कैंसर ट्रीटमेंट के नाम पर लोगों को इमोशनल कर इकठ्ठा किया चंदा, फिर एक दिन नए फ्लैट की शेयर की तस्वीर
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यह दुनिया एक दूसरे के मदद से चलती है. सदियों से इंसानियत की बुनियाद यही रही है. मुश्किल में फंसे इंसान को सहारा देना और उसकी परेशानियों को दूर करना. लेकिन सोचिए, जब इसी इमोशन का इस्तेमाल ठगी के लिए किया जाए तो क्या होगा? इमोशन्स का सहारा लेकर लोगों को धोखा देना.
यह दुनिया एक दूसरे के मदद से चलती है. सदियों से इंसानियत की बुनियाद यही रही है. मुश्किल में फंसे इंसान को सहारा देना और उसकी परेशानियों को दूर करना. लेकिन सोचिए, जब इसी इमोशन का इस्तेमाल ठगी के लिए किया जाए तो क्या होगा? इमोशन्स का सहारा लेकर लोगों को धोखा देना.
चीन के एक शख्स का ऐसा ही मामला सामने आया है, जिसकी कहानी जानकर किसी का भी दूसरों पर से भरोसा उठ सकता है. आइये जानते हैं मामला क्या है.
चीन में 29 साल के लैन नाम के शख्स ने सोशल मीडिया पर एक भावुक पोस्ट शेयर की. उसमें उसने दावा किया कि वह कैंसर से पीड़ित है. इलाज के लिए उसे 900,000 युआन (लगभग डेढ़ करोड़ रुपये) की जरूरत है. उसने कहा कि यदि यह रकम नहीं जुटाई गई तो उसे अपनी जिंदगी से हाथ धोना पड़ेगा.
मदद के लिए आने लगे पैसे
लैन ने आगे लिखा कि वह अभी और जीना चाहता है, और लोगों से मदद की गुहार लगाई. इस पोस्ट ने सोशल मीडिया पर खूब सुर्खियां बटोरी. लैन को सहानुभूति के साथ मदद मिलनी भी शुरू हो गई. लेकिन कुछ समय बाद उसकी सच्चाई ने सबको हैरान कर दिया.
लेकिन फिर एक दिन लैन ने अपने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट शेयर कर सबको हैरान कर दिया.उसने अपने नए फ्लैट की तस्वीर डालते हुए दावा किया कि यह आशियाना उसने खुद के पैसों से खरीदा है. इस पोस्ट ने फॉलोअर्स को चौंका दिया, क्योंकि जो शख्स कुछ दिन पहले अपनी जिंदगी बचाने के लिए मदद की गुहार लगा रहा था, वह अचानक करोड़ों का फ्लैट कैसे खरीद सकता है?
जेेएनयू के टीचर्स एसोसिएशन ने एक बयान में कहा कि इससे पहले भी TISS ने मुंबई में इसी तरह की एक रिपोर्ट जारी की थी, जिसमें प्रो. पंडित ने हिस्सा लिया था. हालांकि, पूरी रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं की गई है और यह आरोप है कि सेमिनार में दी गई प्रस्तुतियों का इस्तेमाल कुछ राजनीतिक संगठनों ने प्रवासन के पैटर्न को 'अवैध' साबित करने के लिए किया.
कैंसर ट्रीटमेंट के नाम पर लोगों को इमोशनल कर इकठ्ठा किया चंदा, फिर एक दिन नए फ्लैट की शेयर की तस्वीर
यह दुनिया एक दूसरे के मदद से चलती है. सदियों से इंसानियत की बुनियाद यही रही है. मुश्किल में फंसे इंसान को सहारा देना और उसकी परेशानियों को दूर करना. लेकिन सोचिए, जब इसी इमोशन का इस्तेमाल ठगी के लिए किया जाए तो क्या होगा? इमोशन्स का सहारा लेकर लोगों को धोखा देना.