
PPF खाताधारक की अचानक मौत पर बंद हो जाता है खाता, जानिए किसे मिलेगा पैसा?
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PPF Rule: पब्लिक प्रोविडेंट फंड (PPF) में आप निवेश कर एक मोटा फंड तैयार कर सकते हैं. PPF स्कीम की मैच्योर होने की अवधि 15 साल है. खाताधारक इमरजेंसी में भी पैसे निकाल सकते हैं. लेकिन पूरा पैसा नहीं मिलता है. इस स्कीम में निवेश की राशि सुरक्षित रहती है.
पब्लिक प्रोविडेंट फंड (PPF) सरकार की छोटी सेविंग स्कीम है. इस स्कीम में निवेश करने वाले को गारंटीड रिटर्न मिलता है. PPF में निवेश करने वाले इनकम टैक्स एक्ट की धार 80C के तहत आयकर छूट के लिए क्लेम कर सकते हैं. एक फाइनेंसियल ईयर में 1.5 लाख रुपये तक की छूट मिल सकती है. PPF में आपकी निवेश की राशि सुरक्षित रहती है और साथ ही शानदार रिटर्न भी मिलता है. अधिकतर लोग जॉब के दौरान ही PPF अकाउंट खुलवा लेते हैं. लेकिन PPF के मैच्योर होने से पहले ही किसी अकाउंट होल्डर की मृत्यु हो जाती है, तो इस स्थिति में उसके निवेश किए हुए पैसे किसे मिलते हैं?
कितना मिलता है रिटर्न?
फिलहाल PPF में निवेश की रकम पर 7.10 फीसदी की दर से ब्याज मिल रहा है. हालांकि, इस स्कीम पर मिलने वाले ब्याज को सरकार हर तीन महीने पर बदल सकती है. PPF 15 साल में मैच्योर होता है, लेकिन इसे आगे भी बढ़ाया जा सकता है. इस स्कीम की सबसे बड़ी खासियत ये है कि चक्रवृद्धि ब्याज के हिसाब से रिटर्न मिलता है. मतलब ये कि आप स्कीम में जितना समय देंगे, आपका पैसा उतनी तेजी से बढ़ेगा. इस सरकारी स्कीम आप सालाना कम से कम 500 रुपये कर निवेश कर सकते हैं और मैक्सिमम निवेश के लिए 1.50 लाख की लिमिट है.
किसे मिलता है पैसा?
अब मान लीजिए कि किसी ने PPF में निवेश की शुरुआत की. हर महीने वो इस स्कीम में निवेश के पैसे डाल रहा है. लेकिन जब स्कीम आठ साल की अवधि तक पहुंचती है, तो खाताधारक की किसी वजह से मृत्यु हो जाती है. ऐसी स्थिति में PPF खाते में जमा राशि उसके नॉमिनी को दे दी जाती है. इस कंडीशन में मैच्योरिटी पूरा होने के नियम नहीं लागू होते हैं. खाताधारक की मृत्यु के बाद पूरा पैसा नॉमिनी को सौंप दिया जाता है. इसके बाद खाता को क्लोज कर दिया जाता है.
कैसे होता है क्लेम सेटेलमेंट?

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