खड़गे की डिप्टी सीएम को फटकार, CM की सफाई... क्या है कर्नाटक की 'शक्ति स्कीम' जिसपर मचा बवाल?
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कांग्रेस ने राज्य के चुनाव प्रचार में पांच गारंटी दी थी. इनमें गृह लक्ष्मी योजना के तहत महिलाओं को हर महीने 2 हजार रुपये, युवा निधि के तहत बेरोजगार ग्रेजुएट्स को दो साल के लिए 3 हजार रुपये व डिप्लोमाधारकों को 1500 रुपये, अन्न भाग्य योजना में गरीबी रेखा के नीचे हर परिवार को हर महीने प्रति व्यक्ति 10 किलोग्राम चावल और शक्ति स्कीम के तहत महिलाओं के लिए सरकारी बसों में मुफ्त यात्रा और गृह ज्योति योजना के तहत हर घर को 200 यूनिट मुफ्ट बिजली शामिल है.
कर्नाटक में कांग्रेस के सिद्धारमैया सरकार में 'शक्ति स्कीम' को लेकर बवाल मचा हुआ. कारण, हाल ही में राज्य के डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार ने बयान दिया कि उनकी सरकार इस स्कीम पर पनुर्विचार करेगी क्योंकि कई महिलाओं ने बसों का किराया चुकाने की इच्छा जताई है. शिवकुमार के इस बयान के बाद विपक्षी दल सरकार पर चुनावी वादे से पीछे हटाने का आरोप लगाकर हमलावर है. तो कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने भी राज्य सरकार की खिंचाई की और कहा कि चुनाव के दौरान कोई भी ऐसे वादे न किए जाए जिन्हें पूरा न किया जाए या फिर पूरा करने के चक्कर में राज्य पर आर्थिक बोझ हो जाए.
दरअसल, कांग्रेस ने राज्य के चुनाव प्रचार में पांच गारंटी दी थी. इनमें गृह लक्ष्मी योजना के तहत महिलाओं को हर महीने 2 हजार रुपये, युवा निधि के तहत बेरोजगार ग्रेजुएट्स को दो साल के लिए 3 हजार रुपये व डिप्लोमाधारकों को 1500 रुपये, अन्न भाग्य योजना में गरीबी रेखा के नीचे हर परिवार को हर महीने प्रति व्यक्ति 10 किलोग्राम चावल और शक्ति स्कीम के तहत महिलाओं के लिए सरकारी बसों में मुफ्त यात्रा और गृह ज्योति योजना के तहत हर घर को 200 यूनिट मुफ्ट बिजली शामिल है. लेकिन अब डिप्टी सीएम के शक्ति स्कीम पर पुनर्विचार के बयान से सियासत शुरू हो गई है.
क्या है कर्नाटक सरकार की शक्ति स्कीम?
'शक्ति स्कीम' राज्य सरकार की एक प्रमुख पहल है, जिसके तहत महिलाओं को राज्य के भीतर सरकारी बसों में मुफ्त यात्रा की सुविधा दी जाती है. ये पिछले साल सत्ता में आने के बाद कांग्रेस सरकार द्वारा शुरू की गई पांच गारंटी योजनाओं में से एक है. इसे सरकार के सत्ता में आने के एक महीने के भीतर 11 जून, 2023 को लॉन्च किया गया था. 18 अक्टूबर, 2024 तक राज्य ने महिलाओं द्वारा 311.07 करोड़ मुफ़्त सवारी के लिए शक्ति योजना पर ₹7,507.35 करोड़ खर्च किए.
इस योजना के तहत महिलाओं को सरकारी बसों में यात्रा करने के लिए कोई शुल्क नहीं देना पड़ता और इसका उद्देश्य महिलाओं की सामाजिक और आर्थिक स्वतंत्रता को बढ़ावा देना है, ताकि वे अपनी शिक्षा, रोजगार और दैनिक कामकाज में अधिक स्वतंत्रता से भाग ले सकें. हालांकि, 'शक्ति स्कीम' को लेकर विपक्ष सरकार पर हमलावर है. विपक्ष और कुछ विश्लेषकों का कहना है कि यह सरकारी बजट पर अत्यधिक भार डाल रही है और सरकारी संसाधनों का दुरुपयोग हो सकता है.
स्कीम पर पुनर्विचार का कोई इरादा नहीं: सीएम सिद्धारमैया
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