
छोटे भाई की कंपनी खरीद रहे हैं मुकेश अंबानी, कर्ज में डूबा है कारोबार
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मुकेश अंबानी अपने छोटे भाई अनिल अंबानी की कंपनी रिलायंस इंफ्राटेल को खरीदने जा रहे हैं. NCLT ने अधिग्रहण के लिए मंजूरी दे दी है. रिलायंस इंफ्राटेल के पास पूरे देश में करीब 78 लाख रूट किलोमीटर की फाइबर प्रॉपर्टी और 43,540 मोबाइल टावर हैं. इसका इस्तेमाल मुकेश अंबानी अपने जियो प्रोजेक्ट के लिए कर सकते हैं.
नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT) ने सोमवार को रिलायंस जियो (Reliance Jio) को रिलायंस इंफ्राटेल ( Reliance Infratel) के अधिग्रहण की मंजूरी दे दी है. NCLT ने रिलायंस इंफ्राटेल के टावर और फाइबर की संपत्तियों के अधिग्रहण के लिए रिलायंस जियो को भारतीय स्टेट बैंक (SBI) के एस्क्रो खाते में 3,720 करोड़ रुपये जमा करने को कहा है. इस महीने की शुरुआत में जियो ने रिलायंस इंफ्राटेल के अधिग्रहण में तेजी लाने के लिए ट्रिब्यूनल का रुख किया था. दरअसल, रिलायंस इंफ्राटेल दिवाला समाधान प्रोसेस से गुजर रही है.
कंपनी ने ट्रिब्यूनल से SBI के एक खाते में कुल रिजॉल्यूशन राशि जमा करने की अनुमति मांगी थी. 6 नवंबर को Jio ने RITL के अधिग्रहण को पूरा करने के लिए एक एस्क्रो खाते में 3,720 करोड़ रुपये जमा करने का प्रस्ताव रखा था.
लेनदारों ने दे दी है अनुमति
नवंबर 2019 में अरबपति मुकेश अंबानी की अगुवाई वाली Jio ने अपने छोटे भाई अनिल अंबानी-प्रबंधित फर्म रिलायंस कम्युनिकेशंस की कर्ज में डूबी सहायक कंपनी के टावर और फाइबर संपत्ति के अधिग्रहण के लिए 3,720 करोड़ रुपये की बोली लगाई थी. लेनदारों की समिति ने 4 मार्च 2020 को 100 प्रतिशत वोट के साथ Jio द्वारा पेश समाधान योजना को मंजूरी दे दी थी.
क्यों हो रही है देर?
रिलायंस प्रोजेक्ट्स और जियो की सहायक कंपनी प्रॉपर्टी मैनेजमेंट सर्विसेज के एक आवेदन के अनुसार, रकम की डिस्ट्रीब्यूशन और 'नो ड्यूज़' प्रमाण पत्र जारी करने में हो रही देरी के चलते समाधान योजना को पूरा करने में विलंब हो रहा है.

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