रूस- यूक्रेन युद्ध में 'शांतिदूत'बनने की कोशिश में चीन! अमेरिका बोला- यह कतई मंजूर नहीं
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चीन के राष्ट्रपति का रूस दौरा मंगलवार से शुरू हो रहा है. कहा जा रहा है कि वह रूस से यूक्रेन के खिलाफ युद्ध रोकने का आग्रह कर सकते हैं और ऐसा कर वह खुद को शांतिदूत के तौर पर स्थापित करेंगे. वहीं अमेरिका का कहना है कि चीन का खुद को शांतिदूत कहना उसे कतई मंजूर नहीं होगा.
रूस और यूक्रेन के बीच पिछले एक साल से भी अधिक समय से युद्ध चल रहा है. युद्ध को रोकने के लिए वैश्विक स्तर पर कई कोशिशें हुईं लेकिन अभी तक इसमें सफलता नहीं मिल सकी. इन सबके बीच चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग 20 से 22 मार्च तक रूस की यात्रा कर रहे हैं, जहां उनकी अपने रूसी समकक्ष व्लादिमीर पुतिन के साथ मुलाकात होगी. जिनपिंग की इस यात्रा पर अमेरिका सहित कई देशों की नजर बनी हुई है.
अमेरिका ने कहा यह मंजूर नहीं
व्हाइट हाउस के राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के प्रवक्ता जॉन किर्बी ने रविवार को मीडिया से बात करते हुए कहा, 'यदि रूस- यूक्रेन युद्ध में चीन युद्धविराम को बढ़ावा देकर खुद को शांतिदूत के रूप में देखता है तो इसे कतई स्वीकार नहीं किया जाएगा.' किर्बी ने रविवार को फॉक्स न्यूज से बात करते हुए कहा, 'ऐसा होता है तो इसका मतलब, पुतिन को फिर से तैयार करने, फिर से प्रशिक्षित करने और अपने हिसाब से नए सिरे से योजना बनाने के लिए अधिक समय देना होगा.' किर्बी का यह बयान ऐसे समय में आया है जब चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग अपनी रूस यात्रा के दौरान निकटतम सहयोगी रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ वार्ता करने जा रहे हैं.
चीन पर हमेशा रहा है संदेह दरअसल, अमेरिका और उसके पश्चिमी सहयोगी देशों को हमेशा से ही चीन के इरादों को लेकर काफी संदेह रहा है. चीन ने उस समय रूस की निंदा करने से इनकार कर दिया था जब पश्चिमी देशों ने रूस पर प्रतिबंध लगा दिए थे और उस समय चीन ने उसे आर्थिक लाइफलाइन प्रदान की थी. किर्बी ने कहा कि इसमें कोई संदेह नहीं है कि चीन और रूस अंतरराष्ट्रीय नियम-आधारित आदेशों की खिलाफत करते हैं और हमारे कई सहयोगी भी इस बात से सहमत हैं.
अमेरिका नहीं चाहेगा ऐसा
कहा जा रहा है कि जिनपिंग अपनी रूस यात्रा के दौरान पुतिन से यूक्रेन में जारी संघर्ष को समाप्त करने और शांति वार्ता शुरू करने को कह सकते हैं. ऐसा कर वह खुद को दुनियाभर में शांतिदूत के रूप में स्थापित करने की कोशिश में हैं. अगर जिनपिंग ऐसा करने में कामयाब होते हैं तो यह अमेरिका के लिए किसी झटके से कम नहीं होगा.
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