9 साल में सबसे कम, इन 5 कारणों से अब लोग नहीं खुलवा रहे हैं डीमैट अकाउंट... शेयर बाजार से मोहभंग?
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वित्त वर्ष 2022-23 में डीमैट अकाउंट खुलने की संख्या में गिरावट आई है. ये इस बात का संकेत है कि शेयर मार्केट में रिटेल निवेशकों का रुझान कम हुआ है. इसके पीछे कई सारी वजहें हैं, जिन्होंने निवेशकों को प्रभावित किया.
फाइनेंसियल ईयर 2022-23 में शेयर बाजार (Share Market) में रिटेल निवेशकों की दिलचस्पी कम हुई. इस दौरान कम डीमैट अकाउंट (Demat Account) खुले हैं. इसके पीछे के कारण मार्केट में जारी उतार-चढ़ाव, मिड कैप और स्मॉल कैप शेयरों में कम रिटर्न, कड़े मार्जिन सिस्टम, अच्छे IPO की कमी और आईटी कंपनियों में हुई छंटनी है. इसके अलावा स्लोडाउन और FII की बिकवाली ने भी सेंटिमेंट को प्रभावित किया है. वित्त वर्ष 2014 के बाद यह पहली बार है, जब डीमैट अकाउंट के नेट ग्रोथ में गिरावट आई है.
कितने डीमैट अकाउंट खुले?
NSDL और CDSL के आंकड़ों के अनुसार, वित्त वर्ष 2023 में करीब 2.5 करोड़ डीमैट अकाउंट ओपन हुए. यानी हर महीने औसतन करीब 20 लाख खाते खुले. 12 महीनों में डीमैट खातों की संख्या में 27 फीसदी का इजाफा हुआ है. इस बढ़ोतरी के साथ डीमैट खातों की संख्या 8.97 करोड़ से बढ़कर 11.44 करोड़ हो गए. हालांकि, वित्त वर्ष 22 में डीमैट खातों की संख्या 63 फीसदी बढ़ी थी.
मार्केट के जानकारों का कहना है कि आकर्षक प्राइस वाले आईपीओ का नहीं खुलना, डेट इन्वेस्टमेंट पर बेहतर ब्याज दर और विदेशी निवेशकों की बिकवाली की वजह से निवेशकों का रुझान कम हुआ है. वित्त वर्ष 2020-21 और 2021-22 का अधिकतर समय निवेशकों के लिए फायदेमंद साबित हुआ था, क्योंकि कोविड महामारी के निचले स्तर पर पहुंचे स्टॉक में तेजी आई थी.
महंगाई ने भी किया प्रभावित
रूस-यूक्रेन के बीच जंग ने ग्लोबल सप्लाई चेन को बुरी तरह से प्रभावित किया. इस वजह से पूरी दुनिया में महंगाई तेज बढ़ोतरी हुई. फिर इस पर काबू पाने के लिए केंद्रीय बैंकों ने ब्याज दरों में इजाफा करना शुरू कर दिया. इसके चलते भी निवेशकों का सेंटिमेंट प्रभावित हुआ.
विदेशी वीज़ा रद्द होने से भारतीयों को भारी आर्थिक नुकसान हुआ है. पिछले एक साल में करीब ₹662 करोड़ की राशि डूब गई. न्यू ज़ीलैण्ड, ऑस्ट्रेलिया, ब्रिटेन और अमेरिका जैसे देशों ने सबसे ज्यादा वीज़ा रद्द किए. न्यू ज़ीलैण्ड ने 32%, ऑस्ट्रेलिया ने 30%, ब्रिटेन ने 17% और अमेरिका ने 16% भारतीयों के वीज़ा रद्द किए. इसके अलावा, शंघन वीज़ा रद्द होने से भी बड़ा नुकसान हुआ. वीज़ा रद्द होने पर न केवल वीज़ा फीस, बल्कि होटल और हवाई टिकट का पैसा भी डूब जाता है.