पंजाब में अकाली दल और बीजेपी के गठबंधन पर पेच, क्यों एकसाथ नहीं आ पा रहे दोनों दल?
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पंजाब में अकाली दल और बीजेपी के गठबंधन पर पेच फंस गया है. सूत्रों की मानें तो पंजाब की 13 सीटों में से छह सीटों पर चुनाव लड़ने की मांग कर रही है, जबकि अकाली दल इतनी सीटें देने को तैयार नहीं है.
केंद्र सरकार जब किसानों के लिए नए कृषि कानून लेकर आई थी, उसके विरोध में अकाली दल ने एनडीए से अपना नाता तोड़ लिया था. उसके बाद अकाली दल ने बहुजन समाज पार्टी के साथ मिलकर ही पंजाब विधानसभा चुनाव लड़ा था. सूत्रों की मानें तो आगामी लोकसभा चुनाव में भी अकाली दल और बीजेपी के साथ आने की संभावना नहीं है.
अकाली दल के सूत्रों ने बताया कि बीजेपी पंजाब की 13 लोकसभा सीटों में से छह सीटों पर चुनाव लड़ने की मांग कर रही है, जबकि अकाली दल इतनी सीटें देने को तैयार नहीं है. जब अकाली दल एनडीए में शामिल था, तो वो 10 सीटों पर चुनाव लड़ता रहा और बीजेपी तीन सीटों पर चुनाव रही थी. वहीं 117 सदस्यीय विधानसभा में भी अकाली दल 95 तो बीजेपी 22 सीटों पर चुनाव लड़ती रही.
अकाली दल के नेताओं के मुताबिक, बीजेपी का प्रभाव केवल कुछ शहरी क्षेत्रों तक ही सीमित है, जबकि अकाली दल का गांव-देहात तक प्रभाव है. इसके अलावा अकाली दल के बीजेपी के साथ नहीं जाने की एक और वजह है. वो है- बहुजन समाज पार्टी.
पंजाब में अकाली दल-बीएसपी का गठबंधन
दरअसल इस समय पंजाब में अकाली दल और बहुजन समाज पार्टी का गठबंधन है और वो इस गठबंधन को तोड़ना नहीं चाहते क्योंकि बीएसपी का पंजाब में अच्छा-खासा प्रभाव है. वहीं सुखदेव सिंह ढींढसा के गुट की भी अकाली दल में शामिल होने की बात चल रही है. अगर ये होता है तो अकाली दल पंजाब में और भी मजबूत होगा.
बीजेपी से नाराज हैं अकाली नेता!
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