रूस-यूक्रेन युद्ध ने छीनी भारत के इस शहर की 'हीरे' जैसी चमक, 20 लाख लोगों के रोजगार पर संकट!
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तापी नदी के मुहाने पर बसे इस शहर को मूल रूप से एक बंदरगाह वाले नगर के तौर पर बसाया गया, लेकिन आजादी के बाद 60 और 70 के दशक में इसने Diamond City का रुतबा हासिल कर लिया.
रूस-यूक्रेन युद्ध (Russia-Ukraine War) के शुरू होने के बाद से दुनिया में काफी कुछ बदला है. गेहूं से लेकर कच्चा तेल और नेचुरल गैस की कीमतें आसमान छूने लगी. लेकिन भारत का एक शहर ऐसा भी है जिसकी 'हीरे' जैसी चमक इस युद्ध से उठे धूल के गुबार में खोती जा रही है. असर ये है कि इस शहर में काम करने वाले करीब 20 लाख लोगों के लिए रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है.
सूरत के 'हीरा उद्योग' का बुरा हाल जी हां, हम बात कर रहे हैं भारत की डायमंड सिटी (Diamond City of India) सूरत की, रूस और यूक्रेन के बीच छिड़े युद्ध ने इस शहर में हीरा पॉलिश करने के काम में लगे करीब 20 लाख हीरा कारीगरों के लिए रोजी-रोटी का संकट खड़ा किया है. एएफपी ने अपनी एक रिपोर्ट में ऐसे कई मजदूरों की आपबीती बताई है.
'13 से 44 की उम्र हीरा पॉलिश करके बिताई' सूरत की ही एक हीरा पॉलिश फैक्टरी में काम करने वाले 44 साल के योगेश जंजामेरा का कहना है कि शहर में अब पर्याप्त मात्रा में कच्चा हीरा नहीं है. इसलिए उनके पास ज्यादा काम भी नहीं है. योगेश जब 13 साल के थे तब स्कूल छोड़ने के बाद हीरा पॉलिश करने के काम में लग गए. अब ये काम करते हुए उन्हें 31 साल हो चुके हैं. वो चाहते हैं कि रूस-यूक्रेन का युद्ध खत्म होना चाहिए, यहां हर किसी की जिंदगी उसी पर निर्भर करती है.'
योगेश पहले ही करीब 20,000 रुपये महीने की इनकम पर काम करता रहा है. अब इस युद्ध की वजह से काम की जो कमी हुई है, उससे योगेश की इनकम 20 से 30 प्रतिशत और कम हो गई है. इतना ही नहीं सूरत की स्थानीय ट्रेड यूनियन का अनुमान है कि अब तक सूरत में 30,000 से 50,000 हीरा कारीगरों की जॉब चली गई है. जबकि इस काम पर निर्भर लोगों की संख्या 15 से 20 लाख तक है.
60 के दशक में बनी Diamond City सूरत को पुर्तगालियों के समय में बड़ी पहचान मिली. तापी नदी के मुहाने पर बसे इस शहर को मूल रूप से एक बंदरगाह वाले नगर के तौर पर बसाय गया, लेकिन आजादी के बाद 60 और 70 के दशक में इसने Diamond City का रुतबा हासिल कर लिया. वैसे सूरत कपड़े के थोक व्यापार का भी एक बड़ा सेंटर है. दुनिया के 90% हीरों को सूरत में ही तराशा और पॉलिश (Cut & Polishing) किया जाता है.
चिराग जेम्स के सीईओ चिराग पटेल का कहना है- अगर कोई हीरा सूरत से होकर नहीं गया है, इसका मतलब वो हीरा ही नहीं है. यहां के महिधापुर बाजार में हर रोज खुले में सड़कों पर ही करोड़ों के हीरों का व्यापार हो जाता है. कागज की मामूली पुड़ियों में लोग हीरों का लेनदेन पूरा कर लेते हैं.
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