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पोलैंड की इस कंपनी को खरीद सकती है Parle-G, बनाती है 200 तरह की बिस्किट-नमकीन
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Parle-G बिस्किट का स्वाद आज भी लोगों की जुबां पर बरकार है. भारत में ये सिर्फ एक बिस्किट का ब्रांड भर नहीं है, बल्कि इसके साथ लोगों को भावनाएं भी जुड़ी हैं. जब भी पारले-जी का जिक्र होता है, हम अपने बचपन में लौट जाते हैं. समय के साथ पारले-जी बिस्किट में कई बदलाव हुए, लेकिन इसका स्वाद नहीं बदला.
पारले-जी (Parle-G), आज ये नाम किसी पहचान का मोहताज नहीं है. देश में अगर किसी से बिस्किट (Biscuit) के बारे में पूछें तो उसकी जुबान पर यह नाम सबसे पहले आएगा. देश का यह सबसे बड़ा बिस्किट ब्रांड अब अपने कारोबार को और विस्तार देने का प्लान बना रहा है. इसके तहत पारले-जी पोलैंड की डॉ जेरार्ड (Dr Gerard) कंपनी को खरीद सकती है.
1993 में स्थापित हुई थी डॉ जेरार्ड आजतक के सहयोगी चैनल इंडिया टुडे पर रायर्ट्स की रिपोर्ट में कहा गया है कि भारतीय बिस्किट निर्माता पारले प्रोडक्ट्स (Parle Products) जल्द ही पोलैंड की कंपनी डॉ जेरार्ड (Dr Gerard) को खरीद सकती है. प्राइवेट इक्विटी फर्म ब्रिजप्वाइंट (Bridgepoint) से इस डील को लेकर पारले की बातचीत जारी है. गौरतलब है कि 1993 में स्थापित डॉ जेरार्ड कंपनी को ब्रिजप्वाइंट ने साल 2013 में फ्रांस के ग्रुप पॉल्ट से खरीदा था.
200 प्रोडक्ट्स बनाती है कंपनी कंपनी की वेबसाइट पर मौजूीद जानकारी के मुताबिक, पोलैंड की कंपनी डॉ जेरार्ड (Poland Based Firm Dr Gerard) करीब 200 से ज्यादा प्रोडक्ट बनाती है. इसमें अलग-अलग तरह के बिस्किट और नमकीन स्नैक्स शामिल हैं. इन प्रोडक्ट्स को कंपनी 30 से अधिक देशों में निर्यात करती है. ब्रिजपॉइंट ने इस साल की शुरुआत में डॉ जेरार्ड से बाहर निकलने के लिए इन्वेस्टमेंट बैंक हुलिहान लोकी (Houlihan Lokey) को नियुक्त किया था, लेकिन रूस-यूक्रेन युद्ध (Russia-Ukraine war) के कारण यह प्रक्रिया रफ्तार नहीं पकड़ पाई.
डील को आधिकारिक टिप्पणी नहीं इस डील को लेकर हालांकि, पारले, ब्रिजप्वाइंट या फिर डॉ जेरार्ड की ओर से कोई आधिकारिक टिप्पणी नहीं की गई है. रिपोर्ट में कहा गया है कि पोलैंड की इस बिस्किट निर्माता कंपनी की अनुमानित वैल्यू 10 से 12 अरब रुपये है. वहीं इस मामले से जुड़े एक व्यक्ति के हवाले से इसमें कहा गया है कि यह वैल्यू बढ़कर 24 अरब डॉलर तक जा सकती है.
पारले का पुराना है इतिहास गौरतलब है कि Parle की शुरुआत साल 1929 में हुई थी और कंपनी ने पहली बार 1938 में पारले-ग्लूको (Parle-Gloco) नाम से बिस्किट का उत्पादन शुरू किया था. आजादी से पहले पारले-जी (Parle-G) का नाम ग्लूको बिस्किट (Gluco Biscuit) ही हुआ करता था. लेकिन, 1980 के बाद इसे नया नाम दिया गया.
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अधिकारी भीड़ को काबू करने के लिए बैंक के बाहर खड़े लोगों को कूपन दे रहे हैं, ताकि वे अपने लॉकर खोल सके. हालांकि जिन लोगों के पैसे अकाउंट में जमा हैं, उन्हें पैसे निकालने की अनुमति नहीं है. कुछ लोगों की तो सैलरी अभी हाल ही में आई और वे पैसे भी नहीं निकाल पाए थे. उन्हें भी पैसे निकालने का परमिशन नहीं दिया गया है.