...जब बागी चाचा को मनाने पहुंचे चिराग, बाहर ही करना पड़ा इंतजार, 25 मिनट बाद खुला दरवाजा
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दिवंगत नेता रामविलास पासवान के भाई पशुपति पारस ने अब अलग रास्ता अपना लिया है. पार्टी के पांच सांसदों ने पशुपति पारस को अपना नेता चुन लिया है और इसी के साथ चिराग पासवान अपनी ही पार्टी में अलग-थलग पड़ गए हैं.
लोक जनशक्ति पार्टी (LJP) में फूट पड़ गई है, दिवंगत नेता रामविलास पासवान के भाई पशुपति पारस ने अब अलग रास्ता अपना लिया है. पार्टी के पांच सांसदों ने पशुपति पारस को अपना नेता चुन लिया है और इसी के साथ चिराग पासवान अपनी ही पार्टी में अलग-थलग पड़ गए हैं. पहले रविवार को ये जानकारी सामने आई कि लोक जनशक्ति पार्टी के पांच नेताओं ने लोकसभा स्पीकर को चिट्ठी लिख उन सभी को अलग मान्यता देने की मांग की है, साथ ही पशुपति पारस को पार्टी का नेता चुनने के लिए कहा है. इसपर सोमवार को तब मुहर लग गई, जब खुद पशुपति पारस ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में इसका ऐलान कर दिया. पशुपति पारस ने कहा कि पार्टी को तोड़ने के लिए नहीं, बल्कि पार्टी के भविष्य को बचाने के लिए वो ऐसा कर रहे हैं. पशुपति पारस ने माना कि पार्टी अभी के वक्त में सही तरीके से नहीं चल रही है, विधानसभा चुनाव के दौरान एनडीए से हटने का फैसला गलत था. कार्यकर्ताओं की अनदेखी करके ये फैसले को लिया गया, जिसका पार्टी को नुकसान भी हुआ. हालांकि, उन्होंने ये भी कहा कि वह चिराग से नाराज़ नहीं हैं, वो परिवार के सदस्य हैं अगर वो साथ आना चाहें तो आ सकते हैं.चाचा को मनाने पहुंचे चिराग, करना पड़ा इंतजार सोमवार को जब पशुपति पारस ने प्रेस कॉन्फ्रेंस खत्म की, उसके कुछ देर बाद ही चिराग पासवान अपने चाचा के आवास पर पहुंचे. चेहरे पर मास्क लगाए हुए चिराग पासवान गाड़ी में सवार होकर पशुपति पारस के घर पहुंचे, लेकिन घर में उन्हें आसानी से एंट्री नहीं मिली. करीब 25 मिनट तक वो बाहर गाड़ी में ही इंतजार करते रहे और गेट खुलने तक वहीं रहे. करीब 25 मिनट बाद जब गेट खुला, तब चिराग घर में गए. लेकिन पशुपति पारस तब वहां पर मौजूद नहीं थे. ऐसे में कुछ देर वहां रुकने के बाद चिराग पासवान वापस आ गए. अब पशुपति पारस और अन्य लोजपा के सांसदों की मुलाकात लोकसभा स्पीकर ओम बिड़ला से होनी है, ऐसे में पार्टी की अगली रणनीति क्या रहती है और कैसे बिहार की राजनीति करवट लेती है, इसपर हर किसी की नज़र है.हिंदू संगठन 'बांग्लादेश सम्मिलित सनातनी जागरण जोते' एक बयान में कहा कि वकील सैफुल इस्लाम की हत्या में कोई सनातनी शामिल नहीं है. एक समूह सुनियोजित हत्या को अंजाम देकर सनातनियों पर दोष मढ़ने की कोशिश की जा रही है. हिंदू संगठन ने चिन्मय कृष्ण दास ब्रह्मचारी की तत्काल बिना शर्त रिहाई और चिटगांव हिंसा की न्यायिक जांच की मांग की है.
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