![AAP के लिए नया संकट बन गए मेयर चुनाव, मैदान में उतरे तीन बागियों को मनाने की कोशिश जारी](https://akm-img-a-in.tosshub.com/aajtak/images/story/202404/66219e036887f-aam-aadmi-party-305619910-16x9.jpeg)
AAP के लिए नया संकट बन गए मेयर चुनाव, मैदान में उतरे तीन बागियों को मनाने की कोशिश जारी
AajTak
शुक्रवार को मेयर पद के लिए बीजेपी और आप की ओर से कुल 2 और डिप्टी मेयर के लिए कुल 4 प्रत्याशियों ने अपने नामांकन पत्र दाखिल हुए तो आप का सियासी संकट अब दिल्ली नगर निगम तक पहुंच चुका है. पार्टी की ओर से अधिकृत तौर पर मेयर पद के लिए महेश खींची और डिप्टी मेयर पद के लिए रविंद्र भारद्वाज ने सिविक सेंटर स्थित निगम सचिव कार्यालय में पहुंच कर नामांकन पत्र दाखिल किया.
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल तिहाड़ जेल में है . उधर आप शासित दिल्ली नगर निगम में 26 अप्रैल को होने वाले मेयर चुनाव से पहले आम आदमी पार्टी में पार्षदों की बगावत भी शुरू हो चुकी है. नामांकन के वक्त इसकी बानगी देखने को मिली.
मेयर चुनाव आम आदमी पार्टी (AAP) के लिए बड़ा संकट लेकर आया है. ये तब सामने आ गया जब डिप्टी मेयर पद के लिए आम आदमी पार्टी के तीन निगम पार्षदों ने अपने नामांकन पत्र दाखिल किये हैं. आपको बता दें केवल एक कैंडिडेट रविंद्र भारद्वाज के नाम की आधिकारिक घोषणा आप पार्टी की ओर से की गई , जबकि दो निगम पार्षदों ने पार्टी नेतृत्व के साथ बगावत करते हुए अपने नामांकन पत्र दाखिल कर दिए. आप के अंदरूनी सूत्रों का कहना है की दोनों बागी पार्षदों को मनाने की कोशिशें जारी हैं.
शुक्रवार को मेयर पद के लिए बीजेपी और आप की ओर से कुल 2 और डिप्टी मेयर के लिए कुल 4 प्रत्याशियों ने अपने नामांकन पत्र दाखिल हुए तो आप का सियासी संकट अब दिल्ली नगर निगम तक पहुंच चुका है. पार्टी की ओर से अधिकृत तौर पर मेयर पद के लिए महेश खींची और डिप्टी मेयर पद के लिए रविंद्र भारद्वाज ने सिविक सेंटर स्थित निगम सचिव कार्यालय में पहुंच कर नामांकन पत्र दाखिल किया.
डिप्टी मेयर पद के लिए आप के ही बगावती निगम पार्षद विजय कुमार और नरेंद्र गिरसा ने अपने-अपने नामांकन पत्र दाखिल कर दिये. आप नेताओं की ओर से उन्हें मनाने का सिलसिला शुरू हो गया है. देर रात तक पार्टी के कई नेता दोनों निगम पार्षदों के घर पर उन्हें मनाने में जुटे रहे.
आप से जुड़े सूत्र बताते हैं कि पार्टी के निगम पार्षदों में इस बात को लेकर नाराजगी है कि सीनियर पार्षदों की बेकद्री हो रही है, पार्षद की रेस में चलने वाले शुरुआती नाम जैसे प्रेम चौहान, सारिका चौधरी में से कोई भी नाम इसलिए नहीं उठाया गया क्योंकि एक विधायक ने इस्तीफा की धमकी तक दे दी की अगर पार्षद को मेयर कैंडिडेट बनाया जाएगा तो विधायक ने इस्तीफे की धमकी तक दे डाली. पार्षदों के बागी बनने की एक वजह यह भी है. वहीं मेयर और डिप्टी मेयर पद के लिए नाम तय करते समय भी पार्षदों को भरोसे में नहीं लिया गया. सूत्रों का यह भी कहना है कि दिल्ली सरकार में मंत्री रहे राजकुमार आनंद द्वारा पार्टी नेतृत्व के ऊपर भ्रष्टाचार के आरोप लगाते हुए पार्टी व मंत्री पद छोड़े जाने के बाद कई पार्षदों में अपने लिए असुरक्षा की भावना घर करने लगी है.
![](/newspic/picid-1269750-20250213084148.jpg)
महाराष्ट्र के पूर्व मंत्री का बेटा अपने दोस्तों के साथ चार्टर्ड फ्लाइट (chartered flight) से बैंकॉक (Bangkok) जा रहा था, लेकिन इस बारे में परिजनों को नहीं बताया था. इसके बाद पूर्व मंत्री ने फ्लाइट को आधे रास्ते से ही पुणे वापस बुलवा लिया. इस पूरे मामले में न केवल पुलिस बल्कि एविएशन अथॉरिटी तक को शामिल होना पड़ा.
![](/newspic/picid-1269750-20250213073703.jpg)
मणिपुर सहित पूरे उत्तर-पूर्व में जातीय संघर्ष बेहद जटिल और गहराई से जड़ें जमाए हुए हैं. न तो बिरेन सिंह का इस्तीफा, न कोई नया मुख्यमंत्री और न ही केंद्र का सीधा हस्तक्षेप इस समस्या का कोई आसान समाधान निकाल सकता है. जब तक राज्य के हर जातीय, धार्मिक और भाषाई समुदाय की अपनी अलग पहचान को बनाए रखने की मानसिकता कायम रहेगी तब स्थाई शांति की बीत बेमानी ही होगी.
![](/newspic/picid-1269750-20250213064019.jpg)
विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि आपकी सलाह हम मानते हैं. यही तरीका उधर वाले भी मान गए तो हम समझते हैं कि नड्डा साहब अपने सदस्यों को बड़ा कंट्रोल में रखा है. मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि वक्फ बिल पर हमारे अनेक सदस्यों ने डिसेंट नोट्स दिए हैं. उनको प्रॉसीडिंग से निकालना अलोकतांत्रिक है. VIDEO
![](/newspic/picid-1269750-20250213061806.jpg)
संसद के दोनों सदनों में हंगामा जारी है. राज्यसभा में जेपीसी रिपोर्ट पेश की गई, जबकि लोकसभा में भी इसे टेबल किया जाना है. विपक्ष इस रिपोर्ट का विरोध कर रहा है. इसके अलावा, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के अपमान को लेकर सभापति ने कड़ा रुख अपनाया. उन्होंने कहा कि यह देश की पहली आदिवासी महिला राष्ट्रपति का अपमान है. VIDEO
![](/newspic/picid-1269750-20250213055354.jpg)
पंजाब सरकार पिछले कई महीनों से व्यस्त चल रही थी. सूबे के मुख्यमंत्री और उनके शीर्ष कैबिनेट मंत्री दिल्ली विधानसभा चुनाव में लगे हुए थे. राज्य सरकार को अपने मंत्रिमंडल की बैठक के लिए समय नहीं मिल पा रहा था. आखिरी कैबिनेट बैठक 8 अक्टूबर, 2024 को बुलाई गई थी और तब से कोई कैबिनेट बैठक नहीं हुई. देखें...