क्या इस डील से डूबने से बच जाएगा क्रेडिट सुइस? USB ने किया अधिग्रहण का ऐलान
AajTak
ग्लोबल बैंकिंग सेक्टर में नजर आ रही उथल-पुथल और आर्थिक मंदी की आहट के बीच क्रेडिट सुइस बैंक को संकट से उबारने के लिए एक बड़ी डील का ऐलान हुआ है. स्विट्जरलैंड के क्रेडिट सुइस बैंक को कुछ राहत मिलती नजर आ रही है.
यूरोपीय बैंक क्रेडिट सुइस (Credit Suisse Bank) को संकट से उबारने के लिए USB सामने आया है. स्विस अधिकारियों ने कहा है कि UBS ने वैश्विक बैंकिंग सेक्टर के मार्केट में मुश्किलों को रोकने के प्रयास के लिए क्रेडिट सुइस के अधिग्रहण के लिए एक समझौता किया है. USB ने ये फैसला ऐसे वक्त में लिया है, जब क्रेडिट सुइस में बैंक विश्वास के संकट से गुजर रहा है और इसे पूरे बैंकिंग सिस्टम में फैलने से रोकना है. क्योंकि इस बैंक के दिवालिया होने से वित्तीय बाजारों को जोरदार झटका लग सकता है. Credit Suisse बैंक स्विटजरलैंड का दूसरा सबसे बड़ा और करीब 167 साल पुराना बैंक है.
स्विस सेंट्रल बैंक उपलब्ध कराएगा लिक्विडिटी
स्विस सेंट्रल बैंक ने कहा है कि वह UBS और क्रेडिट सुइस के लिए आवंटित लिक्विडिटी में सहायता के लिए 100 अरब स्विस फ्रैंक (108 अरब डॉलर) के साथ विलय किए गए बैंक की मदद करेगा. हालांकि, अभी तक डील की रकम का खुलासा नहीं हुआ है. स्विस फाइनेंसियल मार्केट सुपरवाइजरी अथॉरिटी (फिनमा) ने आश्वासन दिया है कि दोनों बैंकों की सभी कमर्शियल गतिविधियां बिना किसी रुकावट के जारी रह सकती हैं.
स्विस सेंट्रल बैंक ने कहा- 'UBS द्वारा क्रेडिट सुइस के अधिग्रहण के साथ इस असाधारण स्थिति में वित्तीय स्थिरता को सुरक्षित करने और स्विस इकोनॉमी को बचाने के लिए एक समाधान मिला है.' क्रेडिट सुइस हाल के दिनों में गहन जांच के दायरे में रहा है. 2008 के वित्तीय संकट के बाद से क्रेडिट सुइस पहला प्रमुख वैश्विक बैंक है जिसे इमरजेंसी लाइफलाइन दी गई है.
शेयरों में बड़ी गिरावट
क्रेडिट सुइस के शेयरों में पिछले हफ्ते एक चौथाई की गिरावट आई थी. बैंक को अपनी बैलेंस शीट को स्थिर करने के लिए केंद्रीय बैंक से 54 बिलियन डॉलर की मदद लेनी पड़ी. रिपोर्ट के अनुसार, स्विस अधिकारी भी बैंक के रेस्क्यू प्लान के तहत क्रेडिट सुइस के बांडधारकों पर घाटे को लागू करने की जांच कर रहे हैं. हालांकि, यूरोपीय नियामक इस तरह के कदम से हिचकिचा रहे हैं, उन्हें डर है कि ये यूरोप के वित्तीय सेक्टर में निवेशकों के विश्वास को और अधिक प्रभावित कर सकता है. जानकारों का कहना है कि बैंक को संकट से बाहर निकालने की प्रक्रिया जोखिमों से भरी है.
स्वास्थ्य बीमा पर 18% जीएसटी से मध्यम वर्ग परेशान है. सरकारी अस्पतालों में सुविधाओं की कमी के कारण लोग निजी अस्पतालों का रुख करते हैं. महंगे इलाज से बचने के लिए हेल्थ इंश्योरेंस लेते हैं, लेकिन प्रीमियम पर भारी टैक्स लगता है. जीएसटी काउंसिल की बैठक में राहत की उम्मीद थी, पर कोई फैसला नहीं हुआ. देखें...