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'अजीम प्रेमजी ने नौकरी देने से किया था इनकार...', नारायणमूर्ति ने बताया कैसे बनी Infosys
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Narayana Murthy ने साल 1981 में अपने छह साथियों के साथ कंपनी शुरू करने का प्लान बनाया. उस दौर में नारायण मूर्ति अपनी पत्नी सुधा मूर्ति (Sudha Murthy) के साथ एक कमरे के मकान में रहते थे और इंफोसिस (Infosys) को शुरू करने के लिए उन्होंने पत्नी से 10,000 रुपये उधार लिए थे.
इंफोसिस (Infosys) आज देश की दूसरी सबसे बड़ी आईटी कंपनी है, लेकिन इसकी शुरुआत की कहानी बेहद ही दिलचस्प है. दरअसल, एन आर नारायण मूर्ति (N.R. Narayana Murthy) ने इस फर्म को अपनी पत्नी से 10000 रुपये उधार लेकर अपने छह दोस्तों के साथ मिलकर शुरू किया था. ये तो आपने कई बार सुना और पढ़ा होगा, लेकिन इंफोसिस के को-फाउंडर नारायण मूर्ति ने इसके शुरू होने के पीछे की एक और बड़ी वजह का खुलासा खुद किया है और उन्होंने इसके पीछे अरबपति अजीम प्रेमजी (Azim Premji) को कारण बताया है, जिसके लिए उन्हें पछतावा भी हुआ था.
Infosys को-फाउंडर ने किया खुलासा Narayana Murthy ने खुलासा करते हुए बता है कि कैसे आईटी कंपनी विप्रो (Wipro) के फाउंडर अजीम प्रेमजी की वजह से इंफोसिस अस्तित्व में आई और आज देश की टॉप-3 आईटी कंपनियों में शामिल हुई. बिजनेस टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, एक टीवी चैनल को दिए इंटरव्यू में उन्होंने इस राज से पर्दा उठाया है. उन्होंने कहा कि जब वो नौकरी की तलाश में थे, तब उन्होंने विप्रो में एप्लीकेशन डाली थी, लेकिन उनके आवेदन को अजीम प्रेमजी की कंपनी ने नारायण मूर्ति को नौकरी देने से इनकार कर दिया था.
इंफोसिस से पहले नारायण मूर्ति ने क्या-क्या किया? नारायण मूर्ति की पहली नौकरी आईआईएम अहमदाबाद (IIM Ahmedabad) में एक रिसर्च एसोसिएट की थी, जहां उन्होंने चीफ सिस्टम प्रोग्रामर के रूप में काम शुरू किया था. Infosys के अस्तित्व में आने से पहले उन्होंने सॉफ्ट्रोनिक्स की स्थापना की, लेकिन उनकी ये कंपनी सफल नहीं हो सकी. इसके बंद होने के बाद उन्होंने पुणे के पाटनी कंप्यूटर सिस्टम्स में नई नौकरी शुरू की थी. इस दौरान ही उन्होंने विप्रो में नौकरी के लिए आवेदन किया था, जिसे अस्वीकार कर दिया गया था.
अजीम प्रेमजी ने बताया था सबसे बड़ी गलती! Infosys Co-founder ने आगे खुलासा किया कि Wipro ने उनके नौकरी के आवेदन को ठुकरा दिया था , जिसके परिणामस्वरूप इंफोसिस का जन्म हुआ, जो आईटी उद्योग में विप्रो के शीर्ष प्रतिद्वंद्वियों में से एक है. इस दौरान उन्होंने ये भी बताया कि विप्रो फाउंडर अजीम प्रेमजी ने बाद में बताया थी कि उन्हें काम पर न रखना उनकी सबसे बड़ी गलतियों में से एक थी. नारायण मूर्ति के मुताबिक, अगर उस समय विप्रो में उन्हें काम पर रख लिया गया होता, तो फिर उनके और अजीम प्रेमजी दोनों के लिए चीजें अलग होतीं.
आज इस कंपनी का मार्केट कैपिटलाइजेशन (Infosys MCap) 6.65 करोड़ रुपये है और कंपनी का कारोबार अमेरिका, ब्रिटेन समेत दुनिया के कई देशों में फैला हुआ है. यही नहीं इंफोसिस देश की टॉप-10 वैल्यूएबल कंपनियों में भी शामिल है. वहीं दूसरी ओर विप्रो का मार्केट कैपिटल (Wipro MCap) 2.43 लाख करोड़ रुपये है.
1981 में ऐसे हुई इंफोसिस कि शुरुआत नारायण मूर्ति ने साल 1981 में अपने छह साथियों के साथ कंपनी शुरू करने का प्लान बनाया. उस दौर में नारायण मूर्ति अपनी पत्नी सुधा के साथ एक कमरे के मकान में रहते थे. कंपनी का नाम इंफोसिस (Infosys) तय हुआ और इसकी स्थापना में नारायण मूर्ति ने अपना हिस्सा देने के लिए पत्नी से 10,000 रुपये उधार लिए थे. इस तरह पुणे के एक अपार्टमेंट से कंपनी की शुरुआत हुई. साल 1983 में कंपनी का मुख्यालय पुणे से बेंगलुरु ट्रांसफर कर दिया गया.
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अधिकारी भीड़ को काबू करने के लिए बैंक के बाहर खड़े लोगों को कूपन दे रहे हैं, ताकि वे अपने लॉकर खोल सके. हालांकि जिन लोगों के पैसे अकाउंट में जमा हैं, उन्हें पैसे निकालने की अनुमति नहीं है. कुछ लोगों की तो सैलरी अभी हाल ही में आई और वे पैसे भी नहीं निकाल पाए थे. उन्हें भी पैसे निकालने का परमिशन नहीं दिया गया है.