NEET की लड़ाई इतनी बड़ी क्यों है? सीमित सीटें, करोड़ों में फीस... डॉक्टरी की पढ़ाई में छिपा है जवाब
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नीट परीक्षा में धांधली को लेकर दिन पे दिन सीबीआई की तरफ से खुलासे हो रहे हैं. ऐसे में जिन छात्रों ने नीट की परीक्षा दी है या जो डॉकटर बनने का सपना देख रहे हैं उनको अपना भविष्य अंधकार में नजर आ रहा है. जिन छात्रों के पास करोड़ों रुपये नहीं है उनके पास नीट ही एक मात्र रास्ता था अपने डॉक्टर बनने के सपने को पूरा करने का. आइए जानते हैं देश में एमबीबीएस की पढ़ाई करना कितना मुश्किल है.
NEET मुद्दे पर आजकल आप जो सड़कों पर उतरे छात्र देख रहे हैं, कोर्ट में अर्जियां लगाते वकील, नेताओं के बयान सुन रहे हैं. कभी आपने सोचा कि ये मुद्दा आखिर इतना बड़ा क्यों है. इतने मेडिकल कॉलेज है, बच्चे कहीं भी एडमिशन ले सकते हैं फिर रैंक को लेकर इतना बवाल क्यों मचा है. इसे समझने के लिए आपको भारत में मेडिकल की पढ़ाई का खर्च, संरचना, कॉलेजों की संख्या और छात्रों की भारी संख्या का पूरा गणित समझना होगा. यहां हम आपको विशेषज्ञ के नजरिये और आंकड़ों के जरिये आपको समझाने की कोशिश कर रहे हैं.
भारत में डॉक्टर बनने के लिए किसी मेडिकल कॉलेज में दाखिला पाना किसी टेढ़ी खीर से कम नहीं. इसके लिए या तो आप सुपर इंटेलिजेंट हों या फिर आपके पास पांच साल की फीस वगैरह भरने के लिए करोड़ों रुपये हों. वजह हमारे देश में सरकार मेडिकल कॉलेजों में जितनी सीटें हैं उससे 10 गुना ज्यादा उनके दावेदार कैंडिडेट्स हैं. आप इस साल का ही डेटा लें, जब तकरीबन 23 लाख से ज्यादा कैंडिडेट्स ने नीट की परीक्षा दी है और देश में कुल 704 मेडिकल कॉलेज हैं, इनमें 10 लाख 9 हजार 170 सीटें हैं. इन 704 कॉलेजों में सरकारी कॉलेज सिर्फ 382 हैं बाकी 264 प्राइवेट कॉलेज हैं, 7 सेंट्रल यूनिवर्सिटी हैं और 51 डीम्ड यूनिवर्सिटी हैं.
अगर आप भारत में किसी प्राइवेट यूनिवर्सिटी में मेडिकल की पढ़ाई करने जाएं तो शायद आप दरवाजे से ही लौट आएं क्योंकि यहां का महंगा फीस स्ट्रक्चर आपके होश उड़ा देगा. इसलिए कई छात्र सरकारी मेडिकल कॉलेज में पढ़ाई करने की इच्छा रखते हैं. एम्स रायपुर सरकारी मेडिकल कॉलेज के फीस स्ट्रक्चर पर नजर डालें तो यहां एक सेमेस्टर की फीस मेरिट से पास हुए छात्रों के लिए मात्र 5 हजार 856 रुपये हैं. वहीं, प्राइवेट कॉलेज या डीम्ड यूनिवर्सिटी में यह लाखों में पहुंच जाती है. इसी तरह देश में जितने भी एम्स हैं, उनकी फीस 5 हजार के आसपास ही है. बता दें कि ऐम्स देश के नंबर वन मेडिकल कॉलेज में गिना जाता है. अधिकतर नीट के छात्र इसी मेडिकल कॉलेज की सीट के लिए फाइट करते हैं.
देश के किस मेडिकल कॉलेजों में कितनी सीटें
देश में 7 सेंट्रल यूनिवर्सिटी हैं, जिनमें सिर्फ 1 हजार 180 सीटें हैं. इन सभी में पूरे 5 साल की मेडिकल पढ़ाई का खर्चा देखा जाए तो वह करीबन 3 लाख 64 हजार आता है. वहीं, भारत में फिलहाल 264 प्राइवेट कॉलेज हैं, जिनमें 42 हजार 515 सीटे हैं. यहां की कुल फीस 78 लाख के आसपास जाती है. वहीं, पब्लिक मेडिकल कॉलेज यानी की सरकारी कॉलेज की बात करें तो देश में कुल 382 सरकारी कॉलेज हैं, जिनमें 55 हजार 225 सीटे हैं और यहां पर मेडिकल की पढ़ाई हर सेमेस्टर औसत 73 हजार 969 है.
करोड़ों में होती प्राइवेट कॉलेज की पढ़ाई
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