
Shinzo Abe Death: हिम्मत वाले थे शिंजो आबे, चीन से मुकाबले के लिए बना रहे थे नया जापान
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आबे दूसरे विश्व युद्ध (Second World War) के बाद जापान के सबसे लोकप्रिय नेताओं में से एक रहे थे. उन्हें शांत स्वभाव के अलावा इकोनॉमी को उबारने वाली नीति आबेनॉमिक्स (Abenomics) और मजबूत विदेश नीति समेत कई उपलब्धियों (Shinzo Abe Major Accomplishments) के लिए याद किया जाता रहा है.
जापान के पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो आबे (Former Japanese Prime Minister Shinzo Abe) शुक्रवार को एक हमले में गोली का शिकार होने के बाद अंतत: जिंदगी की जंग हार गए. वह जापान के नारा (Shinzo Abe Nara) शहर में एक चुनाव प्रचार कार्यक्रम के तहत सड़क पर लोगों को संबोधित कर रहे थे. इसी दौरान एक अज्ञात हमलावर ने पीछे से उनके ऊपर गोली चला दी. गोली लगने के कुछ ही देर बाद शिंजो आबे होश खो बैठे. उन्हें एयर एंबुलेंस से अस्पताल ले जाया गया, जहां इलाज के क्रम में उनकी मौत हो गई. जापान जैसे बेहद कम क्राइम रेट वाले देश में पूर्व प्रधानमंत्री के ऊपर इस तरह के हमले ने पूरी दुनिया को चौंका दिया. आबे दूसरे विश्व युद्ध (Second World War) के बाद जापान के सबसे लोकप्रिय नेताओं में से एक रहे थे. उन्हें शांत स्वभाव के अलावा इकोनॉमी को उबारने वाली नीति आबेनॉमिक्स (Abenomics) और मजबूत विदेश नीति समेत कई उपलब्धियों (Shinzo Abe Major Accomplishments) के लिए याद किया जाता रहा है.
पूरी दुनिया में शोक की लहर
आबे दूसरे विश्व युद्ध (Second World War) के बाद उन चुनिंदा नेताओं में शामिल रहे, जिन्हें दो-दो बार जापान का प्रधानमंत्री बनने का मौका मिला. उन्हें इकोनॉमी को उबारने के प्रयासों के अलावा जापान की सैन्य क्षमता बढ़ाने और चीन के बढ़ते दबदबे का कड़ा विरोध करने के लिए जाना जाता रहा है. जापान के सरकारी न्यूज चैनल एनएचके (NHK) के अनुसार, 67 साल के आबे नारा शहर में आगामी चुनाव को लेकर एक प्रचार कार्यक्रम में लोगों को संबोधित कर रहे थे. इसी दौरान एक अज्ञात हमलावर ने पीछे से उनके ऊपर गोली चला दी. आबे के ऊपर यह अप्रत्याशित हमला क्यों किया गया, इसकी वजह का अभी पता नहीं चल पाया है. अब मौत की खबर आने के बाद जहां एक ओर जापान में शोक की लहर है, वहीं दुनिया भर के नेता दिवंगत आत्मा की शांति की प्रार्थना कर रहे हैं.
दो बार बने जापान के प्रधानमंत्री
आबे पहली बार साल 2006 में जापान के प्रधानमंत्री बने थे. इसके साथ ही उनके नाम जापान के सबसे युवा प्रधानमंत्री (Youngest Prime Minister Of Japan) का खिताब जुड़ गया था. हालांकि उनका पहला कार्यकाल लंबा नहीं चल पाया और अगले ही साल यानी 2007 में आबे को इस्तीफा देना पड़ गया. इसके बाद साल 2009 में उनकी कंजरवेटिव पार्टी चुनाव हार गई. साल 2012 में वह दोबारा प्रधानमंत्री बने, जब उनकी अगुवाई में कंजरवेटिव पार्टी ने जीत हासिल की. उन्होंने चुनाव के दौरान जापान के लोगों से इकोनॉमी को मजबूत बनाने, डिफ्लेशन पर लगाम लगाने, दूसरे विश्व युद्ध के बाद लागू संविधान की पाबंदियों को कम करने और पारंपरिक मूल्यों को बहाल करने का वादा किया था.
इकोनॉमी के लिए 'आबेनॉमिक्स' मंत्र

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