सरकारी कर्मचारियों को सैलरी देने का संकट... चीन के बाद अमेरिका में ये मुसीबत
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अमेरिका में ईंधन की कीमतें (US Fuel Price) काफी ज्यादा हैं. मंदी के मुहाने से निकलकर हाल के दिनों में तेजी के संकेत दिखाने वाली अमेरिकी अर्थव्यवस्था के लिए कर्ज का ये संकट रिकवरी के रास्ते को और लंबा बना सकता है.
चीन (China) के बाद अब अमेरिका की अर्थव्यवस्था (US Economy) पर भी कर्ज संकट का असर गहराने की आशंका तेज हो गई है. अमेरिका का कुल कर्ज (Debt On US) बढ़कर 33 ट्रिलियन डॉलर के पार निकल गया है. एक तिमाही में ये 1 ट्रिलियन डॉलर से ज्यादा बढ़ गया है. इससे आशंका है कि गवर्नमेंट शटडाउन के हालात बन सकते हैं.
अगर ऐसा हुआ तो फिर सरकार को अपने कर्मचारियों की तनख्वाह देने के लिए भी संकट का सामना करना पड़ेगा. गौरतलब है कि पहले से ही बैंकिंग संकट (America Banking Crisis) समेत दूसरी चुनौतियों के भंवर में फंसी अमेरिकी अर्थव्यवस्था को इससे एक और झटका लग सकता है.
संकट में अमेरिका की अर्थव्यवस्था अमेरिका में ईंधन की कीमतें (US Fuel Price) काफी ज्यादा हैं. वहां की ऑटो इंडस्ट्री के कर्मचारी हड़ताल पर हैं और महंगाई के थपेड़ों से आम अमेरिकी नागरिक परेशान हैं. मंदी के मुहाने से निकलकर हाल के दिनों में तेजी के संकेत दिखाने वाली अमेरिकी अर्थव्यवस्था के लिए कर्ज का ये संकट रिकवरी के रास्ते को और लंबा बना सकता है.
यही नहीं अभी तक केवल स्लोडाउन का सामना कर रही अमेरिकी इकोनॉमी इस संकट के बाद मंदी की चपेट में भी जा सकती है. जाहिर है अगर दुनिया की ये सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था मंदी के जाल में फंसती है तो फिर ग्लोबल इकॉनमी पर इसका भयानक असर हो सकता है.
कर्ज संकट-डिफॉल्ट के खतरे ने घटाई अमेरिका की रेटिंग अमेरिका का ये कर्ज संकट इस साल के मध्य में देश को डिफॉल्ट के मुहाने पर ले गया था. इसके बाद सरकार ने डिफॉल्ट लिमिट को बढ़ाकर जैसे तैसे इस मुश्किल को टाला था. लेकिन रेटिंग एजेंसियों ने इस बढ़ते कर्ज को देखते हुए अमेरिका की रेटिंग पर माथा-पच्ची शुरू कर दी थी. ग्लोबल रेटिंग एजेंसी फिच ने तो अगस्त में अमेरिका की रेटिंग AAA से घटाकर AA+ कर दी थी. एजेंसी ने देश के बढ़ते कर्ज की वजह से ऐसा किया था.
अमेरिका का ग्रॉस नेशनल डेट बेहद तेजी से बढ़ रहा है. पिछले तीन महीने में ही इसमें एक ट्रिलियन डॉलर की बढ़ोतरी हो चुकी है. बजट घाटा 1.5 ट्रिलियन डॉलर पर पहुंच गया है जो पिछले साल के मुकाबले 61 परसेंट ज्यादा है. फेड रिज़र्व ने जिस तरह से महंगाई को कंट्रोल करने के लिए लगातार ब्याज दरों में इजाफा किया है उससे सरकार के लिए कर्ज चुकाना काफी महंगा हो गया है. यही नहीं सरकार के पास कर्ज चुकाने की कोई ठोस योजना भी नजर नहीं आ रही है जो हालात को लगातार बिगाड़ रहे हैं.
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