84 साल के जज, महिला बिशप... ट्रंप के दो बड़े फैसलों को चैलेंज करने वाले 2 लोग कौन हैं?
AajTak
राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को उनके दो महात्वाकांक्षी प्रोजेक्ट पर जबर्दस्त चुनौती मिली है. 84 साल के जज ने जन्मजात नागरिकता पर ट्रंप के फैसले पर तात्कालिक रोक लगा दी है, वहीं बिशप एडगर बुड्डे ने थर्ड जेंडर पर उनके रवैये को लेकर ट्रंप को आईना दिखाया है और ऐसे सभी लोगों पर 'दया दिखाने' को कहा है. इन दोनों विरोध के स्वरों से ट्रंप तमतमाए हुए हैं.
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के शपथग्रहण के 4 ही दिन हुए हैं लेकिन दो बड़े मुद्दों पर दो बड़े हस्तियों ने ट्रंप के फैसले को चैलेंज किया है. ये दो हस्तियां हैं अमेरिका की बिशप . मैरिएन एडगर बुडे (Mariann Edgar Budde) और फेडरल जज जॉन सी कफनर (John C. Coughenour). इन दोनों का विरोध इसलिए अहम है क्योंकि इन्होंने नीतिगत मामलों पर राष्ट्रपति ट्रंप का विरोध किया है.
जज जॉन सी कफनर ने ट्रंप की महात्वाकांक्षी जन्मजात नागरिकता (Birthright citizenship) को खत्म करने योजना पर पलीता लगा दिया है. इससे अमेरिका में रह रहे भारत समेत हजारों प्रवासियों को राहत मिली है.
ट्रंप ने सोमवार को पदभार ग्रहण करने के बाद पहले ही दिन एक कार्यकारी आदेश के जरिए स्वतः जन्मसिद्ध नागरिकता के अधिकार को खत्म कर दिया था. राष्ट्रपति के इस फैसले का विरोध करते हुए डेमोक्रेटिक लीडरशिप वाले 4 राज्य वॉशिंगटन, एरिजोना, इलिनॉयस और ओरेगन अदालत चले गये थे.
जन्मजात नागरिकता पर ट्रंप को रुकना पड़ा है
इस पर सिएटल स्थित डिस्ट्रिक्ट जज जॉन कफनर ने ये फैसला सुनाया है. जज कफनर ने कहा कि मैं 4 दशक से पीठ पर हूं. मुझे ऐसा कोई दूसरा मामला याद नहीं आता, जिसमें पेश किया गया सवाल इस मामले जितना स्पष्ट हो. यह एक स्पष्ट रूप से असंवैधानिक आदेश है. जज कफनर ने कहा कि अमेरिकी न्याय विभाग के वकील ब्रेट शुमेट को भी खरी खरी सुनाई और पूछा कि क्या वह व्यक्तिगत रूप से मानते हैं कि यह आदेश संवैधानिक है?
कौन हैं जज जॉन सी कफनर
विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा कि, भारत ने कभी पाकिस्तान के साथ व्यापार बंद नहीं किया बल्कि खुद पाकिस्तान ने इसकी शुरुआत की थी. उन्होंने कहा कि, भारत ने तो पाकिस्तान को मोस्ट फेवर्ड नेशन का दर्जा भी दिया हुआ था, जबकि भारत को पाकिस्तान की तरफ से वह दर्जा नहीं मिला. एस. जयशंकर के बयान पर पाकिस्तान की ओर से कोई आधिकारिक बयान तो नहीं आया लेकिन वहां बैठे विदेशी मामलों के जानकारों की ओर से मिली-जुली प्रतिक्रिया जरूर देखने को मिली है.
राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को उनके दो महात्वाकांक्षी प्रोजेक्ट पर जबर्दस्त चुनौती मिली है. 84 साल के जज ने जन्मजात नागरिकता पर ट्रंप के फैसले पर तात्कालिक रोक लगा दी है, वहीं बिशप एडगर बुड्डे ने थर्ड जेंडर पर उनके रवैये को लेकर ट्रंप को आईना दिखाया है और ऐसे सभी लोगों पर 'दया दिखाने' को कहा है. इन दोनों विरोध के स्वरों से ट्रंप तमतमाए हुए हैं.
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन से यूक्रेन युद्ध समाप्त करने के लिए जल्द मिलने की इच्छा जाहिर की है. यह ऐलान ट्रंप के चुनावी वादे के अनुरूप है, जहां उन्होंने पहले दिन जंग समाप्त करने का वादा किया था. हालांकि उनके सलाहकार मानते हैं कि युद्ध खत्म करने में अभी कुछ महीने लग सकते हैं.
अमेरिका में रहते भारतीयों की बात करें तो दो तस्वीरें बनेंगी. एक चमचमाती तस्वीर, जिसमें इंडियन्स का नाम सबसे ज्यादा पढ़े-लिखे इमिग्रेंट्स में आता है. उनकी कमाई भी आम अमेरिकियों से लगभग दोगुनी है. वहीं तस्वीर के दूसरे हिस्से में वे भारतीय हैं, जो चोरी-चुपके यूएस पहुंचे. अब भी न उनके पास दस्तावेज हैं, न ही ढंग की जिंदगी. अब नए राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप उन्हें देश से बाहर का रास्ता दिखा सकते हैं.
वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम दावोस में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस ने एक्सक्लूसिव इंटरव्यू दिया. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री के 'टीम इंडिया' वाले सपने में कोऑपरेटिव और कॉम्पिटिटिव फेडरलिज्म दोनों जरूरी हैं. फडनवीस ने अपने राजनीतिक सफर पर बात करते हुए कहा कि पिछले 10 सालों में वे राजनीतिक और व्यक्तिगत रूप से काफी परिपक्व हुए हैं.
डोनाल्ड ट्रंप ने दोबारा सत्ता में आते ही जन्मजात नागरिकता को समाप्त कर दिया है. इससे अमेरिका में रहकर काम करने वाले उन भारतीयों को झटका लगा है जो वहां अपने बच्चे को जन्म देकर नागरिकता हासिल करना चाहते थे. अब जो भारतीय महिलाएं अपनी प्रेग्नेंसी से सातवें या आठवें महीने में हैं, वो 20 फरवरी को ट्रंप का आदेश लागू होने से पहले सी सेक्शन के जरिए अपने बच्चे को जन्म देना चाहती हैं.