
Share Market History: बरगद का पेड़... 1 रुपये एंट्री फीस, 5 लोगों ने मिलकर कैसे की थी BSE की शुरुआत, दिलचस्प है कहानी
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History of BSE : साल 1850 में शेयर बाजार की शुरुआत एक बरगद के पेड़ के नीचे मानी जाती है, दरअसल मुंबई के टाउनहॉल के सामने लगे इस पेड़ के नीेचे प्रमुख रूप से कपास के कारोबार के लिए सौदे किए जाते थे. इसी समय चार गुजराती और एक पारसी व्यक्ति ने शेयर बाजार की नींव रखी थी.
भारतीय शेयर बाजार आज दुनिया के टॉप-5 Share Market में शामिल है. इसे एशिया का सबसे पुराना स्टॉक एक्सचेंज भी कहा जाता है. आजादी से बहुत पहले एक पेड़ के नीचे इसकी नींव पड़ी और आज बीएसई और एनएसई का नाम दुनिया में मशहूर है. बात करें बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) की तो, इसके शुरुआत की कहानी 1850 से जुड़ी है, जब पांच लोगों ने एक कदम आगे बढ़ाकर शेयर ब्रोकिंग की शुरुआत की थी. आज मार्केट वैल्यू के हिसाब से बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज दुनिया का 11वां सबसे बड़ा स्टॉक एक्सचेंज बन चुका है. आइए इसके उदय से अब तक के पूरे सफर पर नजर डालते हैं...
बरगद के पेड़ के नीचे पड़ी नींव साल 1850 में शेयर बाजार की शुरुआत एक बरगद के पेड़ के नीचे मानी जाती है, दरअसल इस जगह पर प्रमुख रूप से कपास के कारोबार के लिए सौदे किए जाते थे. इसी समय चार गुजराती और एक पारसी व्यक्ति ने मुंबई के टाउन हॉल के सामने लगे इस पेड़ के नीचे विभिन्न कारोबारियों के साथ बैठक करना शुरू कर दिया. चर्चगेट इलाके में हार्निमन सर्कल के टाउनहॉल के पास इस पेड़ के नीचे दलाल इकट्ठा होते थे और शेयरों का सौदा करते थे. पांच साल बाद यानी 1855 में इन लोगों ने ब्रोकर्स की संख्या बढ़ने पर इस काम के लिए एक ऑफिस भी खरीद लिया, जिसे आज 'बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज' के नाम से जाना जाता है.
ऐसे फेमस होती गई दलाल स्ट्रीट ये दलाल मुंबई के मेडोज स्ट्रीट और एमजी रोड जंक्शन पर भी जुटने लगे. यह जगह धीमे-धीमे दलाल स्ट्रीट के रूप में विख्यात हो गई. ब्रोकर्स की संख्या में दिनों-दिन इजाफा होता गया और 1975 में द नेटिव शेयर एंड स्टॉक ब्रोकर्स एसोशियसन अस्तित्व में आया. इसे आधिकारिक स्टॉक एक्सचेंज की शुरुआत माना जाता है, जो अब बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज के रूप में जाना जाता है. उस समय 318 लोगों ने एक रुपये प्रवेश शुल्क के साथ इस एसोसिएशन को गठित किया था.
इन्हें जाता है BSE की शुरुआत का श्रेय बॉम्बे के कॉटन किंग कहे जाने वाले कारोबारी प्रेमचंद रायचंद जैन को बीएसई का जनक कहा जाता है, वे नेटिव शेयर एंड स्टॉक ब्रोकर्स एसोसिएशन के फाउंडर मेंबर थे. सालों तक इसी तरह से खरीद-फरोख्त का सिलसिला चलता रहा और भारत को आजादी मिलने के 10 साल बाद 1957 में सरकार ने इसे सिक्योरिटीज कॉन्ट्रैक्ट रेगुलेशन एक्ट के तहत मान्यता दे दी. इसके बाद 1986 में बीएसई का सेंसेक्स (BSE Sensex) शुरू हुआ, जिसका बेस ईयर 1978-79 और बेस प्वाइंट 100 रखा गया.
निवेशकों की तादाद 11 करोड़ के पार बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज का सेंसेक्स की भारतीय इकोनॉमी को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका है. अलग-अलग सेक्टर्स की 30 बड़ी कंपनियों के शेयरों को मैनेज करने का काम करता है. इसके अलावा बीएसई में 5,000 से अधिक कंपनियां रजिस्टर्ड हैं. जर्मनी स्थित ड्यूश बोर्स और सिंगापुर एक्सचेंज बीएसई के स्ट्रेटेजिक पार्टनर के रूप में जुड़े हुए हैं. इसके निवेशकों की संख्या अब बढ़कर 11 करोड़ के पार पहुंच चुकी है. जबकि स्टॉक मार्केट साइज के हिसाब से भारतीय शेयर बाजार ये दुनिया में पांचवां बड़ा बाजार है.
1990 में सेंसेक्स पहली बार 1000 के स्तर पर साल 1990 से अब तक बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज ( BSE) के सेंसेक्स में 60 गुना से ज्यादा का उछाल आया है. 25 जुलाई 1990 में सेंसेक्स ने 1,000 का स्तर छुआ था और फिलहाल 63,244 के लेवल पर पहुंच चुका है. यहां बता दें 1,000 का स्तर छूने के बाद 6 फरवरी 2006 को सेंसेक्स 10,000 के लेवल पर पहुंचा था. यानी इस आंकड़े को छूने में इसे 16 साल का समय लग गया. इसके 15 साल बाद 24 सितंबर 2021 को ये 10,000 से 60,000 तक के स्तर पर पहुंच गया.

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