![102 लोकसभा सीटों पर मतदान पूरा, जानें पहले चरण में पॉलिटिकल विज्ञापनों पर कितना हुआ खर्च](https://akm-img-a-in.tosshub.com/aajtak/images/story/202404/6622665772a5a-ads-194054272-16x9.jpg)
102 लोकसभा सीटों पर मतदान पूरा, जानें पहले चरण में पॉलिटिकल विज्ञापनों पर कितना हुआ खर्च
AajTak
लोकसभा चुनाव 2024 के पहले चरण में राजनीतिक दलों ने ऑलनाइन विज्ञापनों पर खूब खर्च किया है. बीजेपी ने पहले चरण के विज्ञापनों पर सबसे ज्यादा 14.7 करोड़ रुपये खर्च किए. इसके बाद कांग्रेस और डीएमके जैसी पार्टियों का नंबर है, जिन्होंने अपने विज्ञापनों में खासतौर पर तमिलनाडु के मतदाताओं को टारगेट किया.
लोकसभा चुनाव के पहले चरण का मतदान खत्म हो गया है. पहले चरण के इस चुनाव के दौरान राजनीतिक दलों ने अपने चुनावी एजेंडे, नीतियों, घोषणापत्र और उपलब्धियों के प्रचार में 36.5 करोड़ रुपये खर्च किए हैं. पार्टियों ने अपने प्रचार-प्रसार के लिए गूगल और मेटा को प्रमुखता दी. इसके विश्लेषण से पता चलता है कि कांग्रेस ने सुस्त शुरुआत जरूर की लेकिन विज्ञापन खर्च के मामले में पार्टी बीजेपी से पीछे भी नहीं है.
बीजेपी ने गूगल विज्ञापन पर 14.7 करोड़ रुपये खर्च किए, जबकि कांग्रेस ने 15 मार्च से 13 अप्रैल के बीच गूगल प्लेटफॉर्म पर 12.3 करोड़ रुपये अपने प्रचार में लगाए. कांग्रेस की ही सहयोगी डीएमके ने अपने गूगल विज्ञापन पर 12.1 करोड़ रुपये खर्चे हैं. बीजेपी की खासा पसंद गूगल रही है, जहां पार्टी ने कुल विज्ञापनों का 81 फीसदी हिस्सा खर्च किया है. वहीं कांग्रेस ने अपने विज्ञापन खर्च का 78 फीसदी गूगल पर खर्च किया है.
आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री वाईएस जगन मोहन रेड्डी की वाईएसआर कांग्रेस कुल ऑनलाइन विज्ञापन खर्च के मामले में तीसरे स्थान पर रही. इसके बाद टीएमसी, बीजेडी और टीडीपी जैसी पार्टियां रहीं. दिलचस्प बात ये है कि मेटा पर टॉप पांच 'पॉलिटिकल एडवर्टाइजर्स' के रूप में चल रहे मीम पेज ने बीजेडी और टीडीपी जैसी क्षेत्रीय पार्टियों से ज्यादा खर्च किया है.
राजनीतिक दलों का फोकस
देश में शुक्रवार को 102 लोकसभा सीटों पर वोटिंग हुई, जिनमें 39 सीटें अकेले तमिलनाडु की हैं. ऑनलाइन विज्ञापन में भी इसी पैटर्न को देखा गया, जहां सबसे ज्यादा सीटों पर चुनाव हुए. मसलन, पहले चरण के दौरान विज्ञापन में राजनीतिक दलों ने तमिलनाडु को ही टारगेट किया है. गूगल और मेटा पर पॉलिटिकल कैटगरी के विज्ञापन में विशेष रूप से तमिलनाडु पर ही पार्टियों का फोकस रहा, जहां कुल विज्ञापन खर्च का 17.1 करोड़ रुपये खर्च किया गया है.
तमिल मतदाताओं को टारगेट करने वाले विज्ञापनों पर बीजेपी ने 1.7 करोड़ और डीएमके ने 11 करोड़ रुपये खर्च किए हैं. वहीं कांग्रेस ने तमिलनाडु में मतदाताओं को टारगेट करने वाले विज्ञापनों पर 7.8 लाख रुपये खर्च किए. डीएमके जहां तमिलनाडु में 30 लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ रही है, वहीं सहयोगी कांग्रेस बाकी नौ सीटों पर जीत की उम्मीद में है. बीजेपी के उम्मीदवार 23 लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ रहे हैं.
![](/newspic/picid-1269750-20250213084148.jpg)
महाराष्ट्र के पूर्व मंत्री का बेटा अपने दोस्तों के साथ चार्टर्ड फ्लाइट (chartered flight) से बैंकॉक (Bangkok) जा रहा था, लेकिन इस बारे में परिजनों को नहीं बताया था. इसके बाद पूर्व मंत्री ने फ्लाइट को आधे रास्ते से ही पुणे वापस बुलवा लिया. इस पूरे मामले में न केवल पुलिस बल्कि एविएशन अथॉरिटी तक को शामिल होना पड़ा.
![](/newspic/picid-1269750-20250213073703.jpg)
मणिपुर सहित पूरे उत्तर-पूर्व में जातीय संघर्ष बेहद जटिल और गहराई से जड़ें जमाए हुए हैं. न तो बिरेन सिंह का इस्तीफा, न कोई नया मुख्यमंत्री और न ही केंद्र का सीधा हस्तक्षेप इस समस्या का कोई आसान समाधान निकाल सकता है. जब तक राज्य के हर जातीय, धार्मिक और भाषाई समुदाय की अपनी अलग पहचान को बनाए रखने की मानसिकता कायम रहेगी तब स्थाई शांति की बीत बेमानी ही होगी.
![](/newspic/picid-1269750-20250213064019.jpg)
विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि आपकी सलाह हम मानते हैं. यही तरीका उधर वाले भी मान गए तो हम समझते हैं कि नड्डा साहब अपने सदस्यों को बड़ा कंट्रोल में रखा है. मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि वक्फ बिल पर हमारे अनेक सदस्यों ने डिसेंट नोट्स दिए हैं. उनको प्रॉसीडिंग से निकालना अलोकतांत्रिक है. VIDEO
![](/newspic/picid-1269750-20250213061806.jpg)
संसद के दोनों सदनों में हंगामा जारी है. राज्यसभा में जेपीसी रिपोर्ट पेश की गई, जबकि लोकसभा में भी इसे टेबल किया जाना है. विपक्ष इस रिपोर्ट का विरोध कर रहा है. इसके अलावा, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के अपमान को लेकर सभापति ने कड़ा रुख अपनाया. उन्होंने कहा कि यह देश की पहली आदिवासी महिला राष्ट्रपति का अपमान है. VIDEO
![](/newspic/picid-1269750-20250213055354.jpg)
पंजाब सरकार पिछले कई महीनों से व्यस्त चल रही थी. सूबे के मुख्यमंत्री और उनके शीर्ष कैबिनेट मंत्री दिल्ली विधानसभा चुनाव में लगे हुए थे. राज्य सरकार को अपने मंत्रिमंडल की बैठक के लिए समय नहीं मिल पा रहा था. आखिरी कैबिनेट बैठक 8 अक्टूबर, 2024 को बुलाई गई थी और तब से कोई कैबिनेट बैठक नहीं हुई. देखें...