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रेपो रेट का आप पर क्या असर पड़ता है? कैसे EMI बढ़ती-घटती है? समझें फॉर्मूला
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रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के रेपो रेट में इजाफा नहीं करने से लोगों ने राहत की सांस ली है. रेपो रेट में बढ़ोतरी का असर सीधा लोन पर पड़ता है और लोगों की EMI बढ़ जाती है. रेपो रेट का क्या है लोन कनेक्शन समझ लीजिए.
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने आखिरकार रेपो रेट (Repo Rate) में इजाफे पर फिलहाल के लिए ब्रेक लगा दिया है. अप्रैल के पहले हफ्ते में हुई मॉनिटरी पॉलिसी की बैठक (MPC) में रेपो रेट में किसी भी तरह का इजाफा नहीं किया गया. रेपो रेट 6.50 फीसदी पर बना रहेगा. एक अप्रैल से शुरू हुए नए फाइनेंसियल ईयर में MPC की ये पहली बैठक थी...जो तीन अप्रैल से शुरू होकर 6 अप्रैल तक चली. दरअसल, रेपो रेट बढ़ने से सभी तरह के लोन महंगे हो जाते हैं और EMI बढ़ जाती है. तो रेपो रेट का लोन और EMI से क्या कनेक्शन है...समझ लेते हैं.
महंगाई दर के आंकड़े को देखते हुए आशंका जताई जा रही थी कि रिजर्व बैंक इस बार भी रेपो रेट में बढ़ोतरी कर लोगों को झटका दे सकता है. लेकिन केंद्रीय बैंक ने लोगों को राहत दी है.
क्या होता है रेपो रेट?
रेपो रेट वो दर होती है, जिसपर रिजर्व बैंक अन्य बैंकों को कर्ज देता है. इसलिए जब रेपो रेट में इजाफा होता है, तो बैंकों को रिजर्व बैंक से महंगी दर पर कर्ज मिलता है. इस वजह से आम लोगों को मिलने वाला लोन भी महंगा हो जाता है. रिजर्व बैंक महंगाई दर पर काबू पाने के लिए रेपो रेट बढ़ाता है और लोन महंगे हो जाते हैं. लोन महंगा होने से इकोनॉमी में कैश फ्लो में गिरावट आती है. इससे डिमांड में कमी आती है और महंगाई दर घट जाती है. रेपो रेट के अलावा एक होता है रिवर्स रेपो रेट. रिवर्स रेपो रेट वो दर होती है, जिसके अनुसार रिजर्व बैंक अन्य बैंकों को डिपॉजिट पर ब्याज देता है.
कितना बढ़ा है EMI का बोझ?
रेपो रेट के घटने बढ़ने से लोन लेने वाले लोगों को पर कैसे बोझ बढ़ता है, इसे भी समझ लेते हैं. मान लीजिए कि किसी व्यक्ति ने अप्रैल 2022 में 30 लाख रुपये का होम लोन 20 साल के टेन्योर के लिए 6.7 फीसदी की ब्याज दर पर लिया था. इस रेट पर उसे प्रतिमाह 22,722 रुपये की ईएमआई (EMI) भरनी थी.
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