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दिल्ली में कैसे खा गई मात? AAP ने गिनाए हार के ये तीन बड़े कारण, फ्यूचर के लिए सेट किए 3 टारगेट
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लोकसभा चुनावों में पिछले तीन बार से दिल्ली की सातों सीटों पर बीजेपी का कब्जा रहा है लेकिन विधानसभा चुनाव में पिछले दस साल से AAP जीतती आई है. इसकी सबसे बड़ी वजह उस मिडिल क्लास वोटर्स को माना जाता है जो लोकसभा चुनाव में बीजेपी को वोट करता है लेकिन विधानसभा चुनाव में AAP की तरफ शिफ्ट हो जाता है.
दिल्ली विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी को मिली हार के बाद पहली बार पार्टी ने इसकी समीक्षा की है. दिल्ली का मिडिल क्लास वोटर जो लोकसभा में बीजेपी के साथ था इस बार के विधानसभा चुनाव में वापस AAP के साथ नहीं आया, इसी फैक्टर को पार्टी अपनी हार की सबसे बड़ी वजह मानती है. साल 2014 और 2020 के विधानसभा चुनाव में मिडिल क्लास ने AAP के पक्ष में जमकर मतदान किया था. लेकिन इस बार ये वर्ग बीजेपी के साथ चला गया जिससे भगवा पार्टी ने 27 साल बाद दिल्ली का किला फतह किया है.
लोकसभा चुनावों में पिछले तीन बार से दिल्ली की सातों सीटों पर बीजेपी का कब्जा रहा है लेकिन विधानसभा चुनाव में पिछले दस साल से AAP जीतती आई है. इसकी सबसे बड़ी वजह उस मिडिल क्लास वोटर्स को माना जाता है जो लोकसभा चुनाव में बीजेपी को वोट करता है लेकिन विधानसभा चुनाव में AAP की तरफ शिफ्ट हो जाता है. लेकिन इस बार ऐसा नहीं हुआ और यही बात AAP की ओर से की गई हार की आंतरिक समीक्षा में सामने आई है.
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AAP के सूत्रों ने इंडिया टुडे को बताया कि उनके शुरुआती मूल्यांकन के आधार पर पार्टी ने 2025 के चुनावों में अपनी हार के पीछे तीन प्रमुख कारणों की पहचान की है.
1. मिडिल क्लास AAP की ओर नहीं लौटा
मिडिल क्लास के मतदाताओं का एक अहस हिस्सा, जो पारंपरिक रूप से लोकसभा चुनावों में भाजपा और विधानसभा चुनावों में AAP को वोट देता रहा है, इस बार AAP की ओर वापस नहीं लौटा. बजट में 12 लाख रुपये की सालाना आय पर जीरो टैक्स का ऐलान बीजेपी के लिए मिडिल क्लास का समर्थन हासिल करने में एक अहम फैक्टर साबित हुआ. AAP इस खतरे का आकलन करने में विफल रही क्योंकि यह पार्टी के इंटरनल सर्वे में भी नहीं दिख सका. केंद्रीय बजट एक फरवरी को पेश किया गया था और चुनाव प्रचार 3 फरवरी की शाम को खत्म हो गया. संभवत: इसके असर तक पहुंचने के लिए समय बहुत सीमित था.
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