'कुछ मीठा हो जाए... मिठाई के साथ', काजू कतली ने बिगाड़ा चॉकलेट का खेल!
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Diwali-2023 आ गई है और मिठाईनोमिक्स का भी समय है. ऐसे में मेहमानों के स्वागत के लिए और गिफ्ट देने के लिए फेस्टिव सीजन में चॉकलेट्स की बिक्री सबसे ज्यादा देखने को मिलती थी, लेकिन इस बार त्योहार पर काजू कतली (kaju katli) सेल के मामले में चॉकलेट को पीछे छोड़ रही है.
फेस्टिव सीजन (Festive Season) में मिठाइयों... चॉकलेट्स और गिफ्ट्स का अपना ही क्रेज रहता है. इस दौरान इन सामानों की सेल भी खूब होती है. अब जबकि दिवाली (Diwali 2023) बेहद नजदीक है, तो ऐसे में बाजारों में अलग ही रौनक नजर आने लगी है. इलेक्ट्रॉनिक्स से लेकर मिठाइयों तक की दुकानें सज गई हैं और इन पर खरीदारी के लिए ग्राहकों की भीड़ उमड़ रही है. न केवल लोकर मार्केट बल्कि सुपर मार्केट्स में भी मिठाइयां खूब बिक रही हैं. लेकिन इस बार एक बड़ा बदलाव देखने को मिला है. त्योहारों पर सुपरमार्केट्स में पसंदीदा मिठाई काजू कतली (Kajoo Katli) ने चॉकलेट्स (Chocolates) को बिक्री के मामले में काफी पीछे छोड़ दिया है.
बिक्री के मामले में चॉकलेट को पछाड़ रही दिवाली आ गई है और मिठाईनोमिक्स का भी समय है. ऐसे में मेहमानों के स्वागत के लिए और गिफ्ट देने के लिए फेस्टिव सीजन में चॉकलेट्स की बिक्री सबसे ज्यादा देखने को मिलती थी. हालांकि, मिठाइयां भी खूब खरीदी जाती थीं, लेकिन सेल के आंकड़े में विभिन्न पैकेजिंग में आने वाली चॉकलेट्स सबसे ऊपर रहती थीं. लेकिन पैकेजिंग, लंबी शेल्फ-लाइफ और व्यापक पसंद जैसे कारकों के कारण उपभोक्ता इस बार सोन पापड़ी और चॉकलेट्स से ज्यादा काजू कतली को पसंद कर रहे हैं और इसे खरीद रहे हैं. रिलायंस किराना रिटेल के सीईओ (Reliance Kirana Retail CEO) दामोदर मॉल का कहना है कि भारतीय सुपरमार्केट में काजू कतली ने चॉकलेट की बिक्री को भी पीछे छोड़ दिया है.
'कुछ मीठा हो जाए, तो मिठाई के साथ क्यों नहीं?' दामोदर मॉल ने 'द बार्बरशॉप विद शांतनु' पॉडकास्ट में बॉम्बे शेविंग कंपनी के सीईओ और को-फाउंडर शांतनु देशपांडे को बताया कि काजू कतली ने भारतीय सुपरमार्केट में अपनी अच्छी पकड़ बनाई है. उन्होंने इसके पीछे की वजह का जिक्र करते हुए कहा, 'हम चॉकलेट के बहुत सारे गिफ्ट पैक बेचते थे... वे आज भी किसी भी फेस्टिव सीजन में बिकते हैं. फिर, मैंने सोचा कि यह मेगा ब्रांड मार्केटिंग के रूप में 'कुछ मीठा हो जाए' का इस्तेमाल कर रहा है, तो हम मीठा ही क्यों नहीं बेचते, जिसका लोग वास्तव में उपभोग करते हैं. घर में कुछ लोग चॉकलेट खाते हैं...लेकिन आप बेसन का लड्डू लीजिए और दादी से लेकर पोते-पोतियों तक हर कोई इसे खा रहा है.'
कैसे सुपरमार्केट में काजू-कतली का धांसू एंट्री Reliance Kirana Retail के सीईओ ने आगे कहा कि फेस्टिव सीजन में मीठे के नाम पर चॉकलेट की ज्यादा बिक्री के पीछे एक बड़ा कारण पैकेजिंग थी. जबकि, काजू कतली या अन्य मिठाई को लोग बिना नाम वाली जगह से खरीदते हैं और विक्रेता इसे बिना नाम वाली पैकेजिंग में देता है. इसके अलावा शेल्फ लाइफ भी एक बड़ा कारण रहता है. इन सबसे बीच उन्होंने उन्होंने छोटे उद्यमियों को आगे बढ़ने में मदद करने के बारे में सोचते हुए काजू-कतली मिठाई को चुनकर उसकी पैकेजिंग और प्रजेंटेशन में इंप्रूवमेंट करने पर विचार किया. पहले बीकानेर में मिठाई बनाने वालों के साथ रिलायंस रिटेल ने काम शुरू किया और इसका अच्छा रिस्पांस मिला.
उन्होंने कहा कि हम ये काम अकेले नहीं कर सकते हैं, तो फिर इस सेक्टर के और बड़े खिलाड़ियों से संपर्क किया जाने लगा. मॉल के मुताबिक, पहली शेल्फ-स्टेबल काजू कतली, जिसे शानदार पैकेजिंग में हमारे सुपरमार्केट में बेचा जा सकता था, बिकानो (Bikano) द्वारा हमारे लिए बनाई गई थी.
मिठाई के कारोबार में कई दिग्गज कंपनियां Bikano ने एक बार जब काजू कतली को बनाकर अपनी ब्रांडिंग से सप्लाई किया, तो फिर पूरा उद्योग इसके पीछे लग गया और आज दिवाली में हम चॉकलेट से ज्यादा काजू कतली बेचने की ओर आगे बढ़ रहे हैं. हालांकि, दिवाली पर मिठाइयों की लिस्ट में बिक्री के मामले में अभी पांचवें नंबर पर है. चार ऐसी मिठाइयां हैं, जो काजू कतली से भी अधिक बिकती हैं, उनमें सोन पापड़ी, गुलाब जामुन, रसगुल्ला और फिर बेसन का लड्डू शामिल है. इस बार दिवाली के मौके पर जो बड़ा बदलाव देखने को मिल रहा है, वो ये है कि अमूल, आईटीसी और आशीर्वाद जैसी बड़ी कंपनियां सुपरमार्केट्स के लिए मिठाई बना रही हैं. आशीर्वाद का गाजर का हलवा, बादाम का हलवा और दाल का सीरा रिलायंस के लगभग सभी स्टोर्स पर उपलब्ध होगा.