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कंगना की 'इमरजेंसी' पर लगी रोक, सेंसर बोर्ड पर भी है सवाल, मौके पर क्यों हुआ सर्टिफिकेट का बवाल?
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विवादों के बाद आखिरकार कंगना की फिल्म 'इमरजेंसी' का सर्टिफिकेट लास्ट मोमेंट में अटक गया. अगर बोर्ड को 'इमरजेंसी' को पास कर देने के बाद, सर्टिफिकेट रोककर, राजनीतिक दखल के बाद फिल्म में दोबारा बदलाव का ख्याल आया, तो क्या इससे खुद बोर्ड के काम करने के तौर तरीकों पर संशय नहीं पैदा होता?
कंगना रनौत की फिल्म 'इमरजेंसी' 6 सितंबर को थिएटर्स में रिलीज होने के लिए तैयार थी. 14 अगस्त को फिल्म का ट्रेलर आया और ट्रेलर आने के बाद 'इमरजेंसी' को लेकर विवाद खड़ा हो गया. ट्रेलर आने के बाद पंजाब में फिल्म के खिलाफ प्रदर्शन हुए और इसपर बैन लगाने की मांग होने लगी.
धीरे-धीरे सोशल मीडिया पर भी 'इमरजेंसी' का विरोध बढ़ने लगा. फिल्म पर आरोप है कि ये सिख समुदाय को गलत तरीके से दिखा रही है, जो उनकी छवि के लिए 'अपमानजनक' है. शुक्रवार को कंगना ने सोशल मीडिया पर वीडियो शेयर करते हुए कहा कि सेंसर बोर्ड ने उनकी फिल्म को क्लीयरेंस दे दिया था, लेकिन अब सर्टिफिकेट नहीं इशू कर रहा.
आखिरकार खबर आ गई कि 'इमरजेंसी' अब सेंसर सर्टिफिकेट के चलते टल चुकी है. अपनी फिल्म अटकने से नाराज कंगना ने एक इंटरव्यू में इस मामले पर यहां तक कह दिया कि उनकी 'इमरजेंसी' पर ही इमरजेंसी, यानी सेंसरशिप लग गई है. लेकिन कंगना की फिल्म के साथ सेंसर बोर्ड का बर्ताव, बोर्ड के तौर तरीकों पर भी सवाल उठाता है. कैसे? आइए बताते हैं...
सेंसर बोर्ड के पाले में कैसे पहुंचा विवाद? शिरोमणि अकाली दल की दिल्ली यूनिट ने फिल्म को लेकर सेंसर बोर्ड और कंगना के प्रोडक्शन हाउस को नोटिस भेजा. नोटिस में कहा गया कि कंगना रनौत 'सिख विरोधी रेटोरिक के लिए कुख्यात हैं' और उन्होंने 'सिख समुदाय को निशाना बनाने के लिए इमरजेंसी का सब्जेक्ट चुना है.'
नोटिस में फिल्म सेंसर बोर्ड और बोर्ड चेयरमैन से अपील की गई कि वो तत्काल प्रभाव से फिल्म का सेंसर सर्टिफिकेशन रद्द करें और इसकी रिलीज को ब्लॉक करें. शिरोमणि अकाली दल की दिल्ली इकाई ने इस नोटिस में ये भी कहा कि ये फिल्म सामुदायिक विवाद बढ़ा सकती है और गलत जानकारियों को बढ़ावा दे सकती है.
द प्रिंट की एक रिपोर्ट के अनुसार, कंगना की अपनी पार्टी, बीजेपी से, पंजाब यूनिट के जनरल सेक्रेटरी जगमोहन सिंह ने भी सूचना प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव को लेटर लिखा था. सेंसर बोर्ड, इसी मंत्रालय के अंडर काम करता है और अपने लेटर में जगमोहन ने, 'सेंसर सर्टिफिकेट देने से पहले फिल्म के कंटेंट को लेकर अतिरिक्त सावधानी बरतने' की रिक्वेस्ट की थी. इसी रिपोर्ट में एक सीनियर बीजेपी लीडर ने कहा कि वे फिल्म के खिलाफ नहीं हैं. पर उन्होंने यह भी कहा कि 'फिल्म के कुछ सीन जो सिख समुदाय पर आक्षेप लगाते हैं वो पार्टी के लिए अच्छे नहीं होंगे.'