'खटाखट गारंटी' पर खड़गे ने भी उठाए सवाल! कर्नाटक ही नहीं हिमाचल-तेलंगाना में भी अधूरे हैं ये वादे
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महाराष्ट्र-झारखंड में चुनावी घोषणा पत्र आने से ठीक पहले कांग्रेस खुद अपने आप को कई सवालों के कठघरे में खड़ा कर चुकी है. क्या कांग्रेस जितना बजट होता है उससे ज्यादा का वादा करके वोट मांगती है? क्या कांग्रेस चुनावी राज्यों में जिन वादों को गारंटी बताती है, उनकी खुद की गारंटी नहीं होती?
महाराष्ट्र-झारखंड में चुनावी घोषणा पत्र आने से ठीक पहले कांग्रेस खुद अपने आप को कई सवालों के कठघरे में खड़ा कर चुकी है. क्या कांग्रेस जितना बजट होता है उससे ज्यादा का वादा करके वोट मांगती है? क्या कांग्रेस चुनावी राज्यों में जिन वादों को गारंटी बताती है, उनकी खुद की गारंटी नहीं होती? क्या कांग्रेस ऐसे वादों पर वोट मांगती है, जिन्हें पूरा करना सरल ही नहीं होता? क्या कांग्रेस की गारंटी अधूरी ही रह जाती है? सवाल उठे कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के बयान की वजह से. जो उन्होंने कांग्रेस शासित कर्नाटक के मुख्यमंत्री और डिप्टी सीएम के बीच बैठकर दिया.
राज्य के बजट के चादर जितना ही वादों का पैर पसारने की बात अब कांग्रेस करती क्यों दिखी? क्या हिमाचल में अधूरे रह गए वादों का असर हरियाणा चुनाव तक पड़ने की वजह से कांग्रेस के भीतर आत्मचिंतन शुरु हुआ है? यहां तक कि राहुल गांधी ने भी कहा कि हम बजट के आधार पर महाराष्ट्र में गारंटी की घोषणा करेंगे.
पीएम मोदी ने बोला था हमला पहले राज्य की जेब देखेंगे, फिर वादे करेंगे. जैसे ही कांग्रेस के भीतर से खुद ये बात आई. प्रधानमंत्री ने लगातार प्रहार करते हए एक सीरीज में पोस्ट डालीं. जिसमें बताया कि कांग्रेस वादे पूरे ना करने को लेकर बेनकाब हो गई है. कांग्रेस जान गई है कि झूठे वादे करना आसान है, सही से लागू कराना कठिन या असंभव. हिमाचल, कर्नाटक, तेलंगाना में कांग्रेस की गारंटी अधूरी पड़ी है. पीएम मोदी ने कहा कि झूठे वादों की वजह से ही जनता ने कांग्रेस को हरियाणा में खारिज किया. कांग्रेस के लिए चौपट अर्थव्यवस्था और लूट को वोट है.
अब्राह्म लिंकन ने कहा था -“You can fool all the people some of the time, and some of the people all the time, but you cannot fool all the people all the time"....क्या राजनीति में वादे करते वक्त नेताओं को ये याद कराना जरूरी है कि हर समय वादों को लेकर जनता को भ्रम में नहीं डाला जा सकता.
हिमाचल प्रदेश में किए वादे पूरे नहीं कर पाई कांग्रेस! गारंटी को अगर हिमाचल प्रदेश से जोड़कर देखें तो हिमाचल में 2022 में चुनाव हुआ. कांग्रेस ने दस गारंटी दी थी. कांग्रेस सरकार दावा करती है कि 15 महीने की सरकार में 5 गारंटी पूरी की गई है. वादा किया गया था कि सरकार बनते ही ओल्ड पेंशन स्कीम लागू करेंगे. ओपीएस बहाल तो की लेकिन अब भी दावा है कि करीब 9500 कर्मचारी इसके दायरे से बाहर हैं. इसमें बीजेपी ये आरोप भी जोड़ देती है कि अब ओपीएस के लिए सालाना 1000 करोड़ रुपए इंतजाम करने के चक्कर में वक्त पर सभी कर्मचारियों को वेतन नहीं मिल पाता है. हिमाचल प्रदेश में 18 साल से 60 साल तक की सभी महिलाओं को 1500 रुपये देने का वादा भी अधर में है. हिमाचल प्रदेश में केवल 24 हजार महिलाओं को ही 1500 रुपये दिए गए है, जबकि 7 लाख से अधिक महिलाओं ने आवेदन किया है.
कांग्रेस की एक गारंटी ये भी रही कि गाय का दूध 80 रुपए और भैंस के दूध को 100 रुपए प्रति किलो खरीदा जाएगा. फिलहाल 45 रुपए गाय और 55 रुपए भैंस के दूध की खरीद की बात की जा रही है. कांग्रेस सरकार का दावा है कि दूध खरीद पर न्यूनतम समर्थन मूल्य देने वाला हिमाचल देश का पहला राज्य बना है. गोबर 2 रुपये खरीदने की बात कही गई थी. लेकिन 22 माह बाद भी इस पर कुछ नहीं हुआ है. इसके साथ ही बागवानों को फलों की कीमत खुद तय करने का वायदा भी किया गया था. जो अभी तक पूरा नहीं हुआ है.
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि हिमाचल प्रदेश में सरकारी कर्मचारियों को समय पर वेतन नहीं दिया जाता, तेलंगाना में किसान अपने वादे के मुताबिक छूट का इंतजार कर रहे हैं, इससे पहले छत्तीसगढ़ और राजस्थान में उन्होंने (कांग्रेस ने) कुछ भत्ते देने का वादा किया था, जो पांच साल तक लागू नहीं हुए. कांग्रेस किस तरह काम करती है, इसके कई उदाहरण हैं.
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