पटाखे इस्तेमाल किए जाने पर भी हवा की गुणवत्ता खराब हो सकती है. इसके उलट ज्यादा पटाखे जलाने के बाद अनुकूल मौसम और उच्च तापमान और तेज हवाएं तुरंत होने वाले प्रदूषण के प्रभाव को कम कर सकती हैं. इस साल का डेटा यह बताता है कि ज्यादा पटाखे फोड़ने के बाद भी एयर क्वालिटी पिछले वर्षों की तुलना में कम खराब हुई है.
दक्षिण दिल्ली के लाजपत नगर इलाके के नेहरू नगर का मामला नेहरू नगर में वायु गुणवत्ता में भारी गिरावट आई. 31 अक्टूबर को शाम 5 बजे तक पीएम 2.5 कणों की कंसंट्रेशन (concentration) 101 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर मापी गई. शाम ढलते ही स्थिति और खराब हो गई और आसमान में पटाखे फूटने लगे. रात 8 बजे पीएम 2.5 का स्तर 324 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर तक पहुंच गया. रात 9 बजे तक इसमें और उछाल देखा गया और यह स्तर खतरनाक 539 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर तक पहुंच गया. रात 10 बजे तक स्थिति और खराब हो गई और पीएम 2.5 की कंसंट्रेशन 898 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर तक पहुंच गई और आधी रात तक यह 1,527 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर तक पहुंच गई.
इसका मतलब है कि जब पटाखे जलाए गए तब दिवाली के दिन शाम 5 बजे से आधी रात तक वायु प्रदूषण 15 गुना से अधिक बढ़ गया. आधी रात के बाद जैसे-जैसे पटाखे फोड़ने कम हो गए प्रदूषण का स्तर कम होने लगा. 1 नवंबर की रात 1 बजे तक, कंसंट्रेशन में मामूली कमी देखी गई और यह 1,172 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर हो गई. अगले दिन सुबह 11 बजे तक इसके लेवल में कमी आई, लेकिन फिर भी यह 145 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर पर बना रहा.
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दिवाली की रात 10 बजे दिल्ली के नेहरू नगर, पटपड़गंज, अशोक विहार और ओखला में PM 2.5 का लेवल 850 से 900 के बीच दर्ज किया गया. वहीं विवेक विहार में ये 1800 और पटपड़गंज में 1500 तक चला गया यानी तय सीमा से 30 और 25 गुना ज्यादा है. ऐसे में डॉक्टरों ने लोगों को घरों से बाहर न निकलने की सलाह दी है. खासकर सांस संबंधित बीमारी वाले मरीज, बुजुर्गों और बच्चों के लिए सलाह दी गई है.