
हमेशा से पॉल्यूशन फैलाने वाले देशों में रहा अमेरिका, फिर क्यों ट्रंप ने बनाई पेरिस एग्रीमेंट से दूरी?
AajTak
डोनाल्ड ट्रंप को अमेरिकी पर्यावरण-प्रेमी 'क्लाइमेट-डिनायर' मानते रहे, यानी वो शख्स, जो इससे जुड़े मुद्दों से बचता है. राष्ट्रपति बनते ही ट्रंप ने न केवल पेरिस एग्रीमेंट से दूरी बनाई, बल्कि देश को उन सारे वादों से मुक्त कर दिया, जो पिछली सरकार ने पर्यावरण पर किए थे. एग्जीक्यूटिव ऑर्डर पर दस्तखत करते हुए राष्ट्रपति ने इन अनुबंधों को एकतरफा भी बता दिया.
राष्ट्रपति पद के चुनावों से पहले कुछ मुद्दों पर खूब हल्ला था. डेमोक्रेट्स का कहना था कि ट्रंप सत्ता में आए तो पर्यावरण की हालत और खराब हो जाएगी. यहां तक कि ट्रंप को क्लाइमेट डिनायर कहा गया. वहीं रिपब्लिकन्स के नेता ट्रंप इसे अपनी खूबी मानते रहे. उनका सीधा तर्क था कि क्लाइमेट चेंज बेवजह का मुद्दा है, जिसपर अमेरिकी पैसे निचोड़े जा रहे हैं. उन्होंने पेरिस एग्रीमेंट खत्म करने की बात कही, और यही किया भी. एग्जीक्यूटिव ऑर्डर साइन करके वे अपने देश को पर्यावरण से जुड़े ग्लोबल कमिटमेंट से अलग कर चुके.
तो क्या क्लाइमेट चेंज पर बहस वाकई वक्त की बर्बादी है, या फिर ट्रंप ही जरूरी मसले से बच रहे हैं?
ये पहली बार नहीं, साल 2017 में भी ट्रंप ने पेरिस समझौते से देश को अलग कर लिया था. वे बार-बार इस एग्रीमेंट पर नाराजगी जताते रहे. दरअसल साल 2015 में हुए इस समझौते का बड़ा मकसद है, ग्लोबल तापमान पर काबू करना. इसके लिए कोयला, गैस और तेल से होने वाले प्रदूषण को कम करना होगा. हर देश ने वादा किया कि वो अपनी तरफ से इसकी पूरी कोशिश करेगा. अमेरिका में चूंकि इंडस्ट्रीज के चलते ग्रीन हाउस एमिशन ज्यादा है, लिहाजा उसका टारगेट भी बड़ा था. लेकिन वो बराक ओबामा का कार्यकाल था. ट्रंप ने आते ही इसका विरोध किया और समझौते से दूर हो गए.
ट्रंप का कहना था कि ये एग्रीमेंट अनफेयर है, जो अमेरिका पर गैरजरूरी दबाव बनाता है. - पेरिस समझौते के तहत देश को अपने कार्बन उत्सर्जन को कम करना होगा. ट्रंप को डर था कि इससे कई इंडस्ट्रीज पर असर होगा और नौकरियां खत्म हो जाएंगी. - बकौल ट्रंप, समझौता चीन और भारत समेत बाकी देशों के लिए नरम रवैया रखता था, जबकि यूएस को सबसे ज्यादा जिम्मेदारी लेनी पड़ रही थी. - ट्रंप ने ऐसे किसी समझौते को अमेरिका फर्स्ट के खिलाफ बताते हुए कहा कि देश को अपनी शर्तों पर जीना चाहिए.
पिछले टर्म में क्या किया

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रूस-यूक्रेन युद्ध पर अपना पक्ष रखा. उन्होंने कहा कि भारत शांति का पक्षधर है, न्यूट्रल नहीं. मोदी ने दावा किया कि भारत बुद्ध और गांधी की भूमि होने के कारण विश्व उसे सुनता है. उन्होंने कहा कि युद्ध का समाधान युद्धभूमि में नहीं, बल्कि वार्ता की मेज पर ही निकलेगा. प्रधानमंत्री ने ग्लोबल साउथ पर युद्ध के प्रभाव का भी जिक्र किया.

पाकिस्तान में हाल ही में हुए आतंकी हमलों पर एक टीवी डिबेट में पाकिस्तानी मीडिया प्रतिनिधि शाह जी ने कहा कि पाकिस्तानी सेना फेल नहीं हो रही है. उन्होंने दावा किया कि पाकिस्तान खुद आतंकवाद का शिकार है और इसकी जड़ें हिंदुस्तान में हैं. हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि पाकिस्तान आतंकवाद से लड़ रहा है और इसे खत्म करने के लिए प्रतिबद्ध है.

पाकिस्तान में बलूच लिबरेशन आर्मी (BLA) ने एक बार फिर पाकिस्तान सेना को निशाना बनाया. BLA के लड़ाकू ने क्वेटा से ताफ्तान जा रहे सुरक्षाबलों के काफिले पर हमला किया. काफिले में 7 बस और 2 वाहन शामिल थे. बीएलए ने हमले की जिम्मेदारी लेते हुए 90 पाकिस्तानी सेनाओं को मारने का दावा किया. देखें न्यूज बुलेटिन.

बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी (BLA) ने पाकिस्तानी सेना पर 4 दिन के भीतर दो बड़े हमले किए हैं. अब ताजा हमला क्वेटा से ताप्तान जा रहे पाकिस्तानी सैनिकों पर हुआ है. BLA ने दावा किया है कि उसने 90 से ज्यादा पाकिस्तानी सैनिकों को मार गिराया है. देखें BLA के इस दावे पर रक्षा विशेषज्ञ संजय कुलकर्णी का क्या मानना है.

'हमले का जवाब हमले से, यमनी सेना पूरी तरह तैयार...', ट्रंप की एयरस्ट्राइक के बाद हूती का खुला चैलेंज
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने यमन में ईरान-समर्थित हूतियों पर बड़ा हमला किया, जिसमें कम से कम 32 लोग मारे गए. हूतियों ने इस हमले को

भयंकर तूफान ने अमेरिका के कई राज्यों में भारी तबाही मचाई है, जिसके कारण कम से कम 32 लोगों की मौत हो गई है. मिसिसिपी के गवर्नर टेट रीव्स ने घोषणा की कि तीन काउंटियों में छह लोगों की मौत हो गई और तीन और लोग लापता हैं. उन्होंने सोशल प्लेटफॉर्म एक्स पर रात के समय पोस्ट में बताया कि पूरे राज्य में 29 लोग घायल हुए हैं. अर्कांसस में तीन लोगों की मौत हुई है और आठ काउंटियों में 29 लोग घायल हुए हैं. टे