India vs Bharat: देश का नाम कैसे पड़ा भारत? जानें क्या कहते हैं पुराण के विद्वान
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India vs Bharat: विपक्षी गठबंधन का I.N.D.I.A नाम पड़ने के बाद देश को भारत नाम से संबोधित करने की चर्चा शुरू हो गई है. बीते दिनों पीएम मोदी ने भी संसद में विष्णु पुराण का हवाला देते हुए कहा था कि समुद्र के उत्तर में और हिमालय के दक्षिण में जो देश है, उसे भारत कहते हैं. और इसकी संतानों को भारतीय कहा जाता है.
India vs Bharat: विपक्ष गठबंधन का नाम I.N.D.I.A. होने के बाद देश में भारत नाम की चर्चा शुरू हो गई है. मोदी सरकार देश को भारत के नाम से संबोधित किए जाने पर जोर देने लगी है. यही वजह है कि जी-20 सम्मेलन के दौरान प्रेसिडेंट ऑफ भारत के नाम का 'डिनर इनविटेशन' बनकर तैयार हो चुका है. तो वहीं पीएम मोदी के इंडोनेशिया दौरे के दस्तावेज पर भी 'प्राइम मिनिस्टर ऑफ भारत' छप चुका है.
बीते दिनों पीएम मोदी ने भी संसद में विष्णु पुराण का हवाला देते हुए कहा था कि समुद्र के उत्तर में और हिमालय के दक्षिण में जो देश है, उसे भारत कहते हैं. और इसकी संतानों को भारतीय कहा जाता है. आइए जानते हैं कि इस संदर्भ में काशी में पुराण के विद्वान क्या कहते हैं.
इतिहास में तीन बार 'भरत' का जिक्र काशी हिंदू विश्वविद्यालय में संस्कृत विद्या धर्म विज्ञान डिपार्टमेंट के पूर्व विभाग प्रमुख और पुराण वेदांत व साहित्य के प्रोफेसर विन्ध्येश्वरी प्रसाद मिश्र ने आजतक से खास बातचीत में बताया कि इतिहास में तीन बार 'भरत' का जिक्र आता है. एक शकुंतला-दुष्यंत के पुत्र भरत, दूसरा राम के भाई भरत और तीसरा सबसे अनादि भारत जो विष्णु भगवान के 24 अवतारों में से एक हैं और जिन्हें जैन धर्म का तीर्थंकर आदिनाथ भी कहते हैं. इनका नाम 'ऋषभदेव' है और ऋषभदेव के 100 पुत्रों में सबसे बड़े पुत्र हैं 'भरत'.
कैसे देश का नाम पड़ा भारत? भरत का जिक्र विष्णु पुराण और श्रीमद्भागवत पुराण विशेष रूप से मिलता है. सतयुग की बात है, सबसे बड़ा पुत्र होने की वजह से जब ऋषभदेव ने भरत को राजपाठ सौंपा और तपस्या करने नेपाल के गंडकी नदी शालिग्राम क्षेत्र में चले गए. राजा भरत का शासन हिमालय से लेकर समुंद्र पर्यंत यानी हिमालय से लेकर कन्याकुमारी तक फैला था. राजा भरत का शासन बहुत अच्छा चल रहा था.
भरत के शासन से खुश होकर उनका राज्य जिसे उस वक्त 'अजनाभवर्ष' कहा जाता था, अपने राजा के नाम पर 'भारत' कहा जाने लगा. तभी से इस राज्य को भारतवर्ष पुकारा जाता है. जहां तक ऋषभदेव की बात है तो नेपाल के गंडकी नदी शालिग्राम क्षेत्र में उनकी तपस्या मृग के बच्चे के प्रेम में टूट गई.
फिर अगले जन्म में वह मृग बनकर बांदा के पास कालिंजर में पैदा हुए और फिर वहां से चलते हुए वापस गंडकी नदी के पास आकर मृग का शरीर त्यागा. अगला जन्म ब्राह्मण कुल में लेकर उन्होंने अपनी बची तपस्या पूरी की. प्रों विंध्येश्वरी प्रसाद मिश्र ने बताया कि ऋषभदेव के पुत्र 'भरत' के नाम पर ही देश का नाम भारतवर्ष पड़ा था.
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