Solar Panel Subsidy: AC-पंखे चलाएं या फिर जलाएं 10 बल्ब, बिजली बिल आएगा- जीरो, 25 साल तक टेंशन फ्री
AajTak
Solar Rooftop Scheme : आमतौर पर सोलर पैनल की लाइफ तकरीबन 25 साल होती है और इसका मतलब है कि आपका इस सरकारी स्कीम में किया गया निवेश इतने सालों तक बिजली कटौती या फिर भारी भरकम इलेक्ट्रिसिटी बिल से निजात दिला सकता है.
इस साल गर्मी अपने कड़े तेवर दिखा रही है और इससे लोग बेहाल हैं. एक ओर गर्मी का सितम और दूसरी ओर इस मौसम में होने वाली बिजली कटौती लोगों को बेहाल कर देती है. ऐसे में आप ग्रीन एनर्जी (Green Energy) के सहारे बिजली की कौटती और महंगे बिजली बिल (Electricity Bill) से निजात पा सकते हैं. इसके लिए आपको अपने घर की छत पर सोलर पैनल (Solar Panel) लगवाना होगा और फिर हो जाएंगे टेंशन फ्री. खास बात ये है कि इस काम के लिए सरकार की तरफ से मदद भी मिलेगी. फिर एसी (AC), पंखे चलाएं या फिर रोज घर में 10 बल्ब जलाएं, बिजली बिल का झंझट ही खत्म.
आप अपने घर की छत पर आसानी से सोलर पैनल (Solar Panel) लगवाकर अपनी जरूरत भर की बिजली पैदा कर सकते हैं. इसके लिए सरकार की तरफ से आपको सब्सिडी भी मिलेगी, जिससे सोलर पैनल लगवाने की आपकी लगात कम हो जाएगी. सोलर पैनल लगवाने का खर्च (Solar Panel Cost) कितना आएगा और सरकार की ओर से कितनी सब्सिडी मिलेगी और कैसे काम करती है ये सरकारी स्कीम, आइए इसका पूरा हिसाब-किताब समझ लेते हैं.
सरकार कर रही है मदद अगर आप अपने यहां सोलर पैनल लगवाना चाहते हैं, तो सरकार इसमें आपकी मदद करेगी. सरकार की ओर से सोलर पैनल लगाने के लिए सब्सिडी (Subsidy on Solar Panel) दी जा रही है. एक बार पैसा खर्च कर आप लंबे समय से बिजली कटौती और महंगे बिल की परेशानी से निजात पा सकते हैं. अगर आप अपने घर की छत पर सोलर पैनल लगवाना चाहते हैं, तो सबसे पहले आपको ये अनुमान लगाना होगा कि आपकी रोजाना की खपत कितनी है यानी आपको हर दिन कितने यूनिट बिजली की जरूरत है.
इसके लिए एक लिस्ट बनाएं कि आपके घर में कौन-कौन से ऐसे उपकरण हैं, जो बिजली से चलते हैं. अगर आपके घर में 2-3 पंखे, एक फ्रिज, 6-8 LED लाइटें, 1 पानी की मोटर और टीवी जैसे उपकरण बिजली से चलने वाले हैं, तो आपको प्रत्येक दिन 6 से 8 यूनिट बिजली की जरूरत पड़ेगी. फिर उसके अनुसार सोलर पैनल का सेट अपने यहां इंस्टॉल करवाएं.
6 से 8 यूनिट रोजाना बिजली पाने के लिए आप 2 किलोवाट क्षमता का सोलर पैनल अपने घर की छत पर लगवा सकते हैं. इसमें आपको चार सोलर पैनल मिलेंगे. इन्हें मिलाकर लगाना होगा. मोनोपर्क बाइफीशियल सोलर पैनल इस वक्त नए टेक्नोलॉजी के सोलर पैनल हैं. इसमें आगे और पीछे दोनों तरफ से पावर जेनरेट होता है. इस तरह आपको रोजना आपकी जरूरत भर बिजली मिल जाएगी.
सोलर रूफटॉप लगवाने के लिए कैसे करें अप्लाई पहले ये काम https://solarrooftop.gov.in/ पर लॉगिन करके किया जाता था, लेकिन अब http://pmsuryaghar.gov.in के जरिए भी सोलरपैनल लगावाया जा सकता है. सब्सिडी की बात करें तो पीएम सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना के तहत अपनी छत पर सोलर पैनल लगवाने के लिए वाले खर्च में इस योजना के तहत, 1 किलोवाट के लिए 18 हजार रुपये, 2 किलोवाट तक 30,000 रुपये और 3 किलोवाट के लिए कुल सब्सिडी 78,000 रुपये मिल जाती है.
Redmi A4 5G Price in India: शाओमी ने भारत में अपना नया स्मार्टफोन लॉन्च कर दिया है, जो ब्रांड का सबसे सस्ता 5G फोन है. कंपनी ने Redmi A4 5G को लॉन्च किया है, दो दमदार फीचर्स के साथ 9 हजार रुपये से कम के बजट में आता है. इसमें 50MP के मेन लेंस वाला डुअल रियर कैमरा और 5160mAh की बैटरी दी गई है. आइए जानते हैं इसकी डिटेल्स.
बीते कुछ सालों में, Artificial Intelligence ने कई sectors को revolutionize कर दिया है, और education field पर भी इसका बड़ा असर हुआ है. AI-powered technologies के development के साथ, हमारे सीखने और सिखाने के तरीके में बड़ा transformation हो रहा है. India में, जहां education system vast और diverse है, AI, students के education पाने के तरीके को नया रूप देने में बड़ा रोल निभा सकता है. आइए जानते हैं कि AI teachers भारत में education system को कैसे बदल सकते हैं, और इस बदलाव का students, teachers और पूरे देश पर क्या असर हो सकता है.
यदि आपका बच्चा पढ़ना-लिखना पसंद नहीं करता है तो ज्योतिषी प्रवीण मिश्र के उपाय का पालन कर इसे दूर कर सकते हैं. भगवान कृष्ण को मिसरी और तुलसी दल का भोग लगाकर प्रतिदिन बच्चे को खिलाएं. बच्चे के पढ़ाई के स्थान पर हरे रंग की चीजें ज्यादा रखें. बुधवार के दिन भगवान गणेश की पूजा करें. घी का दीपक जला कर आरती करें. भगवान गणेश से प्रार्थना करें.
जेेएनयू के टीचर्स एसोसिएशन ने एक बयान में कहा कि इससे पहले भी TISS ने मुंबई में इसी तरह की एक रिपोर्ट जारी की थी, जिसमें प्रो. पंडित ने हिस्सा लिया था. हालांकि, पूरी रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं की गई है और यह आरोप है कि सेमिनार में दी गई प्रस्तुतियों का इस्तेमाल कुछ राजनीतिक संगठनों ने प्रवासन के पैटर्न को 'अवैध' साबित करने के लिए किया.