Haryana Exit Poll: किसान-पहलवान-जवान नहीं, ये 7 कारण अहम रहे हरियाणा में BJP के पिछड़ने के
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Haryana Exit Poll Result 2024: आम तौर पर हरियाणा में बीजेपी के खराब परफार्मेंस के पीछे किसानों- पहलवानों और जवानों की नाराजगी को कारण माना जा रहा था पर कांग्रेस की बढ़त के और भी कारण हैं.
हरियाणा विधानसभा चुनावों के एग्जिट पोल आ चुके हैं. आज तक और C-voter के एग्जिट पोल में हरियाणा में कांग्रेस भारी बहुमत लेती दिख रही है. कांग्रेस को 50 से 58 सीटें मिलती दिख रही हैं. जबकि बीजेपी 20 से 28 सीटों पर सिमट रही है. इसी तरह कांग्रेस के वोट शेयर करीब 7 प्रतिशत बढ़ता दिख रहा है. जबकि बीजेपी का भी वोट परसेंटेज एक से डेढ़ प्रतिशत बढ़ता दिख रहा है. इस तरह हरियाणा में तीसरी बार बीजेपी की सरकार बनती नहीं दिख रही है. कांग्रेस की वापसी के संकेत हैं. पर एग्जिट पोल के जो भी संकेत हैं वो किसी के लिए आश्चर्यजनक नहीं हैं. विधानसभा चुनावों की घोषणा से बहुत पहले हरियाणा की फिजां में बीजेपी के खिलाफ माहौल तारी था. किसानों की नाराजगी , महिला पहलवानों के आंदोलन और अग्नीवीर के चलते जवानों की नाराजगी जगजाहिर थी. लोकसभा चुनावों के समय ही बीजेपी के खिलाफ ये नाराजगी खुलकर सामने आ चुकी थी पर कांग्रेस में गुटबंदी के चलते बीजेपी ने आधी सीटें (10 में से 5 लोकसभा सीटें) फिर से जीत लीं थीं. विधानसभा चुनावों में भी कांग्रेस बंटी हुई थी पर राहुल गांधी-प्रियंका गांधी ही नहीं सोनिया गांधी तक ने पार्टी को ऐन वक्त पर एकजुट बनाए रखने के लिए मेहनत की. पर कांग्रेस के लैंडस्लाइड विक्ट्री की जो संभावना बन रही है उसके पीछे कुछ अन्य कारण अहम हैं.
1- दो दिन पहले ही बीजेपी ने हार मान ली थी
आम तौर पर भारतीय जनता पार्टी अंतिम समय तक लड़ाई लड़ने के लिए जानी जाती रही है. जिस तरह पाकिस्तानी क्रिकेट टीम भारत की मजबूत टीम को अंत में आकर ध्वस्त कर देते रहे हैं ठीक उसी तरह बीजेपी कई बार मजबूत कांग्रेस का काम खराब कर देती रही है. पर इस बार भारतीय जनता पार्टी ने वोटिंग के दो दिन पहले ही मैदान छोड़ दिया. इसलिए जनता में संदेश चला गया कि बीजेपी मानकर चल रही है कि सरकार कांग्रेस की बन रही है. जबकि पीएम मोदी चुनाव प्रचार के अंतिम समय तक रोड शो करने के लिए जाने जाते रहे हैं. कई बार अपनी इसी कारीगरी के चलते मोदी और बीजेपी ने कांग्रेस और विपक्ष का बनता काम बिगाड़ दिया.पर इस बार बीजेपी का वो जज्बा नहीं दिखा. चुनाव प्रचार के अंतिम दिन से एक दिन पहले ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह चुनाव प्रचार के लिए हरियाणा नहीं पहुंचे. इसके ठीक विपरीत राहुल गांधी और प्रियंका गांधी ने हरियाणा में कांग्रेस कैंडिडेट के लिए अंतिम दिन तक मेहनत की है. इसका सीधा संदेश यही गया कि बीजेपी यह मानकर चल रही है कि इस विधानसभा चुनावों में कुछ हाथ नहीं आने वाला है.
2- हरियाणा बीजेपी में दलित चेहरे का अभाव
संसदीय चुनावों में जिस तरह यूपी में पार्टी की जमीन खिसकने का सबसे बड़ा कारण दलित और अति पिछड़ों का वोट रहा वैसा ही कुछ इस बार हरियाणा में भी हुआ है. हरियाणा में जाट के बाद दलित दूसरा सबसे बड़ा वोटबैंक है. राज्य की 17 सीटें दलितों के लिए आरक्षित हैं और ये 35 विधानसभा सीटों पर चुनाव नतीजे प्रभावित करने की कूवत रखते है.
2014 में राज्य में बीजेपी की बड़ी सफलता के पीछे यही कारण था कि दलित समाज ने बीजेपी को फुल सपोर्ट किया था. उत्तर प्रदेश में भी दलितों ने 2014 लोकसभा और 2017 विधानसभा में बीजेपी को जबरदस्त सपोर्ट किया था. पर 2024 में कांग्रेस का संविधान बचाओ- आरक्षण बचाओ नारा काम कर गया.
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