डूबता कारोबार, बिकती कंपनियां... अनिल अंबानी कैसे हो गए फ्लॉप, ये 5 बड़े कारण
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जब Reliance Group में बंटवारा हुआ था, तो Mukesh Ambani को पुराने बिजनेस पेट्रोकेमिकल, टेक्सटाइल रिफाइनरी, तेल-गैस कारोबार से संतोष करना पड़ा था. वहीं Anil Ambani के हिस्से में तमाम नए जमाने के बिजनेस आए थे, इनमें ग्रुप का टेलीकॉम, फाइनेंस और एनर्जी कारोबार शामिल था.
रिलायंस ग्रुप (Reliance Group) का कारोबार देश ही नहीं, बल्कि दुनियाभर में फैला हुआ है. साल 1958 में दिवंगत धीरूभाई अंबानी (Dhirubhai Ambani) द्वारा इसकी नींव डाली गई थी और आज दुनिया भर में इसका डंका बज रहा है. हालांकि, 2002 में धीरूभाई के निधन के बाद रिलायंस फैमिली में बंटवारा हुआ और विशाल कारोबार को उनके दोनों बेटों में बांट दिया गया, लेकिन आज जहां बड़े बेटे मुकेश अंबानी एशिया के सबसे अमीर इंसान (Asia's Richest Mukesh Ambani) हैं, तो नहीं छोटे बेटे अनिल अंबानी (Anil Ambani) अर्श से फर्श पर पहुंच चुके हैं.
हालात ये हैं कि अनिल अंबानी खुद को दिवालिया घोषित कर चुके हैं और उनकी एक बड़ी कंपनी बिकने जा रही है. आइए जानते हैं आखिर कौन सी गलतियां उन्हें ले डूबीं?
अनिल अंबानी को मिले थे नए जमाने के कारोबार जब रिलायंस ग्रुप में बंटवारा हुआ था, तो इससे जुड़ी हर खबर सुर्खियों में रही थी. बड़े बेटे मुकेश अंबानी (Mukesh Ambani) को पुराने बिजनेस पेट्रोकेमिकल, टेक्सटाइल रिफाइनरी, तेल-गैस कारोबार से संतोष करना पड़ा था. वहीं अनिल अंबानी (Anil Ambani) के हिस्से में तमाम नए जमाने के बिजनेस आए थे, इनमें ग्रुप का टेलीकॉम, फाइनेंस और एनर्जी कारोबार शामिल था. हालांकि, नए जमाने का बिजनेस मिलने के बाद भी अनिल अंबानी कुछ खास कमाल नहीं कर पाए और आज उनके तमाम बिजनेस बुरे दौर से गुजर रहे हैं, यही नहीं उनकी कंपनी रिलायंस कैपिटल को बिकने जा रही है.
सफलती की गारंटी माने जा रहे थे उनके कारोबार Anil Ambani के पास टेलीकॉम, पावर और एनर्जी बिजनेस था, जो नए जमाने में सफलता की गारंटी माना जा रहा था. इन सेक्टर्स में वे देश का बड़ा खिलाड़ी बनना चाहते थे और उन्होंने कई महत्वकांक्षी योजनाएं बनाईं, लेकिन सटीक प्लानिंग न होने के कारण उन्हें फायदे की जगह भारी नुकसान झेलना पड़ा. बंटवारे के बाद उनके पास जो कंपनियां आई थीं, उनकी दम पर साल 2008 में अनिल अंबानी दुनिया के टॉप-10 अरबपतियों की लिस्ट में छठे पायदान पर पहुंच गए थे, जबकि आज हालत ये है कि उनकी कंपनियां बिकने की कगार पर हैं.
लंदन कोर्ट में बताई थी अपनी नेटवर्थ 'जीरो' बीते कुछ सालों में अनिल अंबानी को बिजनेस में भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ा है और इसका एक अहम कारण उनके द्वारा लिया गया कर्ज है. ऐसे ही एक कर्ज का जिक्र करें, तो चीन के बैंकों के कर्ज से जुड़े विवाद में उन्होंने इंग्लैंड हाईकोर्ट में दलील रखते हुए अपनी नेटवर्थ को जीरो बताया था. उन्होंने कहा था कि वे दिवालिया हो चुके हैं और इसलिए कर्ज का बकाया नहीं चुका सकते. इसके साथ ही उन्होंने कोर्ट में ये भी कहा था कि परिवार के लोग भी उनकी कोई मदद नहीं कर पाएंगे.
यहां बता दें कि तीन चाइनीज बैंकों ने अनिल अंबानी के खिलाफ लंदन की अदालत में केस दर्ज कराया था. इनमें इंडस्ट्रियल एंड कमर्शियल बैंक ऑफ चाइना, चाइना डेवलपमेंट बैंक और एग्जिम बैंक ऑफ चाइना शामिल थे. रिपोर्ट के मुताबिक, इन चीनी बैंकों ने अंबानी की कंपनी रिलायंस कम्युनिकेशन (RCom) को 2012 में 70 करोड़ डॉलर (5,000 करोड़ रुपये) का कर्ज दिया था और लोन गारंटर अनिल अंबानी थे, लेकिन वे भुगतान करने में नाकाम रहे.
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