
Naresh Goyal: 300 रुपये की नौकरी से जेट एयरवेज तक की उड़ान, अब जज से गुहार... अर्श से फर्श पर आए नरेश गोयल की कहानी
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Naresh Goyal और उनकी पत्नी अनीता गोयल के नेतृत्व में 5 मई 1993 को जेट एयरवेज की बोइंग विमान ने रन-वे से अपनी नोज उठाकर आसमान की तरफ देखा और फिर बादलों से बात करने के लिए उनमें खो गया. जी हां यही वो तारीख है जब Jet Airways ने अपने कमर्शियल ऑपरेशन की शुरुआत की थी.
बैंक धोखाधड़ी के मामले में फंसे जेट एयरवेज (Jet Airways) के संस्थापक नरेश गोयल (Naresh Goyal) आज अदालत में जज के सामने 'हाथ जोड़कर' गुहार लगा रहे हैं, वे कह रहे हैं कि 'मैंने जीवन की हर उम्मीद खो दी है' और अपनी वर्तमान स्थिति में जीने के बजाय जेल में मरना पसंद करेंगे. अब सवाल ये कि कैसे एक एयरलाइंस का मालिक इस हालात में पहुंच गया? तो इसके पीछे एक लंबी कहानी है जो बेहद ही दिलचस्प भी है. कैसे महीने में 300 रुपये की सैलरी वाला एक व्यक्ति करोड़ों रुपये की एयरलाइंस का मालिक बन गया और फिर एक झटके में कैसे अर्श से फर्श पर आ गिरा?
300 रुपये महीने पर शुरू की थी नौकरी देश की आजादी के दो वर्ष बाद साल 1949 में पंजाब के संगरूर में एक आभूषण व्यापारी के घर जन्मे नरेश गोयल (Naresh Goyal) का बचपन बेहद मुश्किलों में गुजरा था. पिता का साया बचपन में ही उठ चुका था और महज 11 साल की उम्र में उनके सिर से छत भी छिन गई थी, क्योंकि परिवार ऐसे मुश्किल आर्थिक संकट में फंसा था कि घर तक की नीलामी हो गई. 1967 में जब नरेश गोयल 17-18 साल के थे और पटियाला के बिक्रम कॉलेज ऑफ कॉमर्स से ग्रेजुएशन कर रहे थे, तब जिम्मेदारियों और घर की आर्थिक जरूरतों को पूरा करने के लिए उन्हें नौकरी शुरू करनी पड़ी. उन्होंने अपने मामा सेठ चरण दास राम लाल की ईस्ट वेस्ट नाम की ट्रैवल एजेंसी में 300 रुपये महीने पर नौकरी की शुरुआत की.
नौकरी करने हुए ट्रैवल बिजनेस की बारीकियां सीखीं ट्रैवल एजेंसी में काम करते हुए नरेश गोयल 1967 से 1974 तक कई विदेशी एयरलाइनों के साथ जुड़े रहे. इस दौरान उन्होंने ट्रैवल बिजनेस की बारिकियों को समझा. कारोबार के सिलसिले में खूब विदेशी यात्राएं भी कीं. साल 1969 में इराकी एयरवेज ने नरेश गोयल को अपना जनसंपर्क प्रबंधक नियुक्त किया. साल 1971 से 1974 तक ALIA, रॉयल जॉर्डनियन एयरलाइंस के रिजनल मैनेजर के रूप में काम किया. मिडिल ईस्ट एयरलाइंस (MEA) के भारतीय ऑफिस में भी नरेश गोयल ने काम किया. यहां उन्होंने टिकटिंग, रिजर्वेशन और सेल समेत ट्रैवलिंग बिजनेस के कई अहम पहलुओं को समझा.
15000 रुपये उधार मांग शुरू किया बिजनेस टैवल बिजनेस की बारीकियों को समझते हुए उन्होंने अपना कारोबार शुरू करने का मन बना लिया और फिर में साल 1974 में उन्होंने अपनी मां से करीब 15,000 रुपये लेकर जेट एयर नाम से अपनी खुद की ट्रैवल एजेंसी स्टार्ट कर दी. जेट एयर एजेंसी एयर फ्रांस, ऑस्ट्रियन एयरलाइंस और कैथे पैसिफिक जैसी कंपनियों का प्रतिनिधित्व करती थी. गोयल का ये कदम मील का पत्थर साबित हुआ और उनका कारोबार चल निकला. फिर जैसे-जैसे साल बदले और दशक बदले उनका कारोबार बढ़ता चला गया. 90 के शुरुआती दशक में देश की इकोनॉमी मुश्किल दौर में थी और तत्कालीन प्रधानमंत्री पी. वी. नरसिम्हा राव के नेतृत्व वाली सरकार ने ओपन स्काई पॉलिसी को हरी झंडी दे दी. इस मौके को नरेश गोयल ने हाथों-हाथ लिया और घरेलू ऑपरेशन के लिए एयर टैक्सी की शुरुआत कर दी.
1993 में Jet Airways की शुरुआत इसके बाद नरेश गोयल ने पीछे मुड़कर नहीं देखा, एयर टैक्सी की शुरुआत के दो साल के भीतर उनके बेड़े में चार विमान शामिल हो चुके थे. फिर 5 मई 1993 को जेट एयरवेज की बोइंग विमान ने रन-वे से अपनी नोज उठाकर आसमान की तरफ देखा और फिर बादलों से बात करने के लिए उनमें खो गया. जी हां यही वो तारीख है जब जेट एयरवेज (Jet Airways) ने अपने कमर्शियल ऑपरेशन की शुरुआत की थी. घरेलू मार्केट में जेट एयरवेज ने तेजी से अपने पैर पसारे और साल 2002 में तो इसने भारतीय एविएशन मार्खेट में हिस्सेदारी के मामले में इंडियन एयरलाइंस तक को पीछे छोड़ दिया.
एयर सहारा खरीदने के बाद पलटने लगे हालात साल 2005 में एयरलाइन ने कैपिटल मार्केट में एंट्री ली और 20 फीसदी हिस्सेदारी के साथ नरेश गोयल की कुल संपत्ति (Naresh Goyal Net Worth) 8,000 करोड़ रुपये के पार निकल गई. कंपनी ने अपना आईपीओ भी पेश किया और इसके आने के बाद नरेश गोयल देश के सबसे अमीरों में शामिल हो गए, उन्हें Forbs ने 16वें नंबर पर रखा था. अपना कारोबार बढ़ाने के लिए उन्होंने 2006 में एयर सहारा एयरलाइन को 1,450 करोड़ रुपये में खरीदा, जिसमें जेट एयरवेज को 27 विमान और 12 फीसदी हिस्सेदारी के साथ कुछ इंटरनेशनल रूट्स भी मिले. लेकिन इस डील को ही जेट एयरवेज के लिए बुरे दिन की शुरुआत माना जाने लगा.

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