12 लोगों की क्षमता वाली नाव से कैसे बचाई 56 लोगों की जान, कैप्टन अनमोल की जुबानी मुंबई हादसे की आंखो-देखी
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कैप्टन श्रीवास्तव के जहाज़ में सिर्फ़ 12 लोगों को ले जाने की क्षमता थी, लेकिन उन्होंने अपने समुद्री अनुभव का इस्तेमाल करके जहाज़ का पूरा आकलन किया और 57 लोगों को जहाज़ पर ले गए. बचाए गए लोगों में एक सात साल का बच्चा भी था, जो श्रीवास्तव और जर्मन पर्यटकों द्वारा सीपीआर दिए जाने के बावजूद बच नहीं पाया.
जवाहरलाल नेहरू बंदरगाह प्राधिकरण के जहाज पायलट कैप्टन अनमोल श्रीवास्तव कुछ ही मिनटों में दुर्घटना स्थल पर पहुंच गए और अपनी नाव, जिसकी क्षमता केवल 12 लोगों की थी, का उपयोग करके 56 लोगों को बचा लिया.
मुंबई के गेटवे ऑफ इंडिया से एलिफेंटा के लिए रवाना हुई नील कमल नामक एक बोट 18 दिसंबर को नेवी के जहाज से टकरा गई, जिससे बोट डूब गई. इस दर्दनाक हादसे में 14 लोगों की मौत हुई. इस बोट पर उस समय 100 से ज्यादा लोग सवार थे.
जैसे ही हादसा हुआ तो नेवी को एक अलर्ट मिला और उसने अपने बचाव दल को तुरंत हादसे वाली जगह पर भेजा. पायलट कैप्टन अनमोल श्रीवास्तव घटना के कुछ ही मिनटों के भीतर घटनास्थल पर पहुंच गए और अपनी नाव, जिसकी क्षमता केवल 12 लोगों की थी, का उपयोग करके 56 लोगों की जान बचाई.
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हादसे के समय नजदीक में ड्यूटी पर थे कैप्टन श्रीवास्तव
अगर कैप्टन श्रीवास्तव ने वीरतापूर्ण कार्य न किया होता तो मृतकों की संख्या और भी ज़्यादा होती. कैप्टन श्रीवास्तव, जो जवाहरलाल नेहरू बंदरगाह में आने-जाने वाले बड़े मालवाहक जहाजों का मार्गदर्शन का जिम्मा संभालते हैं, वह हादसे के दौरान ड्यूटी पर थे. उन्हें दोपहर 1.45 बजे एक मालवाहक जहाज को एस्कॉर्ट करना था, लेकिन कार्गो को लोड करने में समय लगने के कारण इसमें एक घंटे की देरी हो गई. जब वे जहाज को एस्कॉर्ट करने के बाद वापस बंदरगाह पर लौट रहे थे, तो उन्हें रेडियो पर डूबती हुई नौका के बारे में एक एसओएस कॉल मिली.