
नौकरियां देने में छोटे शहरों ने मारी बाजी, कोरोना के बाद इन वजहों से बड़े शहरों में घटे मौके!
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IT सेक्टर पर आर्थिक सुस्ती का सबसे ज्यादा असर देखा जा रहा है. नई भर्तियों को घटाने के साथ ही सैलरी ऑफर्स को भी ये कंपनियां घटा रही हैं. ऐसे में छोटे शहर इनके लिए कारोबार को चलाए रखने का सबसे बड़ा ज़रिया बन सकते हैं.
देश में रोजगार के मौके मुहैया कराना हमेशा से एक बड़ी चुनौती रहा है. रोजगार के ज्यादातर अवसर भी बड़े शहरों में ही मौजूद रहे हैं. इसके लिए लोगों को छोटे शहरों-गांवों से चलकर बड़े शहरों में आने के लिए मजबूर होना पड़ता है. लेकिन अब नौकरियों के मामले में एक दिलचस्प बात सामने आई है. xpheno के एक सर्वे में दावा किया गया है कि नौकरियों के मौके पैदा करने के मामले में देश के छोटे शहरों ने बड़े शहरों को पीछे छोड़कर बाजी मार ली है. इतना ही नहीं छोटे शहरों में तो नौकरियों के मौके बढ़ रहे हैं जबकि बड़े शहरों में इनमें कमी आई है.
छोटे शहरों में बढ़े नौकरियों के मौके
एक स्टडी में दावा किया गया है कि जनवरी तक पिछले एक साल के दौरान देश के 9 बड़े शहरों में नई नौकरियों के मौके 16 फीसदी कम हुए हैं. जबकि इस दौरान छोटे शहरों में नौकरियों के अवसर 12 फीसदी बढ़े हैं. ये बात जॉब पोर्टल्स और कंपनियों की निकाली गई जॉब वैकेंसी पर हुए सर्वे के बाद सामने आई है. इस सर्वे से संकेत मिल रहा है कि नौकरी खोजने वालों की तलाश छोटे शहरों में जाकर खत्म हो सकती है.
बड़ी कंपनियों ने छोटे शहरों का किया रुख
छोटे शहरों में नौकरियों के मौके बढ़ने की एक बड़ी वजह कोरोना के बाद हुआ रिवर्स माइग्रेशन है. दरअसल, वर्क फ्रॉम होम और हाइब्रिड मॉडल की वजह से बड़े शहरों से वापस गए लोगों के लिए छोटे शहरों में स्थित अपने घरों से काम करना मुमकिन हो गया है. इन कर्मचारियों को छोटे शहरों में सस्ते रहन सहन के साथ ही घर पर रहने का फायदा भी मिल रहा है. ऐसे में इस तरह के टैलेंट की टियर टू और थ्री शहरों में उपलब्धता बढ़ने से एयरटेल, LTI माइंडट्री, मेक माई ट्रिप और टेक महिंद्रा जैसी कंपनियों ने इन शहरों का रुख किया है. टेक महिंद्रा ने नागपुर, इंदौर, भुवनेश्वर, विजयवाड़ा, तिरुवनंतपुरम, कोयम्बटूर और विशाखापत्तनम जैसे मिनी मेट्रो शहरों में सेंटर्स भी खोले हैं.
किन सेक्टर्स में बढ़े छोटे शहरों में मौके?

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