Euthanasia: फिजिकली फिट, फिर भी क्यों मिली 'मौत' की मंजूरी? 29 साल की महिला ने छोड़ी दुनिया
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ये महिला जर्मनी की सीमा के पास स्थित नीदरलैंड के एक गांव से थी. उसने अपनी मर्जी से अपनी जान देने का फैसला लिया. इस मामले को 'अप्रूव्ड सुसाइड' कहा जा रहा है. यानी ऐसी आत्महत्या, जिसकी इंसान को मंजूरी मिली हो.
एक 29 साल की डच महिला को यूथेनेशिया की मंजूरी मिल गई. उसने दुनिया को अलविदा कह दिया है. अक्सर यूथेनेशिया की मंजूरी उन लोगों को मिलती है, जो किसी लाइलाज बीमारी से पीड़ित हों. हालांकि इस मामले में महिला फिजिकली बिल्कुल फिट थी. लेकिन वो मानसिक तौर पर बीमार थी. महिला का नाम जोरया टेर बीक था. वो जर्मनी की सीमा के पास स्थित नीदरलैंड के एक गांव से थीं. उन्होंने अपनी मर्जी से अपनी जान देने का फैसला लिया. इस मामले को 'अप्रूव्ड सुसाइड' कहा जा रहा है. यानी ऐसी आत्महत्या, जिसकी इंसान को मंजूरी मिली हो.
डेली मेल की रिपोर्ट के अनुसार, जोरया डिप्रेशन, एंग्जाइटी और बॉर्डरलाइन डिसॉर्डर की शिकार थीं. उन्हें ये झेलते हुए 10 साल से ज्यादा हो गए थे. तमाम ट्रीटमेंट्स के बाद भी कुछ सुधार नहीं हो रहा था. जोरया के एक दोस्त ने ब्लॉग पोस्ट में उनकी मौत की पुष्टी की. उसने कहा कि जोरया ने स्थानीय समयानुसार दोपहर 1:25 मिनट पर यूथेनेशिया एक्सपर्टाइज सेंटर में अपने प्राण त्यागे हैं. नीदरलैंड में इच्छामृत्यु के कानून काफी ढीले हैं. जो लोग असहनीय पीड़ा से गुजर रहे हों और सुधार की कोई संभावना न हो, उन्हें चिकित्सकीय सहायता से मृत्यु चुनने की अनुमति है. जोरया टेर बीक का फैसला बताता है कि मानसिक स्वास्थ्य इंसान के लिए कितना भारी पड़ सकता है और वर्तमान में इससे निपटने के लिए विकल्प भी पर्याप्त नहीं हैं. जोरया के दोस्त उन्हें सोशल मीडिया पर श्रद्धांजलि दे रहे हैं. एक पोस्ट में लिखा है कि जोरया ने पहले अपने 29वें जन्मदिन को मौत के लिए चुना था. उनका जन्मदिन 2 मई, 2024 को आता है. लेकिन बाद में ये फैसला बदल लिया. डच अखबार अलगेमीन डैगब्लैड में प्रकाशित एक शोक संदेश में जोरया टेर बीक की मौत को 'एक गरिमापूर्ण मौत बताया गया है, जिसे वो असहनीय मनोवैज्ञानिक पीड़ा के कारण वर्षों से चाहती थीं.' जोरया जब प्राण त्याग रही थीं, तब उनके पास बॉयफ्रेंड समेत उनसे जुड़े अन्य कई लोग मौजूद थे.
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