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'Delhi में अच्छी-भली लॉ की पढ़ाई कर रहा था, मेरा भविष्य चौपट कर डाला...', दोबारा टिकट न मिलने पर देवाशीष जरारिया ने छोड़ी कांग्रेस
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Loksabha Election 2024: भिंड से साल 2019 में कांग्रेस पार्टी के लोकसभा प्रत्याशी रहे देवाशीष जरिया ने पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा देकर भिंड की राजनीति में भूचाल ला दिया है. देवाशीष जरारिया ने इस्तीफा में ऐसी ऐसी बातें लिखी हैं, जिनको लेकर अब कांग्रेस पार्टी पर ही सवाल खड़े होने लगे हैं.
Loksabha Election 2024: मध्य प्रदेश के भिंड से कांग्रेस को एक और बड़ा झटका लगा है. 2019 में कांग्रेस के लोकसभा प्रत्याशी रहे देवाशीष जरारिया ने पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया. युवा नेता ने अपना त्याग पत्र पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को भेजा है.
aajtak से खास बातचीत में देवाशीष जरारिया ने बताया, मेरा भविष्य चौपट कर दिया. मुझे दिल्ली से यहां लेकर आए. मैं दिल्ली में अच्छी भली LAW की पढ़ाई कर रहा था. यहां लाकर मुझे 5 साल क्षेत्र में काम करने को कहा. मेरा टिकट काट दिया. मुझे संगठन में भी कोई जिम्मेदारी नहीं दी गई. हमारे ही समाज की निशा बागरे का भविष्य भी कांग्रेस ने चौपट कर दिया. मुझे अन्य जगहों से ऑफर है. जल्दी ही इस बारे में प्रेस वार्ता आयोजित करके जानकारी दूंगा.
दरअसल, देवाशीष ने बुधवार को कांग्रेस पार्टी से इस्तीफा दे दिया. इस्तीफे के पत्र में देवाशीष जरारिया ने इस बात का जिक्र किया है कि पार्टी ने उन्हें हाशिए पर धकेल दिया है, इसलिए उन्हें यह कठोर निर्णय लेना पड़ रहा है.
देवाशीष अपने पत्र में लिखते हैं, मुझे साल 2019 में पार्टी ने प्रत्याशी बनाया था, हार के बावजूद भी वह लगातार क्षेत्र में लोगों के बीच बने रहे और कांग्रेस पार्टी को मजबूत करने का काम किया. इस दौरान कई चुनाव हुए और उन्हें पार्टी की तरफ से यही विश्वास दिलाया गया कि लोकसभा चुनाव में उन्हें टिकट दिया जाएगा, लेकिन लोकसभा चुनाव में उनका टिकट काट दिया गया है. इसके अलावा उन्हें संगठन में भी जिम्मेदारी की देने की बात की गई थी, लेकिन वह जिम्मेदारी भी नहीं दी गई है.
'दूध में से मक्खी की तरह निकाल कर फेंका'
इतना ही नहीं, कांग्रेस के लोकसभा प्रत्याशी द्वारा उन्हें किसी भी कार्यक्रम में नहीं बुलाया जा रहा है. देवाशीष ने पत्र में लिखा है कि कांग्रेस में नेताओं ने उनकी राजनीतिक हत्या की जिम्मेदारी ले रखी है और उन्हें दूध में पड़ी मक्खी की तरह निकाल कर फेंक दिया गया है.
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देर रात मैं एक कॉल करती हूं. सिरदर्द की शिकायत के साथ. लेकिन किसी अस्पताल नहीं, बल्कि एक प्रेयर-लाइन पर. उस पार की आवाज ‘तौबा की प्रार्थना’ करवाती है. इसके बाद ‘चंगाई की प्रेयर’. आवाज तसल्ली देती है- सिस्टर, आप यीशू को याद करो. दर्द उठे तो फिर कॉल करना. मैंने अलग-अलग नंबरों पर अलग-अलग वक्त में ऐसे कई फोन किए. इमरजेंसी सर्विस की तेजी से काम करते ये नंबर पेंटेकोस्टल चर्चों के हैं. लगभग पूरा पंजाब ऐसे चर्च और मिनिस्ट्रीज से अटा हुआ.
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