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हरियाणा में यूं ही नहीं जीत गई BJP, एक साल से चल रहा था खेल... सही निशाने पर लगे ये 7 तीर
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BJP Haryana Election Win: हरियाणा चुनाव को लेकर बीजेपी ने करीब एक साल पहले से ही रणनीति बनानी शुरू कर दी थी. वैसे कहा भी जाता है कि बीजेपी हमेशा ही इलेक्शन मोड में रहती है.
हरियाणा विधानसभा चुनाव के परिणामों के साथ ही सारे पूर्वानुमान भी फेल हो गए. सूबे में एक बार फिर भी प्रचंड जीत के साथ बीजेपी की वापसी हुई है, इतिहास भी बना. प्रदेश में लगातार तीसरी बार एक ही पार्टी की सरकार बनने जा रही है. अक्सर ऐसे मौके कम आते हैं, 10 साल तक सत्ता में रहने के बाद किसी भी दल के लिए वापसी काफी मुश्किल होती है. खासकर हरियाणा जैसे राज्य में.
हरियाणा में हैट्रिक के पीछे की कहानी
दरअसल हरियाणा के रिजल्ट ने सबको चौंकाया. एंटी इनकम्बेंसी जैसी कोई चीज नजर नहीं आई और अब कांग्रेस हार पचा नहीं पा रही है. क्योंकि लोकसभा चुनाव के बाद देश में ये पहला चुनाव हुआ, खुमारी वही थी. कांग्रेस को लग रहा था कि लोकसभा चुनाव में मामला फिफ्टी-फिफ्टी पर जा टिका तो विधानसभा चुनाव में बाजी मार ले जाएंगे. कुछ कांग्रेस नेता इतने उत्साहित हो गए कि कहने लगे- लोकसभा चुनाव में बीजेपी कर दिया हाफ, और विधानसभा में कर देंगे साफ. बता दें, लोकसभा चुनाव में बीजेपी और कांग्रेस दोनों को 5-5 सीटें मिली थीं.
दरअसल सियासी पिच पर बीजेपी की असली तैयारी की शुरूआत तो एक साल पहले ही हो चुकी थी. हरियाणा चुनाव को लेकर बीजेपी ने करीब एक साल पहले से ही रणनीति बनानी शुरू कर दी थी. वैसे कहा भी जाता है कि बीजेपी हमेशा ही इलेक्शन मोड में रहती है. तीसरी बार हरियाणा जीतने के लिए एक-एक कड़ी जोड़ी जा रही थी. इस कड़ी में बीजेपी ने 7 ऐसे फैसले लिए, जिन्होंनें विधानसभा चुनाव में बीजेपी की राह आसान कर दी.
1. आखिरी मौके पर CM बदलना इस कड़ी बीजेपी ने सबसे पहले हरियाणा का चेहरा बदलने का फैसला किया. इसी साल मार्च का महीना था, सामने लोकसभा चुनाव था, पहले बीजेपी ने CM मनोहर लाल खट्टर का इस्तीफा करवाया और फिर एक साल से चल रही तैयारियों की कड़ी में नायब सिंह सैनी का नाम सामने आया. 12 मार्च 2024 को भाजपा के तत्कालिक प्रदेश अध्यक्ष नायब सिंह सैनी को हरियाणा का नया मुख्यमंत्री घोषित कर दिया. साढ़े 9 साल तक मनोहर लाल खट्टर CM रहे थे, लेकिन चुनाव से ठीक 6 महीने पहले सैनी को कमान सौंपकर बीजेपी ने सरकार की प्रति जनता की नाराजगी कम कर दिया. सैनी बेहद ही मिलनसार छवि के माने जाते हैं, जबकि खट्टर की अनुशासन वाली छवि थी. यही नहीं, रणनीति के तहत ही मनोहर लाल खट्टर के चेहरे को प्रचार से दूर रखा गया, ताकि लोगों में उनको लेकर किसी भी तरह की नाराजगी सामने न आए.
2. जातीय समीकरण के हिसाब से सैनी फिट नायब सिंह सैनी की छवि बिल्कुल साफ-सुथरी है. बीजेपी को लगा कि अगर सैनी पर दांव लगाया जाता है तो हरियाणा में अलग 3 से 4 फीसदी वोट को अपने पक्ष में किया जा सकता है. क्योंकि नायब सैनी ओबीसी समुदाय से आते हैं, जबकि मनोहर लाल खट्टर पंजाबी हैं. ऐसे में हरियाणा में OBC समुदाय को सैनी के जरिया साधना आसान हो जाएगा. जबकि दूसरी ओर कांग्रेस पूरी तरह से जाट पॉलिटिक्स के सहारे आगे बढ़ रही थी. बीजेपी को पता था कि जाट CM बनाने से घाटे का सौदा साबित हो सकता है, क्योंकि मुकाबले में दूसरी ओर भूपेंद्र सिंह हुड्डा हैं. ऐसे में 6 महीने के कार्यकाल में बीजेपी ने हरियाणा की राजनीति को बदल दी.
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अधिकारी भीड़ को काबू करने के लिए बैंक के बाहर खड़े लोगों को कूपन दे रहे हैं, ताकि वे अपने लॉकर खोल सके. हालांकि जिन लोगों के पैसे अकाउंट में जमा हैं, उन्हें पैसे निकालने की अनुमति नहीं है. कुछ लोगों की तो सैलरी अभी हाल ही में आई और वे पैसे भी नहीं निकाल पाए थे. उन्हें भी पैसे निकालने का परमिशन नहीं दिया गया है.