Narayana Murthy: 'मैंने खुद किया 85-90 घंटे काम'... 70 घंटे वाले बयान के बाद फिर बोले इंफोसिस को-फाउंडर नारायण मूर्ति
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70 घंटे के काम वाले बयान के बाद इंफोसिस के संस्थापक Narayana Murthy ने कहा कि मैंने खुद 85 से 90 घंटे तक काम किया. उन्होंने कहा कि मेरे माता-पिता ने गरीबी से बचने के लिए बहुत पहले ही कड़ी मेहनत करना सिखाया था.
इंफोसिस के संस्थापक (Infosys Founder) नारायण मूर्ति (Narayana Murthy) हफ्ते में 70 घंटे काम वाले अपने बयान पर कायम हैं. उन्होंने कहा कि अगर गरीबी दूर करनी है तो ज्यादा काम करना एकमात्र तरीका है. उन्होंने आगे कहा कि वे खुद हफ्ते में 85-90 घंटे तक काम करते थे, जो समय की बर्बादी नहीं है. उन्होंने अपनी बात दोहराते हुए कहा कि भारतीय युवाओं को कम से कम 70 घंटे तो काम करना ही चाहिए.
सुबह 6:20 बजे से करता था काम नारायण मूर्ति (Narayana Murthy) ने ईटी को दिए इंटरव्यू में कहा ''मैं सुबह 6:20 बजे ऑफिस में होता था, शाम 8:30 बजे ऑफिस छोड़ देता था और हफ्ते में छह दिन काम करता था.'' मूर्ति ने बताया कि शुरुआती दिनों से लेकर 1994 तक वे हफ्ते में 85 से 90 घंटे से ज्यादा समय तक काम किया. उन्होंने आगे कहा कि जो भी आज सफल या समृद्ध हुआ है, उसने कड़ी मेहनत की है.
माता-पिता ने सिखाया गरीबी से बचने का तरीका Infosys के संस्थापक ने कहा कि उनके माता-पिता कड़ी मेहनत (Hard Work) में विश्वास करते थे और मुझे बहुत पहले ही सिखाया था कि गरीबी से बचने का एकमात्र तरीका कड़ी मेहनत करना है. Narayana Murthy का कहना है कि काम के प्रत्येक घंटे से ज्यादा से ज्यादा उत्पादकता मिलती है. ऐसे में युवाओं को सप्ताह के दौरान कम से कम 70 घंटे काम करना चाहिए.
नारायण मूर्ति ने युवाओं को क्या दी थी सलाह Narayana Murthy ने अक्टूबर में कहा था कि अगर भारत को तेजी से ग्रोथ (Indian Economy Growth) करना है तो युवाओं को हर हफ्ते के दौरान 70 घंटे काम करना होगा, ये सप्ताह में 6 दिन तक लगातार करना होगा यानी कि करीब 12 घंटे हर दिन. इस बयान के बाद से देश में तेज बहस छिड़ गई. कुछ लोग नारायण मूर्ति के विचारों से सहमत हुए तो वहीं कुछ ने इसका विरोध किया. दूसरों का मानना था कि काम करने का समय नहीं, बल्कि गुणवत्ता पर ध्यान देना आवश्यक है.
जापान का दिया उदाहरण नारायण मूर्ति ने जापान (Japan) का उदाहरण देते हुए कहा कि वह देश इस कारण इतनी तेजी से आगे बढ़ पाया, क्योंकि द्वितीय विश्व युद्ध (Second World War) के बाद राष्ट्र निर्माण के लिए कड़ी मेहनत की और लंबे समय तक काम किया. उन्होंने कहा कि भारत ज्यादा समय तक काम करने के मामले में दुनिया में सबसे कम में से एक है. इस कारण युवाओं को अपनी जिम्मेदारी समझकर काम करना चाहिए.
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