Exclusive: JNU एक्ट्रेस गीतिका के लिए कितना मुश्किल था फिल्म में काम करना? शूट के बीच मिला जीवनसाथी
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टीवी और बॉलीवुड में सालों से काम कर रही एक्ट्रेस गीतिका महेंद्रू अब फिल्म 'जेएनयू: जहांगीर नेशनल यूनिवर्सिटी' में नजर आ रही हैं. 21 जून को रिलीज हुई इस फिल्म में गीतिका ने वसुधा नाम की लड़की का किरदार निभाया है. इस बारे में उन्होंने आजतक से एक्सक्लूसिव बात की.
टीवी और बॉलीवुड में सालों से काम कर रही एक्ट्रेस गीतिका महेंद्रू अब फिल्म 'जेएनयू: जहांगीर नेशनल यूनिवर्सिटी' में नजर आ रही हैं. 21 जून को रिलीज हुई इस फिल्म में गीतिका ने वसुधा नाम की लड़की का किरदार निभाया है, जो दलित समाज से आती है और अपनी आवाज उठाने में विश्वास रखती है. 'कबीर सिंह', 'जर्सी' जैसी फिल्मों और 'छोटी सरदारनी', 'रूहानियत' जैसे टीवी शो और सीरीज में काम कर चुकीं गीतिका के लिए 'जेएनयू' फिल्म में काम करना काफी चैलेंजिंग था. इस बारे में उन्होंने आजतक से एक्सक्लूसिव बात की.
कैसे मिला इस फिल्म में काम?
बॉम्बे में एंटी कास्टिंग एक ग्रुप है, एक शादाब भाई थे. जिनके जरिए मैं और काम किया करती थी, एड वगैरह के वो मुझे कॉन्टैक्ट किया करते थे. एक दिन उन्होंने मुझे कॉल किया कि गीतिका ऐसा-ऐसा प्रोजेक्ट है. उन्होंने पहले से ही प्रोजेक्ट के बारे में सब साफ कर दिया था. उन्होंने मुझे कहा कि टीम तुमसे मिलना चाहती है. उन्हें लगता है कि तुम उनके एक किरदार में फिट होती हो. मैं गई, उन्होंने मेरी सारी डिटेल्स ली. वो मेरे साथ लुक टेस्ट करना चाहते थे. लुक टेस्ट हुआ और फिर मुझे सबकुछ बताया गया. ये ऐसा किरदार था जिसके लिए स्क्रिप्ट के अंदर लिखा होता था वसुधा, जो मेरे किरदार का नाम है और लिखा होता था- स्लोगन बोल रही है...
वसुधा के जो स्लोगन थे, वो आप बोल सकते हो बहुत भड़काने वाले स्लोगन थे. जो स्क्रिप्ट में भी नहीं थे. उसमें हमेशा लिखा होता था- स्लोगन बोल रही है. किसी को भी पता नहीं था कि मैं क्या करने वाली हूं. मैं बहुत कन्फ्यूज थी कि लुक टेस्ट हो गया, सबकुछ हो गया, जब स्क्रिप्ट मेरे हाथ में आई है तो उसमें स्लोगन ही नहीं हैं. मुझे करना क्या है. जब रीडिंग हो रही है सभी एक्टर्स की तो मैं क्या बोलूं. फिर जो हमारे कास्टिंग वाले थे उन्होंने मेरी मीटिंग अरेंज करवाई. सबके बीच में वो ब्रीफ नहीं करना चाहते थे, क्योंकि ये किरदार बहुत विवादित इसकी बातें थीं.
ये रियल लाइफ के दो-तीन लोगों का कॉम्बिनेशन है, जिसमें वो हमेशा स्लोगन बोलती है. ये ऐसे परिवार से आती है, जिनके पास हमेशा सबकुछ नहीं होता है. जो अपने हक के लिए लड़ते हैं. जिनके घर में लड़कियों की जल्दी शादी कर दी जाती है. उसके बीच में ये लड़की है जिसको पढ़ने का मौका मिला. पैसे नहीं हैं परिवार के पास उसको पढ़ाने के लिये. लेकिन उसको एक मौका मिलता है, जेएनयू में उसका एडमिशन मिलता है. जहां उसे पता चलता है कि ये एक ऐसी जगह है जहां वो आवाज उठा सकती है. उसकी आवाज मायने रखती है. फिर मुझे समझाया गया कि दलितों और शूद्र होते हैं. मुझे सारा ब्रीफ दिया गया. सारी बैकस्टोरी समझाई गई. आजतक मैंने ऐसा किरदार प्ले नहीं किया था.
आपने कहा कि आपको जातिवाद के बारे में बताया गया. आपको पहले इसके बारे में नहीं पता था? आपने अपनी जिंदगी में जातिवाद देखा, स्कूल में पढ़ा है? आपको जाति और वर्णों के बारे में पता था?