जिम ट्रेनर की साजिश, कारोबारी की पत्नी और मर्डर... पुलिस की कहानी में उलझ गई एकता गुप्ता के कत्ल की गुत्थी
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अब जरा सोचिए एक क़ातिल पूरे शहर को छोड़कर एक लाश को दफ्नाने के लिए डीएम कंपाउंड को चुने तो फिर ऐसे में उस कातिल की सोच और दिलेरी को क्या कहेंगे? और उससे भी बड़ा सवाल ये कि कानपुर के डीएम साहब के जिले और शहर के लोगों की सुरक्षा को लेकर क्या कहेंगे?
Ekta Gupta Murder Mystery: कानपुर में डीएम कंपाउंड है. उसी में मौजूद है डीएम साहब का सरकारी बंगला. जिले में तमाम जज भी वहीं आस-पास के बंगलों में रहते हैं. ये कानपुर का सबसे सुरक्षित इलाका है, जहां 24 घंटे पुलिस का पहरा रहता है. इसी कानपुर में एक कातिल ने एक कत्ल किया. अब उसे लाश को ठिकाने लगाना था. और तभी उसकी नजर डीएम साहब के बंगले पर पड़ी. और इसके बाद जो हुआ उसने सबको हैरान कर दिया.
डीएम कंपाउंड में रहता है जिले का सबसे ताकतवर अफसर एक कहावत है कि हमारे देश में जिन तीन लोगों के पास सबसे ज्यादा पावर होती है वो हैं पीएम, सीएम और डीएम. पीएम का सिक्का पूरे देश में चलता है. सीएम का पूरे राज्य पर और डीएम का पूरे जिले पर. अब बात यूपी के कानपुर जिले की. वहां भी डीएम जिले का सबसे ताकतवर शख्स है. बस यूं समझ लीजिए कि पूरे जिले की कमान उसी शख्स के हाथों में है. कानपुर के डीएम यानी डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट यानी जिलाधिकारी हैं आईएएस अधिकारी राकेश कुमार सिंह. जहां उनका सरकारी आवास है, उस पूरे इलाके को डीएम कंपाउंड भी कहते हैं. डीएम साहब के दायें बांये अगल-बगल जो घर हैं, उनमें कानपुर के तमाम जज रहते हैं.
डीएम कंपाउंड की सुरक्षा में सेंध बस इसी से आप अंदाजा लगा लीजिए कि पूरे कानपुर शहर का ये छोटा सा हिस्सा कितना वीवीआईपी और कितना सुरक्षित होगा. ये वो इलाका है जहां आम लोग तो घुस भी नहीं सकते. हर घर हर रस्ते चौराहे पर चौबीसों घंटे पुलिस वालों की ड्यूटी होती है. अब जरा सोचिए एक क़ातिल पूरे शहर को छोड़ कर एक लाश को दफ्नाने के लिए इसी डीएम कंपाउंड को चुने तो फिर ऐसे में उस कातिल की सोच और दिलेरी को क्या कहेंगे? और उससे भी बड़ा सवाल ये कि इन डीएम साहब के इस शहर और शहर के लोगों की सुरक्षा को लेकर क्या कहेंगे?
रात के अंधेरे में डीएम कंपाउंड पहुंची पुलिस शनिवार की रात थक कर अब रविवार की आगोश में जाने वाली थी. एक बज चुका था. रात के अंधेरे में बहुत कुछ छुपा दी जाती है. लिहाजा, कानपुर पुलिस भी अपनी इज्जत छुपाने के लिए रात के इसी अंधेरे में पूरे लाव लश्कर के साथ डीएम साहब के बंगले पर पहुंचती है. बंगले के बराबर में एक दीवार है. दीवार के पास एक खाली जगह. ये जगह भी डीएम कंपाउंड का ही एक हिस्सा है. पोस्टमार्टम हाउस के मुलाजिम, मजदूर, मुर्दे को ले जाने वाली गाड़ी और खुदाई के लिए जरूरी तमाम औज़ार लिए कानपुर पुलिस के छोटे बड़े अफसर यहां पहुंच चुके थे. उन्हें फिक्र बस एक ही थी. किसी तरह मीडिया को उनके यहां आने की खबर न लगे.
मौका पर जा पहुंची थी 'आज तक' की टीम लेकिन मीडिया तो मीडिया ठहरा. पुलिस वालों को सूंघते हुए मौके पर पहुंच गई. गेट अंदर से बंद था. अंदर घुसने का कोई दूसरा रास्ता नहीं. लिहाजा, हमारे रिपोर्टर ने दीवार पर चढ़ कर ही रिपोर्टिंग शुरू कर दी. कल को कानपुर पुलिस या डीएम साहब इस कहानी को झुठला न दें, इसीलिए हमारे रिपोर्टर सिमर चावला ने अपने कैमरामैन शिवम शुक्ला के कैमरे के जरिए ये पहले ही बता दिया कि ये रहा डीएम साहब का बंगला और आस-पास रहने वाले जजों के घर और उनके बीच जारी रात के अंधेरे में कानपुर पुलिस की ये खुदाई चल रही है.
पांच फीट गहरे गड्ढे से निकला महिला का कंकाल खैर, इन सबके बीच खुदाई चलती रही. करीब पांच फीट गहरा गड्ढा खुदने के बाद आखिरकार पुलिस को जिस चीज की तलाश थी, वो बाहर आ गई. इसी साल 24 जून यानी पिछले चार महीने से लापता कानपुर के एक बिजनेसमैन की पत्नी 32 साल की एकता गुप्ता कंकाल की शक्ल में गड्ढे से बाहर निकाली जा चुकी थी. मुर्दाघर से साथ लाए पॉलीथिन में कंकाल के नाम पर बरामद हड्डियों को लपेटा जाता है. इसके बाद अस्पताल के मुर्दा वैन में उसे रख कर रात के अंधेरे में ही कानपुर पुलिस के जवान और अफसर अपनी-अपनी गाड़ियों में बैठ कर डीएम कंपाउंड से रवाना हो जाते हैं.
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