Russia-Ukraine war: जेपोरेजिया में फास्फोरस बम बरसा रहा रूस, लोगों ने बताया खौफनाक मंजर
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रूस की सेना ने जेपोरेजिया शहर को चारों तरफ से घेर लिया है जो युद्ध प्रभावित अन्य स्थानों से अपनी जान बचाकर भागे हैं और शरणार्थी शिविरों में शरण लिए हुए हैं.
रूस और यूक्रेन के बीच जारी युद्ध विनाशकारी मोड़ लेता जा रहा है. यूक्रेन के जेपोरेजिया शहर को रूसी सेना ने चारों तरफ से घेर रखा है. हर तरफ बमबारी हो रही है. रूसी सेना आसमान से फास्फोरस बम बरसा रही है जो प्रतिबंधित हैं. अपना घर-बार छोड़कर किसी तरह जान बचाकर शरणार्थी शिविरों में शरण लेने वाले लोगों ने आजतक से खौफनाक मंजर बयान किए.
अपने मोबाइल फोन पर 68 साल की तेरतान्या वो खौफनाक मंजर बार-बार देखती रहती हैं. आसमान से बरसते अंगारे उनकी आंखों में दहशत भर देते हैं. क्या हश्र होगा उसके गांव का? उनकी दोस्तों का? उनके घर का? तेरतान्या बताती हैं कि उनका गांव जेपोरेजिया से 70 किलोमीटर की दूरी पर है. उनको कभी नहीं लगा था कि उनके गांव में भी बमबारी होगी क्योंकि वहां सेना का कोई बेस नहीं था लेकिन वह गलत थीं.
आंखों में दहशत लिए तेरतान्या ने बताया कि जब गांव पर मिसाइलें गिरने लगीं तब भी वो घर छोड़कर नहीं गईं. किडनी की बीमारी होने के बावजूद भी तीन हफ्ते अकेले बेसमेंट में रहीं. उन्होंने फास्फोरस बम की बात की और बताया कि अब सहेली नताशा के साथ रह रही हूं. कमोबेश ऐसी ही दास्तान बयान किया मारियूपोल के युगन ने.
युगन ने कहा कि रूसी कब्जे वाले इलाकों से भागना नामुमकिन था. सबसे अधिक तबाही झेलने वाले मारियूपोल से भागकर आए युगन कहते हैं कि अब डर नहीं लगता. मौत का मंजर, गोलियों की गूंज और उसके बीच मिटता जिंदगी का नामोनिशान... हमने ये सब देखा है. उन्होंने बताया कि कई दिन बंकर में ही रात बिताई. जैसे-तैसे अपने परिवार के चार सदस्यों के साथ जेपोरेजिया तो पहुंच गया लेकिन अपने पिता को गांव में ही छोड़ दिया.
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युगन ने गाड़ी का शुक्रिया किया जिससे वे मारियूपोल से भागकर आए और रास्ते की कठिनाइयों को भी बयान किया. वे बताते हैं कि चार दिन के सफर में 30 चेक प्वाइंट पड़े. अब परिवार के साथ जर्मनी जाना चाहते हैं. वहीं, अपनी मां के साथ शरणार्थी शिविर आई 11 साल की मारिया को अपना घर सबसे प्यारा लगता है. मारिया अपने साथ एक बैग और गुड़िया लेकर आई है.
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